विपक्षी पार्टियों की सरकारों को परेशान कर रहे हैं राज्यपाल

विपक्ष शासित राज्यों के राज्यपालों में खुद को केंद्र सरकार का वफादार साबित करने की होड़ लगी हुई है। इस होड़ में वे अपने राज्यों की सरकारों को नीचा दिखाने और उनके कामकाज में रोड़े अटकाने के लिए आए दिन कुछ न कुछ करते रहे हैं। ऐसा करते हुए वे नैतिकता, अपने पद की गरिमा, संवैधानिक मर्यादा और कानून तक को खूंटी पर टांग रहे हैं। इस सिलसिले में तमिलनाडु के राज्यपाल आर.एन. रवि ने मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन की सलाह या सिफारिश के बगैर ही गत गुरुवार को राज्य के आबकारी मंत्री वी. सेंथिल बालाजी को मंत्रि परिषद से बर्खास्त कर दिया। 
बर्खास्तगी का आदेश दोपहर में जारी किया गया था, लेकिन महज पांच घंटे बाद राज्यपाल ने खुद ही अपने फैसले को स्थगित कर दिया और कहा कि अब वह इस मामले में अटॉर्नी जनरल की राय लेंगे। कुछ समय पहले इन्हीं राज्यपाल महोदय ने राज्य के तमिलनाडु नाम पर एतराज़ उठाते हुए उसका नाम बदलने का सुझाव दिया था, क्योंकि तमिलनाडु नाम में उन्हें अलगाव की बू आ रही थी। उधर पश्चिम बंगाल में राज्यपाल सी.वी. आनंद बोस ने 20 जून को राजभवन में ज़िदपूर्वक पश्चिम बंगाल का स्थापना दिवस मनाया। ऐसा उन्होंने बंगाल विभाजन के दुखद इतिहास और उसके मद्देनज़र मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के एतराज़ को नज़रअंदाज़ करते हुए किया। पश्चिम बंगाल में राज्यपाल रहते हुए जगदीप धनखड़ ने भी राज्य सरकार को खूब परेशान किया था। उन्हें पदोन्नत कर उप-राष्ट्रपति बना दिया गया। केरल के राज्यपाल आरिफ  मोहम्मद खान भी ऐसे ही राज्यपालों में शुमार किए जाते हैं। 
ड्रोन सौदे पर भी राफेल जैसा सवाल
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमरीका यात्रा में हुए प्रीडेटर ड्रोन खरीदने के करार को लेकर राफेल जैसा विवाद शुरू हो गया है। दिलचस्प संयोग है कि राफेल विमानों के सौदे के समय भी तब के रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर मौजूद नहीं थे और प्रीडेटर ड्रोन के सौदे के समय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह भी मौजूद नहीं रहे। दूसरा सवाल इसकी कीमत को लेकर उठाया जा रहा है, जिस पर रक्षा मंत्रालय ने सफाई दी है कि विपक्ष जिस कीमत का हवाला दे रहा है, वह अंतिम नहीं है। अभी बातचीत होनी है और मोलभाव के बाद कीमत तय होगी। मीडिया की खबरों के मुताबिक 31 प्रीडेटर ड्रोन यानी एमक्यू-9बी की कीमत तीन अरब डॉलर है। इस लिहाज से एक ड्रोन की कीमत करीब 10 करोड़ डॉलर का यानी आठ सौ करोड़ रुपये है। विपक्ष का आरोप है कि ब्रिटेन ने यही ड्रोन सवा करोड़ पाउंड में यानी करीब 115 से 120 करोड़ रुपये में खरीदा है जबकि भारत आठ सौ करोड़ रुपये में खरीद रहा है। कीमत में आठ गुना तक अंतर बताया जा रहा है। बताया जा रहा है कि जनरल एटॉमिक्स नाम की जो कम्पनी इसे बनाती है, उसके सीईओ भारतीय मूल के विवेक लाल है जो पहले रिलायंस समूह के साथ काम कर चुके हैं। कम्पनी यही ड्रोन अमरीका को किस कीमत पर बेचती है, उसका भी एक आंकड़ा चर्चा में है। सो, कुल मिला कर अंतिम तौर पर सौदा होने से पहले ही सौदे के तौर-तरीके और कीमत को लेकर विवाद खड़ा हो गया है।
राहुल को लेकर भाजपा पसोपेश में
राहुल गांधी कांग्रेस में किसी पद पर न होते हुए भी भाजपा के लिए सिरदर्द बने हुए हैं। पार्टी के शीर्ष नेतृत्व को समझ में नहीं आ रहा है कि राहुल गांधी की सक्रियता को लेकर पार्टी को क्या रुख अपनाना चाहिए। कभी तो राहुल के किसी बयान या एक्शन पर प्रतिक्रिया देने के लिए केंद्रीय मंत्रियों, भाजपा प्रवक्ताओं की फौज मैदान में आ डटती है तो कभी पार्टी की ओर से कहा जाता है कि हम राहुल गांधी को गंभीरता से नहीं लेते हैं। जैसे राहुल ने अभी हिंसा प्रभावित मणिपुर जाने का ऐलान किया तो सोशल मीडिया में भाजपा के कई नेताओं ने सवाल उठाया कि वह कौन हैं, जो मणिपुर जा रहे हैं? यह भी कहा गया कि वह न तो कांग्रेस के अध्यक्ष हैं और न ही सांसद है, तो फिर किस हैसियत से मणिपुर जा रहे हैं? एक तरफ  भाजपा के लोग खुद ही राहुल गांधी को आम आदमी ठहरा रहे हैं और उनकी हैसियत पूछ रहे हैं तो दूसरी ओर राहुल गांधी के खिलाफ  मुंह खोलने के लिए हमेशा तैयार रहने वाली केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने प्रेस कांफ्रैन्स करके आरोप लगाया कि राहुल गांधी अपनी अमरीका यात्रा में जॉर्ज सोरोस के फाउंडेशन से मदद लेने वाली महिला सुनीता विश्वनाथ से मिले थे। उन्होंने कहा कि राहुल को बताना चाहिए कि क्यों मिले थे? अब सवाल है कि जब राहुल की कोई हैसियत नहीं है तो फिर वह किससे मिले, इससे क्या फर्क पड़ता है और उन्हें क्यों किसी को जवाब देना चाहिए कि वह किससे मिले?
