लिव-इन रिलेशनशिप : महिलाओं के साथ बर्बरता कब तक ?

गत 28 मई को 18 वर्षीय विकृत मानसिकता वाले साहिल ने 16 साल की साक्षी की बहुत ही निर्मम तरीके से दिन-दहाड़े हत्या कर दी थी। उस पर चाकू के वार किए थे, इसके बाद भी जब दिल नहीं भरा तो एक भारी भरकम पत्थर से उसके चेहरे को कुचला दिया। देश इस दरिदंगी की खौफनाक मूर्छा से अभी बाहर भी नहीं आया था कि मुम्बई के उपनगर मीरा रोड में एक अधेड़ हत्यारे मनोज साने ने साहिल की बर्बरता को मात दे दी। 
7 जून का दिन शायद कलंक के कैलेंडर में एक और खौफनाक दिन के रूप में दर्ज होना था, तभी मीरा रोड इलाके के गीता नगर फेज-7 में फ्लैट में रहने वाले सुमेश नामक व्यक्ति को सामने वाले फ्लैट से बहुत तेज़ दुर्गंध आती हुई महसूस हुई। काफी देर तक वह उस दुर्गंध को बर्दाश्त करता रहा, लेकिन जब दुर्गंध बर्दाश्त से बाहर हो गई तो उन्होंने सामने वाले फ्लैट के दरवाज़े पर दस्तक दी, ताकि पता चल सके कि इस बदबू की वजह क्या है? फ्लैट की घंटी बजाने के थोड़ी देर बाद 56 वर्षीय मनोज साने थोड़ा-सा दरवाज़ा खोलकर पहले बाहर झांका और फिर तेज़ी से बाहर आकर दरवाज़े को बंद कर दिया। जब उससे आ रही बदबू के बारे में पूछा तो उसने कहा, मेरे यहां ऐसा कुछ नहीं है, कहीं और से आ रही होगी।
सोमेश ने बाद में जैसा कि पुलिस को बताया कि उसे मनोज की यह प्रतिक्रिया बड़ी संदिग्ध लगी। साथ ही सोमेश का यह भी कहना था कि जब उसने डोर बेल बजी तो उसे सुनाई पड़ा जैसे मनोज रूम फ्रैशनर स्प्रे कर रहा हो। बाहर निकलकर उसने तेज़ी से दरवाज़ा बंद किया और यह कहकर चला गया कि उसे कहीं बाहर जाना है और रात को10:30 बजे तक लौटेगा। इस बीच सोमेश की मां ने महसूस किया कि अब के पहले जब भी मनोज साने घर से बाहर जाता था तो उसकी लिव-इन पार्टनर 36 वर्षीय सरस्वती वैद्य उसे दरवाज़े तक विदा करने आती थी, लेकिन उस दिन वह नहीं आयी। इन सब बातों ने मां-बेटे के दिमाग में कई तरह की आशंकाएं और डर पैदा कर दिया। पहले उन्होंने बिल्डिंग की सोसायटी पदाधिकारी से बात की और फिर पुलिस को बुलाया गया। 
जब पुलिस रहस्य को जानने के लिए दरवाजे को तोड़कर अंदर गई तो घुसते ही वहां के खौफनाक दृश्य को देखकर डर गई? फ्लैट में चारों तरफ  न केवल तीखी दुर्गंध थी बल्कि लग रहा था कि अगर कुछ ही पलों में बदबू से नाक फट जाएगी। पुलिस फ्लैट के भीतर का दृश्य देखकर सन्न रह गई। फ्लैट में इधर-उधर इंसानी मांस बिखरा था। रसोई में रखी तीन बाल्टियों में खून भरा हुआ था। पलंग में एक महिला की बेरहमी से कुचली हुई बालों से भरी खोपड़ी पड़ी था और बाथरूम में किसी कुंद हथियार से काटा गया एक पैर पड़ा था। यह मंजर किसी भी हॉरर फिल्म के मंजर