सड़क दुर्घटनाओं में बढ़ती मौतें

पंजाब में प्रत्येक वर्ष सड़क दुर्घटनाओं में होती वृद्धि और इस कारण इनसे हताहत होने वालों की संख्या चौंकाती भी है, और भयभीत भी करती है। इस संबंधी एक रिपोर्ट के अनुसार पंजाब में प्रत्येक वर्ष 4500 से अधिक लोगों की मौत हो जाती है, यानि प्रत्येक मास 375 लोग और प्रतिदिन 12 से 15 लोग प्रदेश की सड़कों पर क्षत-विक्षत होकर अपने प्राण गंवाते हैं। इन हादसों में प्रदेश के हज़ारों की संख्या में अन्य लोग घायल भी होते हैं। इन दुर्घटनाओं के दृष्टिगत होने वाली धन-जन की हानि बेशक एक भयावह आंकड़ा दर्शाती है, किन्तु इनकी रोकथाम अथवा इस स्थिति पर अंकुश लगाने के लिए कभी किसी भी सरकार अथवा प्रशासन की ओर से कुछ विशेष नहीं किया गया। ये आंकड़े वो हैं जो दीदा-दानिश्ता दस्तावेज़ी रिपोर्टों में दर्ज होते हैं जबकि कई अन्य मामले ऐसे भी होते हैं जिनकी कई बार रिपोर्ट तक दर्ज नहीं होती। ये आंकड़े इसलिए भी किसी पुष्टि के मोहताज प्रतीत नहीं होते कि इनका उल्लेख स्वयं प्रदेश की मौजूदा आम आदमी पार्टी की सरकार के एक मंत्री की ओर से सातवें संयुक्त राष्ट्र संघ के वार्षिक वैश्विक सड़क सुरक्षा सप्ताह मनाये जाने के अवसर पर किया गया है। यह सप्ताह पूरे विश्व भर में सड़क सुरक्षा के प्रति जागरूकता पैदा किये जाने के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। सड़क दुर्घटनाओं संबंधी रिपोर्ट का एक उल्लेखनीय पक्ष यह है कि इन दुर्घटनाओं से हताहत होने वाले लोगों में अधिकतर 15 से 25 वर्ष की आयु के बीच वाले युवा होते हैं। यह भी कि दुर्घटनाग्रस्त वाहनों में बड़ी संख्या में दो-पहिया वाहन होते हैं। इससे भी यह बात प्रकट होती है कि युवाओं द्वारा अधिकतर सड़क सुरक्षा नियमों का पालन नहीं किया जाना सड़क दुर्घटनाओं का बड़ा कारण बनता है।
सड़क सुरक्षा से जानकार लोगों के अनुसार सड़क दुर्घटनाओं के लिए कई कारण उत्तरदायी हो सकते हैं, जिनमें से सड़कों खास तौर पर मुख्य मार्गों पर हुए वैध-अवैध कब्ज़े, वाहन चलाते समय गति-सीमा का अतिक्रमण, नशे के बीच खास तौर पर शराब पीकर गाड़ी चलाना और विपरीत दिशा में गाड़ी चलाना हो सकते हैं। ऐसी सड़क दुर्घटनाओं के दौरान चालकों द्वारा सुरक्षा उपाय न अपनाये गये होने से भी मृतकों की संख्या बढ़ जाती है। अभी दो ही दिन पूर्व बरनाला क्षेत्र में एक कार और दो मोटर-साइकिलों के बीच हुई टक्कर से चार लोग मारे गये थे, जिनमें एक पति-पत्नी और एक उनकी चार वर्षीय बेटी शामिल हैं। इस दुर्घटना का कारण भी कार-चालक द्वारा तीव्र गति से वाहन चलाना बताया गया है। इसी महीने, दो ही दिन पूर्व संगरूर क्षेत्र में एक कार और मोटर-साइकिल के बीच हुई एक भीषण भिड़न्त में तीन विद्यार्थियों की मृत्यु हो गई, और तीन अन्य घायल हो गये। इस दुर्घटना के लिए भी तीव्र गति ही उत्तरदायी रही हो सकती है।
हम समझते हैं कि यदि इन दुर्घटनाओं के लिए कुछ सीमा तक आम लोग अथवा स्वयं वाहन चालक उत्तरदायी हो सकते हैं, तो अधिकतर सरकारों एवं उनके प्रशासन की कोताहियां और लापरवाहियां ही इनके लिए ज़िम्मेदार बनती हैं। सड़कों और खास तौर पर मुख्य मार्गों पर अवैध कब्ज़े दुर्घटनाओं का बड़ा कारण बनते हैं, किन्तु सरकारें और प्रशासनिक तंत्र थोड़े-से लालच और प्राय: वोट राजनीति के कारण इन्हें हटाने से कन्नी काट जाते हैं। सड़कों के किनारे खुले ठेके और अहाते बेशक सरकारों के लिए राजस्व का बड़ा स्रोत बनते हैं, किन्तु अधिकतर दुर्घटनाएं शराबी वाहन-चालकों के कारण ही होती हैं। सड़कों की त्रुटिपूर्ण व्यवस्था को सुधारने का यत्न भी कोई सरकार नहीं करती। पंजाब की मौजूदा आम आदमी पार्टी की सरकार भी इस मामले में उसी पुराने ढर्रे पर चलते हुए प्रतीत होती है। सड़कों पर आम लोगों द्वारा अपनी-अपनी सुविधानुसार बनाये गये शार्ट-कट भी दुर्घटनाओं का बड़ा कारण बनते हैं, और इसके लिए स्थानीय नेताओं द्वारा दिया जाता राजनीतिक संरक्षण बड़ी सीमा तक उत्तरदायी बनता है।
हम समझते हैं कि नि:सन्देह इस प्रकार के सड़क सुरक्षा सप्ताह तभी सार्थक हो सकते हैं यदि उन्हें इनकी मूल भावना के साथ मनाया जाए, और उनका पालन भी किया जाए। सड़कों पर अवैध कब्ज़ों और कटों को तत्काल खत्म किया जाना चाहिए। इस अवसर पर परिवहन मंत्री की उपस्थिति में ही यह स्वीकार भी किया गया कि सड़कों पर अवैध कट-मार्गों को बंद किये जाने की बड़ी ज़रूरत है। हम समझते हैं कि ऐसी दुर्घटनाएं और मौतें तभी रुक सकती हैं यदि राजनीतिक इच्छा-शक्ति के साथ सम्बद्ध सुरक्षा उपायों को अपनाया जाए।