पैसा कमायें पर राष्ट्रीय गौरव...?

 

हाल ही में क्रिकेट के टैस्ट मैच में अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत बुरी तरह पराजित हुआ।  क्योंकि यह एक ग्लोबल मैच था जो भारत की तरफ से रोहित शर्मा की कप्तानी में खेला गया और जाने-माने खिलाड़ी रह चुके सम्मानित राहुल द्रविड़ के निर्देशन में खेला गया। मैच आस्ट्रेलिया की टीम के साथ था। जब एक बड़े मैच में आप बुरी तरह पराजित होते हैं तो सवाल उठते ही हैं। 
वैसे हार-जीत लगी रहती है परन्तु एक बड़े मैच में जब आप ढंग से मुकाबला भी नहीं करते और आपके खिलाड़ी अपनी ही प्रतिष्ठा के अनुरूप नहीं उतरते, तब सवाल ज्यादा तीखे हो जाते हैं और अपनी खेल-क्षमता से आपने जिन क्रिकेट प्रेमियों के दिलों में जगह बनाई होती है, वह दंग रह जाते हैं।
इस ग्लोबल मैच में भारतीय टीम पर जो प्रमुख सवाल खड़े किये जा रहे हैं वो इस प्रकार हैं-क्या टास जीत कर हमें फील्ंिडग नहीं करनी चाहिए थी? अश्विनी जैसा अनुभवी गेंदबाज़ (जो मैच की शक्ल बदल सकता है) को नहीं खिलाने का क्या कारण हो सकता है? हमारे तेज गेंदबाज़ (खासकर पहली पारी में) किस तरह गेंद कर रहे थे? उनकी लाइन-लैंथ बिगड़ गई थी? हमारे बल्लेबाज़ शाट्स का चयन क्यों ठीक से नहीं कर पा रहे थे? रोहित शर्मा, विराट कोहली, पुजारा इतने सस्ते में कैसे आऊट हो सकते हैं? एक साक्षात्कार में सौरभ गांगुली राहुल द्रविड़ से सवाल करते नज़र आये। हमारे शिखर के पांच बल्लेबाज ऐसे मुकाबलों में बिखर क्यों जाते हैं? उनके पास इस सवाल का माकूल जवाब नहीं था। ये सभी सवाल बेवजह नहीं हैं, परन्तु इन सवालों से भी ऊपर एक और बड़ा सवाल है कि जिस मैच को आप अल्टीमेट टैस्ट मान रहे हैं। पूरा मीडिया शोर मचा रहा है-उसी टैस्ट मैच के लिए आपकी अपनी तैयारी क्या थी? कोई टीम इतने बड़े मैच के लिए जब मैदान में उतरती है, पहले उसी तरह के मैच का सामना करने के लिए तैयारी करती है। 
हमारी तैयारी क्या थी? जिस पर भारतीय टीम के कप्तान रोहित शर्मा भी कहते नज़र आये कि अगर टीम को लाल गेंद से खेलने का थोड़ा अधिक समय मिला होता तो हम बेहतर प्रदर्शन कर सकते थे। इस मैच से पहले हम कहां थे? और क्या कर रहे थे? चेतेश्वर पुजारा को छोड़ हमारी पूरी टीम आई.पी. खेल रही थी। जबकि आस्ट्रेलिया के मात्र दो खिलाड़ी डेविड वार्नर और कैमरन मरीन ही थे जो आई.पी.एल. में रहे। अब देखिए विश्व चैम्पियनशिप मैच में से बल्लेबाज़ों ने आस्ट्रेलिया की तरफ से निर्णायक पारियां खेलीं, ये थे स्टीव स्मिथ और हेड। इन दोनों ने आई.पी.एल. नहीं खेला था। उधर स्काट बोलैंड गेंदबाज़ जो हमेशा लाल गेंद से ही क्रिकेट खेलना पसंद करते हैं, अच्छी गेंद कर रहे थे। आस्ट्रेलिया के सभी गेंदबाज़ों ने मैच से पहले भरपूर आराम किया था। 
बी.सी.सी.आई. के अधिकारी अपने आप को आरोप मुक्त कर सकते हैं यह कह कर कि अन्तर्राष्ट्रीय मैचों की रोडपूलिंग वही नहीं करते हैं। उनके हाथ में ऐसा कुछ भी नहीं। लेकिन क्या यह शब्दों की आड़ में छुपने का बहाना तो नहीं? उनका इतना प्रभाव है कि उनका कहा कभी उपेक्षित नहीं रहता। 
इनके उच्चाधिकारी पैसा बनाना तो जानते हैं, परन्तु किन मैचों का क्या प्रभाव होगा, इस पर ध्यान देना शायद मुनासिब नहीं समझते। उनको पता ही है कि क्रिकेट के चीन आयाम हैं- टैस्ट क्रिकेट, वन-डे इंटरनैशनल और टी-20। तीनों में क्रिकेट ही खेला जाता है। परन्तु खिलाड़ियों की क्षमता, धैर्य, प्रतिभा की परख अलग-अलग होती है। आई.पी.एल. उन्हें धन लुटाने वाली मशीन नज़र आती है तो बात अलग ही है। आज की नई पीढ़ी का रूझान भी टी-20 में ज्यादा है। लेकिन टैस्ट मैच आपकी क्षमता, धैर्य और पकड़ का पूरा इतिम्हान लेता है। 2008 में जिसे एक प्रयोग की तरह इस्तेमाल किया गया था आज युवा पीढ़ी की ज़बरदस्त आकांक्षा और सपना बन चुका है। कुछ ही समय में अच्छा परफार्म करने वाले खिलाड़ी प्रशंसा तो पाते ही हैं। धन भी काफी मिल जाता है। अच्छा खिलाड़ी हर साल निखरता है और लाखों रुपया बटोरता है, परन्तु देश के लिए अच्छा खेल कर गौरव पाना क्या उससे अधिक बड़ी बात नहीं है? खिलाड़ी क्या इसका भी ध्यान रख पाएंगे।  ऐसे में सुझाव दिया जा रहा है कि टी-20 और टैस्ट में अलग-अलग हों, क्योंकि दोनों का मिजाज अलग-अलग है। तब शायद हम अपने देश के लिए अच्छे परिणाम पा सकते हैं।