भाजपा ने तेलंगाना में उम्मीदें छोड़ी 
तेलंगाना में पिछली बार भाजपा 117 में से सिर्फ तीन विधानसभा सीट जीती थी लेकिन उसके बाद 2019 के लोकसभा चुनाव में 17 में से चार सीट जीत गई। उसके बाद से ही भाजपा तेलंगाना में मेहनत कर रही थी और अच्छा प्रदर्शन करने की बहुत उम्मीदें पाल रखी थीं। के. चंद्रशेखर राव की सरकार के खिलाफ  दस साल के सत्ता विरोधी माहौल को देखते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा अध्यक्ष जे.पी. नड्डा लगातार तेलंगाना के दौरे कर रहे थे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी पिछले एक साल में चार मर्तबा तेलंगाना की यात्रा की, लेकिन अब भाजपा का तेलंगाना अभियान ठंडा पड़ रहा है। यही नहीं पार्टी के प्रादेशिक नेताओं के बीच आपसी कलह भी गहराती जा रही है, जिसे सुलझाने की कोशिश अमित शाह और नड्डा दोनों कर रहे हैं। पिछले हफ्ते तेलंगाना के दो भाजपा नेताओं एटेला राजेंदर और के. राजगोपाल रेड्डी ने दिल्ली में शाह और नड्डा से मुलाकात की। दोनों नेता ज़मीनी स्तर हैं और दोनों ने बताया कि संगठन में बहुत गड़बड़ी है और पार्टी की चुनावी तैयारी बहुत अच्छी नहीं है। दूसरी ओर कांग्रेस ने यह प्रचार शुरू कर दिया है कि अंदरखाने के.सी. राव और भाजपा में इस बात पर समझौता हो गया है कि विधानसभा चुनाव में भाजपा के.सी. राव की मदद करेगी और लोकसभा चुनाव में के.सी.आर. भाजपा की मदद करेंगे। पिछले दिनों के.सी. राव ने प्रधानमंत्री मोदी को अपना बेस्ट फ्रैंड बताया तो उसके बाद उनके बेटे के.टी. रामा राव ने दिल्ली आकर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से मुलाकात की। 
क्रिकेट की नई राजधानी अब अहमदाबाद
विश्व क्रिकेट का मक्का लंदन के लॉर्ड्स को कहा जाता है। इसी तर्ज पर भारत में क्रिकेट का मक्का या क्रिकेट की राजधानी मुम्बई या कोलकाता को माना जाता है। मुम्बई का वानखेड़े स्टेडियम और कोलकाता का ईडन गार्डन हर बड़े मैच की मेजबानी करते रहे हैं, लेकिन अब तस्वीर बदल गई है। अब भारतीय क्रिकेट की नई राजधानी अहमदाबाद है और हर बड़े मैच की मेजबानी नरेंद्र मोदी स्टेडियम करता है। अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट परिषद ने एक दिवसीय क्रिकेट के विश्व कप मुकाबले का जो कार्यक्रम जारी किया है, उससे यह बात और स्पष्ट हो गई है। इस विश्व कप के उद्घाटन और फाइनल मैच सहित लगभग सारे बड़े मैच नरेंद्र मोदी स्टेडियम में खेले जाएंगे। विश्व कप का सबसे रोमांचक और चर्चित मुकाबला भारत और पाकिस्तान का होता है और यह मुकाबला भी इसी स्टेडियम में होगा। अगर क्रिकेट की उप-राजधानी की बात करें तो उस रूप में हिमाचल प्रदेश का धर्मशाला उभर रहा है। विश्व कप में होने वाले 48 मैचों में से पांच मैच धर्मशाला स्टेडियम में खेले जाएंगे, जबकि मोहाली और तिरुवनंतपुरम के शानदार स्टेडियमों में एक भी मैच नहीं खेला जाएगा। विश्व कप से पहले आईपीएल के भी बड़े मैच नरेंद्र मोदी स्टेडियम में खेले गए। फाइनल भी उसी मैदान पर हुआ। गौरतलब है कि पहले इस स्टेडियम का नाम सरदार पटेल स्टेडियम था, जिसका नाम बाद में नरेंद्र मोदी स्टेडियम कर दिया गया।