दुर्भाग्यपूर्ण है खेल विवाद

विगत लम्बे समय से दिल्ली के जंतर-मंतर में महिला पहलवानों का धरना जारी है। दिन-प्रतिदिन यह रोष प्रदर्शन लम्बा होता जा रहा है। धरने में ओलम्पिक पदक विजेता तथा कई विश्व चैम्पियन पहलवानों के साथ-साथ भिन्न-भिन्न खेलों से सम्बधित छोटे-बड़े खिलाड़ी भी शामिल हैं। इससे पहले भी कई बार खिलाड़ियों द्वारा ऐसे रोष व्यक्त किये जाते रहे हैं परन्तु इस बार का रोष अधिक गम्भीर तथा प्रभावशाली है। इसका एक कारण यह भी है कि मामला महिला पहलवानों के साथ संबंधित है। प्रतिदिन जिस प्रकार के बयान उनकी ओर से आ रहे हैं तथा उनसे जिस प्रकार के भावुक दृश्य बन रहे हैं, उनसे देश भर का ध्यान इस ओर आकर्षित हो गया है। 
इस समय कुश्ती फैडरेशन का अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह है, जिसका राजनीतिक क्षेत्र में भी प्रभाव माना जाता है और उसे बाहुबली तक कहा जाता है। उस पर पहले भी अलग-अलग तरह के तीन दर्जन के लगभग मुकद्दमे दर्ज हैं। पहलवानों द्वारा जहां उस पर अपनी तानाशाही रुचियों के कारण मनमज़र्ी करने के पहले ही आरोप लगते रहे हैं, वहीं अब कुछ महिला पहलवानों ने उस पर शारीरिक शोषण के आरोप भी लगाए हैं। इन आन्दोलनकारी पहलवानों को बड़ी खेल शख्सियतों का भी समर्थन प्राप्त हुआ है, जिनमें दिग्गज क्रिकेटर कपिल देव, वीरेन्द्र सहवाग, टैनिस स्टार सानिया मिज़र्ा आदि के नाम शामिल हैं। इनके अतिरिक्त भारतीय ओलम्पिक एसोसिएशन की अध्यक्ष पी.टी. उषा तथा प्रसिद्ध मुक्केबाज मैरीकॉम ने भी इन पहलवानों का साथ देने की बात कही है।
पहलवानों द्वारा धरने के अलावा अपना केस सुप्रीम कोर्ट में भी ले जाया गया था। सर्वोच्च न्यायालय ने यह कह कर उसको खारिज कर दिया कि बृजभूषण शरण सिंह पर इस संबंधी दो पुलिस केस दर्ज किए गए हैं इसलिए और शिकायतों संबंधी अपनी याचिका को वे निचली अदालतों में लेकर जाएं। केन्द्रीय खेल मंत्री अनुराग ठाकुर ने भी यह बयान दिया है कि खिलाड़ियों की सभी मांगें मान ली गई हैं और उनको निष्पक्ष पुलिस जांच पूरी होने तक इंतज़ार करना चाहिए, लेकिन यह विवाद जिस हद तक बढ़ चुका है, उसके दृष्टिगत सरकार को तुरंत इसमें हस्तक्षेप करने की ज़रूरत है। हरियाणा की बड़ी संख्या में खाप पंचायतें पहलवानों के पक्ष में उतर आई हैं। किसान यूनियनों ने भी यहां पहुंच कर अपना संघर्ष शुरू करने की धमकी दी है। बात बृजभूषण को गिरफ्तार करने तक पहुंच गई है, लेकिन अभी सरकार इस के लिए तैयार नहीं।
जहां तक देश के खेल क्षेत्र का संबंध है, चाहे अंतराष्ट्रीय मंचों पर भारतीय खिलाड़ी अपना अच्छा खेल दिखाते हैं और हर प्रकार के पदक भी जीत कर लाते हैं लेकिन बहुत से देशों के मुकाबले में उनकी कारगुजारी बहुत पीछे है, जिसके लिए खेल मंत्रालय और खेल संस्थाओं द्वारा बड़े यत्नों करने की ज़रूरत होगी। अच्छी उपलब्धियां तभी हासिल की जा सकती हैं जब खिलाड़ियों को हर प्रकार की सुविधाएं प्राप्त हों। एशिया क्षेत्र में चीन और जापान का मुकाबला करने के लिए भारत को इस क्षेत्र में सख्त मेहनत करने की ज़रूरत होगी। ऐसा तभी सम्भव हो सकेगा, जब इसके लिए ऐसा माहौल तैयार किया जाए जो हर क्षेत्र के खिलाड़ियों का उत्साह बढ़ाने वाला हो। नि:संदेह उभरे ऐसे विवाद खेल के क्षेत्र के लिए बहुत दुर्भाग्यपूर्ण हैं। सरकार को ऐसे मामलों को निपटाने के लिए समय पर उचित कार्रवाई करने की ज़रूरत है, ताकि खेल के क्षेत्र को अंतर्राष्ट्रीय मंच पर उच्च दर्जा दिलाया जा सके।

           —बरजिन्दर सिंह हमदर्द