पानी की सतह पर दौड़ने वाली  एगमा छिपकली

छिपकली मूलत: जमीन का जीव है। विश्व में 19 परिवारों की लगभग 3000 जातियों की छिपकलियां पाई जाती हैं। इनमें से केवल कुछ छिपकलियां पानी में ही रह सकती हैं, जिनमें समुद्री इग्वाना और ताजे पानी की एगमा शामिल हैं।
एगमा छिपकली आस्टे्रलिया के घने जंगलों में बहने वाली नदियों के आस-पास बहुतायत से मिलती है। इसकी पूंछ चपटी, लंबी और पूर्ण विकसित होती है। पूंछ की सहायता से यह पानी में तैरती है। इसकी गिनती सबसे तेज़ तैरने वाली छिपकलियों में होती है। एगमा दिन के समय नदियों के आस-पास के जंगलों में घूमती रहती है। शत्रु से अचानक सामना होने पर यह तेजी से भागकर पानी की सतह पर दौड़ने लगती है। 
यह हर समय पानी में नहीं रहती। पत्थरों के नीचे, चट्टानों की दरारों में कभी-कभी इसे पेड़ों की डालियों पर भी घूमते देखा गया है। पानी की एगमा मध्यम आकार की और अपने परिवार की सबसे बड़ी छिपकली है। इसकी लंबाई 70 से 90 सेंटीमीटर तक होती है। शरीर का रंग हल्का मटमैला या गहरा कत्थई होता है। त्वचा पर कहीं कहीं सफेद और गहरे रंग की छोटी-छोटी बिंदियां होती हैं। पूंछ शरीर से भी ज्यादा लंबी होती है। एगमा की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह अन्य छिपकलियों की तरह अपनी पूंछ को अपने शरीर से अलग नहीं कर सकती। अगर इसकी आधी या पूरी पूंछ कट जाए या शरीर से अलग हो जाए तो यह दोबारा नहीं निकलती। 
पानी की एगमा में तापक्रम के अनुसार रंग बदलने की अद्भुत क्षमता होती है। यह कभी-कभी हरी, पीली, भूरी और दूसरे डिजाइनों में देखने को मिलती है। इनके ये रंग और डिजाइन अस्थायी होते हैं, कुछ समय बाद स्वत: समाप्त हो जाते हैं और अपने वास्तविक रंगों में आ जाते हैं। एगमा के पंजे बहुत मजबूत और शक्तिशाली होते हैं, यह इनका उपयोग चलने, फिरने के साथ शिकार के लिए भी कर सकती है। एगमा अग्रदंती होती है यानी इसके दांत इसके जबड़ों में आगे की ओर आधार पर स्थायी रूप से स्थित होते हैं। इसकी जीभ मोटी, छोटी और सांप की तरह आगे से दो भागों में विभक्त होती है। इसका प्रमुख भोजन छोटे कीड़े मकोड़े होते हैं। शिकार न मिलने पर यह मृत जीवों का मांस और कुछ खास तरह की जंगली वनस्पतियां भी खा लेती हैं। यह दिन के समय शिकार के लिए निकलती है और जंगलों में इधर-उधर घूमती है। 
एगमा में आंतरिक समागम और आंतरिक निषेचन होता है। समागम काल में नर मादा दोनों जमीन पर मिलते हैं। समागम के समय मादा के अंडे उसके शरीर के भीतर ही निषेचित हो जाते हैं। यह जलस्रोत के निकट पत्थरों के अथवा चट्टानों की दरारों में अंडे देती है तथा अंडे देने के बाद उनकी देखभाल नहीं करती। कुछ समय बाद अंडे फूटते हैं और उनसे बच्चे निकलते हैं। यह लंबे समय तक जमीन पर ही रहते हैं और वहीं छोटे-छोटे जीवों का शिकार करते हैं, इसके बाद स्वयं ही धीरे-धीरे पेड़ पर चढ़ना और पानी में चलना सीख जाते हैं तथा वयस्क एगमा जैसा व्यवहार करने लगते हैं।

-इमेज रिफ्लेक्शन सेंटर