एमरजेंसी : लोकतंत्र का काला अध्याय

एमरजेंसी भारत के इतिहास का वह काला अध्याय है जिसमें हज़ारों लोग ज़्यादती के शिकार हुए।  25 जून, 2023 को आपातकाल की 48वीं वर्षगांठ पर बीते कुछ सालों की तरह मीडिया पर आज भी इसकी खूब चर्चा है। देश में 25 जून 1975 से 21 मार्च 1977 तक की 21 महीने की अवधि का आपातकाल था। इस दौरान जोर जुल्म, भ्रष्टाचार, तानाशाही और ज्यादतियों के खिलाफ आवाज़ उठाने वाले नेताओं से लेकर सामाजिक, राजनीतिक कार्यकर्ताओं को जेल में डाल दिया गया था। प्रेस की आज़ादी को कुचल दिया गया। हमेशा की तरह भाजपा समर्थकों और अन्य लोगों ने कांग्रेस को जमकर निशाना बनाया है। भाजपा का आरोप है कि कांग्रेस लोकतंत्र को समाप्त करने पर उतारू है और उसने आपातकाल से कोई सबक नहीं सीखा, वहीं  कांग्रेस कह रही है मोदी ने देश में अघोषित आपातकाल लगा रखा है। तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 25-26 जून, 1975 को देश में आंतरिक आपातकाल घोषित किया था। यह 19 महीने तक लागू रहा। इस दौर को भारतीय लोकतांत्रिक राजनीति में काले दिनों के रूप में याद किया जाता है। इंदिरा गांधी का दावा था कि जयप्रकाश नारायण ने सशस्त्र बलों से कहा था कि कांग्रेस शासकों के अवैध आदेशों को नहीं मानें। इसने देश में अराजकता की स्थिति उत्पन्न कर दी और भारतीय गणतंत्र का अस्तित्व खतरे में पड़ गया था। इसलिए संविधान के अनुच्छेद 352 के तहत आपातकाल घोषित करने के अतिरिक्त कोई विकल्प नहीं रह गया था। आपातकाल के दौरान लोकतंत्र को कुचल दिया गया था और तमाम विपक्षी नेताओं को जेल में डाल दिया गया था। बर्बरता और बेरहमी के साथ राजनीतिक विरोधियों पर जुल्म की पराकाष्ठा हुई। आपातकाल भारतीय लोकतंत्र पर सबसे बदनुमा धब्बा और देश के प्रजातंत्र के इतिहास का सबसे काला दिन है। आपातकाल में कई तरह के काले कानून लागू किए गए। लाखों लोगों को गिरफ्तार किया गया। आपातकाल का विरोध करने पर मीसा और डीआईआर जैसे कानूनों का उपयोग कर देश में लाखों लोग जेल में बंद कर दिए गए
आपातकाल लगने के 48 वर्ष पूरे होने के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आपातकाल को लोकतंत्र का काला दिवस बताते हुए कहा कि इसे कभी नहीं भुलाया जा सकता। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि 1975 में आपातकाल लगाकर कांग्रेस पार्टी ने लोकतांत्रिक मूल्यों को रौंदा था। मोदी ने उन सभी लोगों को याद किया जिन्होंने आपातकाल लगाए जाने का विरोध किया था और भारतीय लोकतंत्र को बचाया था। उन्होंने कहा कि देश आपातकाल के काले दिन को कभी नहीं भुलाया जा सकता और 1975 से 1977 के दौरान संस्थानों को सुनियोजित तरीके से खत्म किया गया। गृह मंत्री अमित शाह ने भी आपातकाल को लेकर कांग्रेस पार्टी के ऊपर जमकर निशाना साधा। गृह मंत्री ने कहा है कि 1975 में एक परिवार के विरोध में उठने वाले स्वरों को कुचलने के लिए आपातकाल को थोपा गया था। अमित शाह ने अपने ट्विट संदेश में कहा कि एक परिवार के विरोध में उठने वाले स्वरों को कुचलने के लिए थोपा गया आपातकाल आजाद भारत के इतिहास का एक काला अध्याय है। 21 महीनों तक निर्दयी शासन की क्रूर यातनाएं सहते हुए देश के संविधान व लोकतंत्र की रक्षा के लिए निरंतर संघर्ष करने वाले सभी देशवासियों के त्याग व बलिदान को नमन।