से कहीं भयानक था। इसे देखकर पुलिस भी दहशत में आ गई। आनन-फानन में  फोरेंसिक टीम बुलायी गई और अब सोसायटी के साथ पुलिस भी जल्द से जल्द मनोज साने को गिरफ्तार करने के बारे में सोचने लगी। अपने पड़ोसी सोमेश से मनोज यह कहकर चला गया कि वह रात 10:30 बजे लौटेगा, लेकिन लोगों ने देखा कि मनोज साने 8 बजे ही लौट आया है। वह अपने फ्लैट को खोलकर अंदर जाने की सोच ही रहा था, ठीक उसी समय उसकी नज़र वहां सादे कपड़ों में मंडरा रही पुलिस पर पड़ी, वह घबरा गया। 
उसने वहां से भागने की कोशिश की, लेकिन सजग पड़ोसियों और पुलिस की मुस्तैदी से वह ऐसा कर नहीं सका। पुलिस ने उसे गिरफ्तार करके कोर्ट में पेश किया और कोर्ट ने इस बर्बर हत्यारे को 16 जून तक के लिए पुलिस की कस्टडी में भेज दिया। इस साल के शुरु में दिल्ली में जिस बेरहमी से एक युवती को चार युवकों ने अपनी गाड़ी से कई किलोमीटर तक पहियों के बीच फंसे होने पर घसीटा था, उसके बाद लग रहा था अब इससे भयावह कोई कांड नहीं होगा। फिर श्रद्धा वाल्कर हत्याकांड सामने आया, जिसमें श्रद्धा प्रेमी ने उसके के शरीर के कई दर्जन टुकड़े करके फ्रिज में रख दिये थे। इसके बाद निक्की यादव हत्याकांड सामने आया, जिसमें हत्यारे साहिल ने उसी तरह से अपनी प्रेमिका निक्की को मारकर फ्रिज में रख दिया था, जैसे श्रद्धा के टुकड़े करके फ्रिज में रखे गये थे। इन सभी हत्याकांडों में एक के बाद एक जो बात सबसे सामान्य रही, वह यह थी कि नयी हत्या पहले वाली से ज्यादा खौफनाक थी। शाहबाद डेयरी इलाके में इस साल की देश की छठी खौफनाक हत्या थी। लग रहा था कि अब शायद हत्यारे इससे तौबा कर दें, लेकिन  56 वर्षीय बर्बर हत्यारे मनोज साने ने सभी हत्यारों की दरिंदगी को फीका कर दिया।
जिस तरह से उसने अभी कुछ सालों पहले ही ज़िंदगी में आयी अपनी 36 वर्षीय महिला मित्र सरस्वती को बर्बरता से आरी से काटा, चाकू के छोटे-छोटे किये और फिर उन्हें कूकर में पकाकर कुछ टुकड़ों को बाहर कुत्तों को खिलाया और कुछ को दूसरे तरीके से ठिकाने लगाया, वह सब सुन और जानकर ऐसा लगता है मानो बर्बर हत्यारों के बीच एक मुकाबला चल रहा है, जिसमें हर बर्बर यह साबित करना चाहता है कि उससे ज्यादा क्रूर कोई दूसरा नहीं है। यह छोटी-मोटी घटना नहीं है। यह समाज के गंभीर रूप से मनोरोगी हो जाने की तरफ  इशारा करता है। आज जब महिलाएं हर क्षेत्र में पुरुषों से होड़ ले रही हैं, हर कठिन से कठिन काम में वे सफलतापूर्वक अपनी उपस्थिति को मूल्यवान बना रही हैं तो महिलाओं के उभार से कुंठित ये तथाकथित मनोरोगी प्रेमी उन्हें सहन नहीं कर पा रहे और बहुत ही वीभत्स तरीके से अपने रास्ते से हटा रहे हैं।

-इमेज रिफ्लेक्शन सेंटर