जन-धन के खर्च में होनी चाहिए पारदर्शिता

देश को साफ सुथरी व भ्रष्टाचार मुक्त सरकार देने के दावे के साथ राजनीति की शुरुआत करने वाले अरविन्द केजरीवाल आये दिन किसी न किसी विवाद में घिरे रहते हैं। उनकी सरकार ने दिल्ली में शिक्षा व स्वास्थ्य के क्षेत्र में निश्चित रूप से कई अभूतपूर्व कार्य किये हैं परन्तु यह भी सच है कि 2015 में पार्टी के सत्ता में आने के बाद से अब तक केवल दिल्ली से ही उनकी पार्टी के लगभग एक दर्जन नेताओं को गिरफ्तार भी किया जा चुका है। उनके सबसे वफादार सहयोगी व दिल्ली के उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया इस समय आबकारी नीति घोटाले के मामले में जेल में हैं। इससे पहले आप के वरिष्ठ नेता सत्येंद्र जैन को ईडी ने गत वर्ष मई में कथित तौर पर हवाला लेन-देन से जुड़े धन शोधन के एक मामले में गिरफ्तार किया था। इस तरह अवैध भर्तियों और वित्तीय गबन से जुड़े एक मामले में दिल्ली वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष के रूप में ‘आप’ विधायक अमानतुल्ला खान फिलहाल ज़मानत पर हैं। और अब तो आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा का नाम भी बहुचर्चित दिल्ली शराब घोटाले की पूरक चार्जशीट में शामिल कर दिया गया है। हालांकि अभी ईडी ने  राघव चड्ढा को आरोपी अथवा संदिग्ध नहीं कहा है। 
इन दिनों भ्रष्टाचार के जिस ताज़ातरीन आरोप का आम आदमी पार्टी विशेषकर मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल सामना कर रहे हैं, वह है दिल्ली के सिविल लाइंस स्थित उनके सरकारी आवास की मरम्मत का मामला। आरोप है कि अरविंद केजरीवाल ने 45 करोड़ रुपये अपने आवास और कार्यालय की मरम्मत, रखरखाव व सौंदर्यीकरण पर खर्च कर दिये। आरोप यह भी है कि इसमें वियतनाम का मार्बल, करोड़ों के पर्दे, करोड़ों के कालीन व महंगे से महंगे उत्पाद इस्तेमाल में लाये गये। भाजपा ही नहीं बल्कि कांग्रेस पार्टी भी कथित तौर पर 45 करोड़ रुपये खर्च करने को लेकर केजरीवाल पर हमलावर है। भाजपा केजरीवाल को शाही राजा और  महाराजा आदि बता रही है तो दूसरी तरफ आम आदमी पार्टी यह कहकर इस खर्च को न्यायसंगत बता रही है कि यह घर 80 वर्ष पुराना जर्जर व असुरक्षित भवन है, जो पूरी तरह असुरक्षित था। यह मुख्यमंत्री आवास 1942 में बनाया गया था और  दिल्ली सरकार के लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) ने ऑडिट के बाद इसके जीर्णोद्धार की सिफारिश की थी। पीडब्ल्यूडी के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार यह नवीनीकरण नहीं बल्कि पुराने ढांचे के स्थान पर एक नया ढांचा बनाया गया है। वहां मुख्यमंत्री केजरीवाल का शिविर कार्यालय भी है जिस पर लगभग 44 करोड़ रुपये खर्च हुये हैं। गोया, मकान के पुराने ढांचे को नवनिर्माण के साथ बदला गया है। परन्तु भाजपा ‘आप’ की ओर से दी जा रही इन सफाइयों को खारिज करते हुये केजरीवाल को शाही जीवन बिताने वाला राजा कहा और उनके विरुद्ध धरना-प्रदर्शन करके नैतिकता के आधार पर उनसे इस्तीफे की मांग की। भाजपा उन्हें याद दिला रही है कि कहां तो सत्ता में आने से पहले केजरीवाल कहा करते थे कि सत्ता में आने पर वह सरकारी घर, सुरक्षा और सरकारी गाड़ी आदि सुविधाएं नहीं लेंगे परन्तु उन्होंने सारी सुविधायें तो ली हीं, साथ ही अपने घर को सजाने के लिए 45 करोड़ भी खर्च कर दिये। केजरीवाल उस समय करोड़ों का खर्च कर अपने घर को सजा रहे थे जब दिल्ली कोविड के चपेट में थी।
आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने भी भाजपा के आरोपों का जवाब देते हुए कहा कि जनता का ध्यान असल मुद्दों से भटकाने के लिए यह विवाद खड़ा किया गया है। सिंह ने आरोप लगाया कि स्वयं को फकीर कहने वाले प्रधानमंत्री 500 करोड़ रुपये खर्च कर अपने लिए नया घर बनवा रहे हैं और जिस घर में वह इस समय रह रहे हैं, उसके जीर्णोद्धार पर भी 90 करोड़ रुपये खर्च  किए गए हैं। प्रधानमंत्री के लिये 8400 करोड़ का विमान खरीदा गया। वह 12 करोड़ की कार से चलते हैं। सवा लाख रुपये के पैन से लिखते हैं। वह 10 लाख का सूट पहनते हैं तथा 1.6 लाख का चश्मा लगाते हैं। संजय सिंह के अनुसार दिल्ली के उप-राज्यपाल के घर की मरम्मत पर भी 15 करोड़ रुपये खर्च हो गए, गुजरात के मुख्यमंत्री का नया विमान 191 करोड़ रुपये में खरीदा गया परन्तु भाजपा सेंट्रल विस्टा को देश की धरोहर बताकर प्रधानमंत्री द्वारा 500 करोड़ रुपये का अपना नया घर बनाने को न्यायसंगत बताती है और शेष खर्च को भी ज़रूरी बताती है। 
जनता के पैसों को निर्दयता से खर्च करना दरअसल नेताओं की पुरानी आदत है। पूर्व में जयललिता व मायावती जैसे कई नेता भी जनता के पैसों पर ऐश करने व इसे बेदर्दी से खर्च करने के लिये चर्चा में रहे हैं। याद कीजिये विकीलीक्स ने अपनी रिपोर्ट में दलित उत्थान और सोशल इंजीनियरिंग के फार्मूले के बल पर उत्तर प्रदेश की सत्ता तीन बार हासिल कर चुकी बहुजन समाज पार्टी प्रमुख मायावती पर शाही खर्च का आरोप लगाया था। रिपोर्ट में मायावती द्वारा घर से कार्यालय तक जाने के लिए विशेष सड़क बनवाने से लेकर उनके पसंदीदा ब्रांड की चप्पलें मंगाने के लिए सरकारी विमान लखनऊ से मुम्बई भेजने तक का उल्लेख किया गया था।  विकीलीक्स की रिपोर्ट के अनुसार मायावती की एक हज़ार रुपये की सैंडल विशेष विमान से लाने में 10 लाख से ज़्यादा खर्च हो जाते थे। विकीलीक्स के इन आरोपों पर मायावती ने जूलियन असांजे के इन आरोपों से अपना पल्ला झाड़ लिया था। 
 लिहाज़ा इस तरह के खर्च में पूरी पारदर्शिता बरतते हुये इसे बाकायदा जनता के संज्ञान में लाने की भी ज़रुरत है। इसलिये बेहतर तो यही होगा कि इस तरह के खर्च को बाकायदा वेबसाइट पर प्रकाशित किया जाये और सत्ताधारियों द्वारा जनधन के खर्च में प्रतिस्पर्धा करने के बजाये इसमें पारदर्शिता लाई जाये।