कैसी है अंतरिक्ष में जाने वाली इसरो की व्योममित्र

हांलांकि यह मिशन कोरोना महामारी की वजह से दो साल पिछड़ चुका है। दिसम्बर 2020 में इंडियन स्पेस रिसर्च आर्गेनाइजेशन (इसरो) को अपने ह्यूमन स्पेस फ्लाइट मिशन ‘गगनयान’ के पहले जिस हाफ ह्यूमनाइड महिला रोबोट व्योममित्र को अंतरिक्ष की यात्रा पर भेजना था, अब वह इस साल दिसम्बर में जाने वाली है। वैसे इसकी घोषणा तो जनवरी 2023 में ही कर दी गई थी, लेकिन हाल में इसकी फिर से पुष्टि की गई है, जिसका मतलब है कि अब इसरो अपने मिशन ह्यूमन स्पेस फ्लाइट के पूर्व परीक्षण फ्लाइटों के लिए पूरी तरह से तैयार है। अत: इस साल दिसम्बर में होने वाली व्योममित्र की स्पेस फ्लाइट अब करीब करीब तय है। 
सवाल है यह महिला रोबोट व्योममित्र जो पहले भारतीय स्पेस मिशन के पहले अंतरिक्ष की यात्रा करेगी, कैसी है और इसकी यात्रा वास्तविक ह्यूमन मिशन के पहले क्यों ज़रूरी है? जैसा कि दो साल पहले जनवरी 2020 में इसरो के वैज्ञानिकों ने मीडिया के सामने इसे पेश करते हुए इसी से अपना परिचय दिलवाया था। जिस पर उसने खुद पत्रकारों से मिशन के संदर्भ में अपनी उपयोगिता बतायी थी। इसके मुताबिक यह वास्तविक मानव मिशन के पहले अंतरिक्ष की यात्रा करके अंतरिक्ष में मानव शरीर संरचना पर होने वाले बदलावों का अध्ययन करेगी। साथ ही इसकी इस यात्रा का एक मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना भी है कि गगनयान रॉकेट जिस मार्ग से जाए, उसी मार्ग से सुरक्षित वापस लौटे। इसका जाना इसलिए भी पहले ज़रूरी है, क्योंकि यह अंतरिक्ष में विकिरण के उच्च स्तर या अधिक तापमान वाले असामान्य वातावरण में भी काम करने और बिना थके लगातार अनुसंधान करने में सक्षम है। इसलिए यह वास्तविक मिशन के पहले अंतरिक्ष में कुछ ज़रूरी परीक्षण करेगी, जो इसरो के वैज्ञानिकों को अंतिम रूप से मानव मिशन का निर्णय लेने में महत्वपूर्ण होंगे।
अगर इस साल दिसम्बर में महिला रोबोट व्योममित्र की यह उड़ान सफल रहती है तो फिर 2024 में इंडियन एस्ट्रोनॉट का अंतरिक्ष में जाना तय हो जायेगा। हालांकि इसे आज़ादी के अमृत वर्ष में ही भेजने की योजना थी, लेकिन कोविड के कारण सारा कार्यक्रम अस्त व्यस्त हो गया। जिन भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों का रूस में प्रशिक्षण चल रहा था, कोरोना के कारण उसे बीच में ही रोकना पड़ गया। इसी के साथ सभी कार्यक्रम पिछड़ गये, नहीं तो 22 जनवरी 2020 को बेंग्लुरु में इसरो के वैज्ञानिकों द्वारा भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन इंटरनेशन एकेडमी ऑ़फ एस्ट्रोनॉटिक्स और एस्ट्रोनॉटिकल सोसायटी ऑफ इंडिया के जिस पहले सम्मेलन में इस अर्धमानवीय महिला रोबोट व्योममित्र को पेश किया गया था, जहां उसने पत्रकारों से खुद अपना परिचय दिया था, अब तक अंतरिक्ष से घूम फिरकर वापस आ गई होती। 
