लोकसभा चुनाव से पहले दिलचस्प मोड़ ले सकती है महाराष्ट्र की राजनीति

शिवसेना के एक विज्ञापन का दावा है कि एकनाथशिंदे मुख्यमंत्री के लिए महाराष्ट्र के लोगों की पहली पसंद हैं और देवेंद्र फडणवीस तस्वीर में कहीं नहीं हैं। जिन विज्ञापनों में मोदी की तस्वीर नहीं भूली, उन पर महाराष्ट्र के उप-मुख्यमंत्री का चेहरा नहीं दिखा। क्या यह शिंदे और फडणवीस के बीच ‘उग्र झगड़े’ का संकेत है? क्या ऐसा हो सकता है कि शिंदे विद्रोह के लिए पूरी तरह तैयार हैं, एक तरह के ‘घरवापसी’ के लिए, हालांकि राज्यसभा सांसद संजय राउत ने शिंदे सेना को अब ‘मोदी-शाह शिवसेना’ कहकर इस संभावना को खारिज कर दिया।
फिर राउत शुद्ध जहर हो सकते हैं! उन्होंने कहा कि शिंदे-भाजपा की चमक फीकी पड़ती दिख रही है। विधानसभा और लोकसभा चुनाव नज़दीक आने के साथ ही शिंदे पोल पोजीशन के लिए जुगाड़ लगा रहे हैं। जादू टूट गया है। कुछ लोग इसे ‘भयंकर लड़ाई’ बता रहे हैं। लेकिन परिभाषा के अनुसार झगड़े पीढ़ियों तक चलते हैं। शिंदे-फडणवीस आपस में झगड़े को अंतिम मुकाम तक पहुंचाने वाले लोगों में नहीं हो सकते। हालांकि मुख्यमंत्री एकनाथशिंदे और पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के बीच संभावित झगड़े से इंकार नहीं किया जा सकता है। ये दोनों शिवसेना के संस्थापक बालासाहेब ठाकरे की विरासत पर दावा करते हैं। शिंदे के विज्ञापन में शिवसेना के संस्थापक बालासाहेब ठाकरे की तस्वीर नहीं है और कहा गया है कि शिवसेना (यूबीटी) इस बात का सुबूत है कि एकनाथशिंदे वाली शिवसेना ने बालासाहेब ठाकरे की विरासत पर दावा करने का अपना नैतिक अधिकार खो दिया है।
तथाकथित शिंदे-फड़णवीस झगड़े पर वापस आते हैं। एकनाथशिंदे 22 जून, 2022 से महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री हैं और देवेंद्र फडणवीस उनके डिप्टी हैं। शिंदे के लिए यह प्रमोशन था। फडणवीस के लिए, डिमोशन! टकराव की उम्मीद थी। शिंदे को महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री बनाकर संभावित टकराव के लिए मंच तैयार कर दिया गया था। अब ऐसा लगता है कि समय आ गया है। लोग पूरे पृष्ठ के विज्ञापनों में इसका प्रमाण देखते हैं। मुख्यमंत्री एकनाथशिंदे उप-मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से बड़े हैं और वर्तमान राजनीतिक व्यवस्था और आकलन बना रहना चाहिए।
शिंदे और फडणवीस दोनों पोल पोजीशन के लिए जुगलबंदी कर रहे हैं। तथ्य यह है कि मुख्यमंत्री एकनाथशिंदे के पास अपने कार्यकाल के दौरान दिखाने के लिए कुछ खास नहीं है, पर फडणवीस के पास था। शिंदे को मोदी के करीब देखकर देवेंद्र फडणवीस कांप रहे होंगे! कोई आश्चर्य नहीं कि संजय राउत ने आश्चर्य जताया कि क्या शिवसेना है या शिंदे शिवसेना का भाजपा में विलय हो गया है? शिंदे शिवसेना का पूरे पृष्ठ का विज्ञापन ‘भारत के लिए मोदी, महाराष्ट्र के लिए शिंदे’ एक सर्वेक्षण पर आधारित है जो शिंदे को राज्य के शीर्ष पद के लिए सबसे उपयुक्त घोषित करता है।
लोगों ने प्रतिक्रिया दी और शिवसेना (यूबीटी) के राज्यसभा सांसद संजय राउत पहले डेढ़ मील दूर थे। उन्होंने शिंदे शिवसेना को ‘मोदी-शाह शिवसेना’ का उपनाम दिया। अब सवाल यह है कि क्या शिवसेना (यूबीटी) को शिंदे और फडणवीस से ‘ईर्ष्या’ है जो ‘भाइयों की तरह काम कर रहे हैं’? शिवसेना का धनुष-बाण चुनाव चिन्ह शिंदे सेना के हाथ में है। यह एक कारण हो सकता है कि संजय राउत क्यों ‘ईर्ष्या’ करें। महाराष्ट्र विकास अघाड़ी, जिसका शिवसेना (यूबीटी) एक घटक है, का कहना है कि भाजपा ‘मोदी-शाह शिवसेना’ को हर विधानसभा और लोकसभा सीट के लिए भीख मांगने पर मजबूर कर देगी, चाहे जिस किसी भी सीट पर वह दावा करेगी।
देवेंद्र फडणवीस के ऊपर मुख्यमंत्री एकनाथशिंदे को प्रोप करने के लिए सर्वेक्षण कहता है, ‘महाराष्ट्र में 26.1 प्रतिशत लोग एकनाथशिंदे को जबकि 23.2 प्रतिशत लोग देवेंद्र फडणवीस को अगले मुख्यमंत्री के रूप में चाहते हैं।’ 2014 से 2019 तक मुख्यमंत्री रहे फडणवीस अब, उन्हें बताया जा रहा है कि मुख्यमंत्री एकनाथशिंदे मुख्यमंत्री के लिए कहीं बेहतर आंकड़ा वाले हैं और महाराष्ट्र के लगभग 50 प्रतिशत नागरिक चाहते हैं कि भारतीय जनता पार्टी-शिवसेना का गठबंधन सीएम शिंदे के साथ बना रहे! 
एक प्रमुख टेलीविजन चैनल द्वारा किये गये सर्वेक्षण में विश्वसनीयता की कमी है क्योंकि इसने कर्नाटक में भाजपा की भारी जीत की भविष्यवाणी की थी और अभी 13 जून को ही कहा था कि भाजपा मध्य प्रदेश को जीत लेगी! चैनल के महाराष्ट्र चुनाव सर्वेक्षण में कहा गया है कि 30.2 प्रतिशत महाराष्ट्र के  नागरिकों ने भारतीय जनता पार्टी को और 16.2 प्रतिशत ने एकनाथशिंदे की शिवसेना को पसंद किया, यानी 46.4 प्रतिशत लोगों ने भाजपा और शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना गठबंधन को समर्थन दिया। इसमें त्रुटि की संभावना तीन प्रतिशत कम या अधिक बतायी गयी। सुनने में यह सब बहुत अच्छा लग रहा था, लेकिन पूरे पेज के विज्ञापनों ने फडणवीस की खुशी पर पानी फेर दिया, जबकि भाजपा ने उन्हें कम महत्व दिया। महाराष्ट्र भाजपा अध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले परेशान हैं। वह कहते हैं, ‘यह हमेशा चुनाव परिणाम होता है जो यह तय करता है कि मतदाताओं के लिए कौन सी पार्टी या नेता अधिक स्वीकार्य है।’