शीघ्र हो गेहूं का उठान

गेहूं पंजाब की मुख्य ़फसल है। प्रदेश के किसानों की आर्थिक रूप से भी इस पर बड़ी निर्भरता होती है। यदि इसके उत्पादन के बाद इसे ठीक ढंग से सम्भाला जाये तथा इसमें प्रकृति भी साथ दे, तो इससे किसान भी खुशहाल होते हैं तथा प्रदेश की अर्थ-व्यवस्था पर भी इसका व्यापक स्तर पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। देश की अनाज सुरक्षा भी इससे मज़बूत होती है, परन्तु यदि प्राकृतिक तथा अप्राकृतिक कारणों के दृष्टिगत उत्पादन के बाद इसका मंडीकरण उचित ढंग से न हो सके तो यह सभी के लिए नुकसानदायक सौदा हो जाता है।
यह चिन्ताजनक बात है कि इस बार पकने को आई गेहूं की ़फसल पर असामयिक वर्षा, तेज़ आंधी तथा ओला-वृष्टि से मंडी में आने से पहले ही गेहूं की फसल का बहुत नुकसान हो गया था, परन्तु असामयिक वर्षा जारी रहने के कारण मंडियों में आई फसल भी अनेक स्थानों पर भीग गई थी। इस कारण किसानों, आढ़तियों तथा ़खरीद एजेंसियों, सभी को मुश्किलों का सामना करना पड़ा। खेतों में गेहूं की फसल ़खराब हो जाने तथा इस कारण दाना सिकुड़ने तथा बेरंग होने के कारण केन्द्रीय ़खरीद एजेंसियों ने समर्थन मूल्य में कटौती करके भी किसानों की मुश्किलों में और वृद्धि कर दी थी परन्तु इस सब कुछ के बावजूद इस वर्ष पंजाब की मंडियों में गत वर्ष से अधिक अर्थात अब तक 95.70 लाख मीट्रिक टन गेहूं आ चुकी है,जबकि विगत वर्ष 94.30 लाख मीट्रिक टन गेहूं इस समय तक आई थी। मंडियों में आई 94.30 लाख मीट्रिक टन गेहूं की बिक्री हो चुकी है, जिसमें से 3.66 लाख मीट्रिक टन गेहूं निजी व्यापारियों ने तथा 90.64 लाख मीट्रिक टन गेहूं सरकारी एजेंसियों ने खरीदी है परन्तु चिन्ताजनक बात यह है कि मंडियों में अब तक 94 लाख 29 हज़ार 962 टन जो गेहूं ़खरीदी गई है, उसमें से उठान सिर्फ 37 लाख 15 हज़ार 462 टन का ही हुआ है। शेष पूरी गेहूं पंजाब की मंडियों में खुले आसमान के नीचे ही पड़ी है। यदि आगामी दिनों में मौसम खराब हो जाता है तो यह ़खरीदी गई गेहूं खराब हो सकती है तथा इससे सरकारी ़खरीद एजेंसियों को भारी नुकसान होगा तथा देश की खाद्य सुरक्षा भी ़खतरे में पड़ जाएगी, क्योंकि वातावरण में आ रहे बदलाव के कारण तथा अन्य बहुत-से कारणों के दृष्टिगत अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर भी गेहूं का उत्पादन कम हो रहा है, जिस कारण गेहूं का आटा तथा गेहूं से बनने वाली अन्य खाद्य वस्तुएं भी अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर महंगी हो रही हैं। बहुत-से विकासशील देशों में लोगों को आटा तक नहीं मिल रहा। हमारे पड़ोसी देश पाकिस्तान में गेहूं के आटे के लिए हो रही मारामारी के कारण दर्जनों लोगों की मृत्यु हो चुकी है। हमारे देश में भी करोड़ों ़गरीब लोगों को महंगा आटा खरीदना पड़ रहा है।
इस सब कुछ के दृष्टिगत यह बेहद ज़रूरी है कि पंजाब सरकार तथा केन्द्र सरकार आपस में शीघ्र सहयोग करें तथा अपनी-अपनी ़खरीद एजेंसियों तथा संबंधित विभागों को पूरी तरह सक्रिय करने हेतु आदेश जारी करें ताकि मंडियों में व्यापक स्तर पर पड़ी खरीदी हुई गेहूं का उठान हो सके, क्योंकि अभी भी गेहूं की ़खरीद का बहुत सीज़न पड़ा है तथा मंडियों में अभी और भी गेहूं की आवक शेष है। यदि मंडियों में पहले से पड़ी गेहूं का उठान नहीं हो सकेगा तो नई आने वाली फसल के लिए स्थान बनाना बेहद कठिन हो जायेगा। इसलिए शीघ्र कदम उठा कर मंडियों में पड़ी गेहूं का उठान किया जाना चाहिए। इस संबंध में आने वाली सभी मुश्किलों को प्राथमिकता के आधार पर हल करना चाहिए।