अपने पहले मीडिया इंट्रैक्शन के दौरान इस अर्धमानवीय मानवीय महिला रोबोट ने पत्रकारों को नमस्कार करते हुए खुद बताया था, ‘मैं स्पेस मिशन के दौरान पूरे यान पर निगरानी रखूंगी। वैज्ञानिकों को सचेत करूंगी और उनकी जीवनरक्षक प्रणाली का काम देखूंगी।’ साथ ही व्योममित्र ने यह भी बताया था, ‘मुझे पहले मानव रहित गगनयान मिशन के लिए बनाया गया है, मैं स्विच पैनल के संचालन सहित विभिन्न काम कर सकती हूं।’ दरअसल किसी भी कामयाब मानव मिशन के पहले मानव रहित मिशनों की बहुत ज़रूरत होती है। ये मिशन उन छिपी हुई गलतियों और भूलों को ढूंढ़ निकालते हैं, जिनका ढूंढ़ निकालना किसी भी सफल मिशन के लिए बहुत ज़रूरी होता है। अंतरिक्ष की यात्रा पर जाने वाली पहली भारतीय वैज्ञानिकों द्वारा निर्मित अर्धमानवीय महिला रोबोट व्योममित्र की क्षमताओं में यह भी शामिल है कि वह अंतरिक्ष यात्रियों के कठिन सवालों के जवाब भी दे सकती है। यह अंतरिक्ष यात्रा के दौरान भी मिशन वैज्ञानिकों के साथ मौजूद रहेगी और उनके दोस्त की भूमिका निभायेगी। यह वास्तव में अमेजन की एलेक्सा की तरह है, जोकि मनोवैज्ञानिक पहलुओं को भी हैंडल कर सकती है।
इसीलिए इसरो अपने पहले वास्तविक मानव मिशन के पहले इस साल दिसम्बर में भेजे जाने वाले अपने दो मानव रहित मिशनों में चालक दल के सदस्यों के स्थान पर इस अर्धमानव महिला रोबोट व्योममित्र को भेजने जा रहा है। जाहिर है इन दो मिशन में व्योममित्र इंसानों की तरह काम करेगी और इस बात को समझेगी कि इस मिशन में इंसान की जीवन संरचना प्रणाली पर किस तरह का असर पड़ सकता है। मालूम हो कि व्योममित्र के पैर नहीं है यह धड़ से ऊपर तक की है। इसलिए यह सिर्फ आगे और अगल-बगल ही झुक सकती है। इसे जानबूझकर इस तरह का बनाया गया है, क्योंकि इसे केबिन से बाहर नहीं आना और न ही किसी तरह की चहलकदमी करनी है। अंतरिक्ष यात्रा के दौरान यह मानवीय गतिविधियों को समझ सके, उन पर अपनी प्रतिक्रिया दे सके, इसके लिए इसमें सेंसर, कैमरा, स्पीकर, माइक्रोफोन और एक्चुएटर्स जैसी तकनीकों का इस्तेमाल किया गया है। एक्चुएटर वास्तव में एक तरह की मोटर होती है, जो रोबोट को झुकने, हाथ व अंगुलियों को चलाने में मदद करती है। जबकि इसमें लगे कैमरे, माइक्रोफोन आदि के जरिये व्योममित्र एकत्र की गई सूचनाओं का आंकलन और अध्ययन करेगी। तत्पाश्चात वह इन सूचनाओं पर अपने स्पीकर और एक्चुएटर के माध्यम से सटीक प्रतिक्रिया करेगी। 
यह हाफ ह्यूमनाइड महिला रोबोट इंसान की तरह ही चले फिरेगी और हावभाव भी दिखायेगी। हालांकि इसमें स्वयं निर्णय लेने की क्षमता नहीं है, यह जो भी सवाल का जवाब बतायेगी, वह रोबोट निर्माता द्वारा उसे दी गई जानकारी के आधार पर ही होगा। वास्तव में ऐसे रोबोट कृत्रिम बुद्धिमत्ता और एल्गोरिद्म डिजाइन से लैस होते हैं। इन्हें अधिक से अधिक मानवीय बनाने के लिए ज्यादा से ज्यादा मानव शरीर की संरचना और व्यवहार का अध्ययन किया जाता है। अंतरिक्ष में व्योममित्र की बहुत उपयोगिता साबित होगी, क्योंकि यह वास्तव में इंसानी वैज्ञानिकों के जाने के पहले उन्हें वहां होने वाली परेशानियों के बारे में जानकारी हासिल कर लेगी।                 

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