शीघ्र हो सकता है कांग्रेस वर्किंग कमेटी में बड़ा फेरबदल

कांग्रेस नेता राहुल गांधी के 18 जून को भारत लौटने की उम्मीद है। उनके आने के शीघ्र बाद पार्टी के संगठनात्मक ढांचे में एक बड़ा फेरबदल करने के लिए अहम फैसले लिए जा सकते हैं। सूत्रों के अनुसार कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने इसके लिए पहले ही ज़मीन तैयार कर ली है तथा इस माह के अंत तक कांग्रेस वर्किंग कमेटी की घोषणा की जा सकती है। चर्चा है कि के.सी. वेणुगोपाल, शशि थरूर, दिग्विजय सिंह, तारिक अनवर, रणदीप सुरजेवाला, सलमान खुर्शीद, प्रमोद तिवारी, राजीव शुकला, इमरान प्रतापगढ़ी, सैय्यद नासिर हुसैन, अलका लांबा, जीतू पटवारी, दीपेन्द्र सिंह हुड्डा, पवन खेड़ा तथा अमरेन्द्र सिंह बराड़ (राजा वड़िंग) को कांग्रेस वर्किंग कमेटी में स्थान मिलने की सम्भावना है। इसके अलावा कांग्रेस वर्किंग कमेटी में 2024 चुनाव लड़ने के लिए नई ऊर्जा के संचार के उद्देश्य से फेरबदल तथा नये सदस्यों को शामिल किया जा सकता है। मौजूदा कांग्रेस वर्किंग कमेटी में 25 स्थायी इनवाइटीज़ के साथ-साथ कई विशेष इनवाइटीज़ तथा अग्रिणी संगठनों जैसे कि महिला कांग्रेस, यूथ कांग्रेस आदि के प्रमुख हैं। कांग्रेस ने अपनी कार्यकारिणी समिति में अनुसूचित जाति (एस.सी.), अनुसूचित जन-जाति (एस.टी.), तथा अन्य पिछड़े वर्ग (ओ.बी.सी.), महिला, युवाओं तथा अल्पसंख्यकों के लिए 50 प्रतिशत आरक्षण मुहैया करवाने के लिए अपने संविधान में संशोधन किया था। पार्टी ने सी.डब्ल्यू.सी. सदस्यों की संख्या भी पहले के मुकाबले 25 से बढ़ा कर 35 कर दी थी।


अलग-अलग पार्टियों का ‘मिशन उ.प्र.’ 

उत्तर प्रदेश में भाजपा तथा समाजवादी पार्टी ने 2024 के लोकसभा चुनावों के लिए अपने-अपने स्तर पर तैयारियां शुरू कर दी हैं। पार्टी कार्यकर्ताओं को प्रेरित करने तथा सामाजिक न्याय की राजनीति को हासिल करने के लिए समाजवादी पार्टी ने अपने नेताओं, विशेष रूप से पिछड़े वर्ग से संबंधित नेताओं को निर्देश दिए हैं कि वह ग्रामीण स्तर पर अधिक से अधिक लोगों के साथ बैठकें करें ताकि जाति जनगणना के महत्त्व एवं ज़रूरत संबंधी लोगों को जागरूक किया जा सके। इसके अलावा समाजवादी पार्टी ने उत्तर प्रदेश में 2024 के लोकसभा चुनावों के लिए एक चुनाव क्षेत्र-विशेष चुनाव रणनीति बनाने के लिए एक बहु-अभिलाषी योजना भी तैयार की है तथा इसी कड़ी के तहत प्रत्येक सीट पर सांसदों की कारगुज़ारी, खास तौर पर विरोधी पार्टियों द्वारा जीते गए सांसदों के प्रदर्शन जैसी जानकारी एकत्रित करनी शुरू कर दी है। समाजवादी पार्टी चाहती है कि इसके नेता महंगाई, बेरोज़गारी आदि जैसी आम उम्मीदों के अलावा लोगों की खास उम्मीदों पर ध्यान दें। इस दौरान भाजपा अपने 2019 के प्रदर्शन को दोहराने के लिए उतावली है, जिसके लिए उत्तर प्रदेश महत्त्वपूर्ण प्रदेश है। भगवा पार्टी ने प्रदेश में सर्वेक्षण तथा लोगों तक सम्पर्क बनाने का अभियान  शुरू कर दिया है। बसपा ने सीटों के मामले में उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों में अपनी सबसे बुरी हार दर्ज करने के साथ, 403 सदस्यीय सदन में सिर्फ एक सीट जीतने तथा सिर्फ 12.8 प्रतिशत मत हासिल करने के साथ, पार्टी उत्तर प्रदेश में दलित तथा मुस्लिम वोटों पर अधिक ध्यान केन्द्रित करने की योजना बना रही है। बसपा प्रमुख मायावती मुख्य रूप से कांग्रेस के पुनर्गठन के शुरू होने के बाद अपनी मूल दलित वोट को लेकर चिंतित है। कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे तथा इसके उत्तर प्रदेश अध्यक्ष बृजलाल ़खबरी दोनों दलित हैं। कांग्रेस ने दलित वोटों पर भी अपना ध्यान केन्द्रित किया है, जो बसपा के गठन से पहले कांग्रेस के पारम्परिक मतदाता थे।

क्या समय से पहले होंगे लोकसभा चुनाव?

अगले वर्ष लोकसभा चुनावों में विरोधी पार्टियों को मौजूदा भाजपा के विरुद्ध एक मंच पर लाने के प्रयास में, बिहार के मुख्यमंत्री नितीश कुमार की अध्यक्षता में 23 जून को पटना में समान विचारधारा वाली राजनीतिक पार्टियों का एक सम्मेलन आयोजित किया जाएगा। बैठक में 20 से अधिक राजनीतिक पार्टियां शामिल होंगी। ग्रामीण कार्य विभाग के एक कार्यक्रम दौरान, जिसमें उन्होंने वीडियो कांफ्रैंसिंग द्वारा 6680.67 करोड़ रुपये के 5061 प्रोजैक्टों का शिलान्यास तथा उद्घाटन किया, नितीश कुमार ने 2024 के लोकसभा चुनावों की सम्भावित तैयारियों का संकेत दिया है। नितीश कुमार ने अधिकारियों को चुनावों से पहले कामकाज पूरा करने भी कहा है। बिहार में महागठबंधन (जी.ए.) के नेताओं ने कहा कि 23 जून को विरोधी एकता की बैठक के दौरान समय से पहले लोकसभा चुनाव का मुद्दा मुख्य एजैंडे पर हो सकता है। ओडिशा के मुख्यमंत्री बीजू पटनायक तथा उनके तेलंगाना के समकक्ष के. चन्द्रशेखर राव को छोड़ कर लगभग सभी नेता बैठक में पहुंचेंगे।

शिंदे बनाम फड़णवीस

सूत्रों ने बताया कि महाराष्ट्र के समाचारों पत्रों में ‘मोदी फार इंडिया, शिंदे फार महाराष्ट्र की पंक्तियों से प्रथम पृष्ठ पर विज्ञापन प्रकाशित होने के बाद भाजपा के केन्द्रीय नेतृत्व ने इस मामले में हस्तक्षेप किया तथा महाराष्ट्र के मौजूदा मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को इस बाबत कड़ी चेतावनी दी है। जिस बात को लेकर भाजपा नेतृत्व ने नाराज़गी जताई है, वह यह कि शिंदे के नेतृत्व वाली महाराष्ट्र सरकार द्वारा प्रकाशित करवाए गए इस विज्ञापन में प्रदेश में भगवा पार्टी के चेहरे उप-मुख्यमंत्री फड़णवीस को नज़रादांज़ किया गया था। विज्ञापन में सिर्फ मोदी तथा शिंदे की तस्वीरें दिखाई गईर्ं तथा इसके साथ एक सर्वेक्षण का सन्दर्भ दिया गया है, जिसमें संकेत दिया गया कि मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे उप-मुख्यमंत्री फड़णवीस की तुलना में ज्यादा लोकप्रिय हैं। सर्वेक्षण में दावा किया गया कि महाराष्ट्र के 26.1 प्रतिशत लोग शिंदे को मुख्यमंत्री बनाना चाहते हैं, जबकि 23.2 प्रतिशत फड़णवीस को आगामी मुख्यमंत्री के रूप में देखना चाहते हैं। अगले दिन समाचार पत्रों में एक और विज्ञापन प्रकाशित करवाया गया, जिसमें शिंदे तथा फड़णवीस के लहराते हुये  चित्र थे। इसने संकेत दिया कि विरोधियों के 34.6 प्रतिशत की तुलना में शिवसेना-भाजपा गठबंधन को 46.4 प्रतिशत लोगों ने पसंद किया है। जबकि दिल्ली के भाजपा नेता विकास को लेकर चिंतित थे, क्योंकि इससे पता चलता है कि महाराष्ट्र के नेताओं- फड़णवीस तथा शिंदे के बीच संबंध सुखद नहीं थे, वह चिंतित हैं कि अगले वर्ष होने वाले लोकसभा चुनावों तथा उसके बाद होने वाले विधानसभा चुनावों में पार्टी को नुकसान हो सकता है। (आई.पी.ए.)