सब के लिए हितकर है समान नागरिक संहिता

भारतीय संविधान विश्व के चुनिंदा आदर्श संविधानों में से एक है। हमारे संविधान निर्माताओं ने बड़े सोच-विचार के उपरांत इसमें यह प्रावधान तो किया कि देश में समान नागरिक संहिता को अपनाना है, किन्तु अन्य कई मामलों जैसे राष्ट्र भाषा के रूप में हिन्दी, आरक्षण, काश्मीर या पूर्वोत्तर के मसलों पर लचीली व्यवस्था के अंतर्गत समान नागरिक संहिता को भी तुरंत अपनाया नहीं गया और न ही इसके लिये कोई समय सीमा निर्धारित की गई। परिणाम यह हुये कि वोट की तुष्टीकरण की राजनीति ने अपने पांव फैला लिये और विविधता का हवाला देकर इस अति आवश्यक कार्य को सरकारों द्वारा लगातार टाला जाता रहा।
पहले जब पूर्ण बहुमत की सरकारें थीं तो उन्होंने अपने वोट बैंक को बनाये रखने के लिये समान नागरिक संहिता को नहीं अपनाया, फिर बीच में संविद सरकारें बनी तब तो इसे लागू करना वैधानिक तरीके से संभव ही नहीं था। अब जब भाजपा की पूर्ण बहुमत की सरकार है, तब भी अन्य मुद्दों की प्राथमिकता के चलते अब तक इसे लागू नहीं किया गया है। अब जब देश में समन्वय, समरसता के लिये इसे लागू करने के प्रयास शुरू हुये हैं तो एक लम्बित बड़े कार्य को बहुमत के समर्थन के बाद भी विपक्षी दलों में से कोई इसे ध्रुवीकरण का बहाना कह रहा है तो कोई इसे जैसा चल रहा है, वैसे चलते रहने की सलाह देता है। कुछ कट्टर पंथियों में बेवजह एक आदर्श व्यवस्था में उनकी जड़ता की वजह से खतरा लग रहा है।
 फिलहाल समान नागरिक संहिता भारत में नागरिकों के लिए एक समान कानून को बनाने और लागू करने का एक प्रस्ताव है जो सभी नागरिकों पर समान लागू होना है। वर्तमान में विवादास्पद स्थिति यह है कि धर्मनिरपेक्ष होते हुये भी हमारे देश में विभिन्न धार्मिक नियमों के अनुसार कुछ धर्मों के लोग संचालित हो रहे हैं। देश में समान नागरिक संहिता लागू हो जाने पर सही अर्थों में भारत में धर्म-निरपेक्षता लागू हो सकेगी जब सभी नागरिकों के साथ हर स्थिति में समान कानूनी व्यवहार होगा।
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 25-28 भारतीय नागरिकों को धार्मिक स्वतंत्रता की गारंटी देता है , अत: कानूनी रूप से सभी नागरिकों पर समान नियम लागू हो जाने से धार्मिक स्वतंत्रता पर किसी तरह का कोई डर बेवजह है। संविधान का अनुच्छेद 44 भारतीय राज्य से अपेक्षा करता है कि वह राष्ट्रीय नीतियां बनाते समय सभी भारतीय नागरिकों के लिए राज्य के नीति निर्देशक तत्व और समान कानून को लागू करे। सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी द्वारा चुनाव से पहले किए गए वायदों में से एक यह भी  है कि देश में यह कानून लागू किया जायेगा, इसी आधार पर जनता ने भाजपा को बहुमत से चुना था। अत: स्पष्ट है कि इस दीर्घ प्रभावी और देश हित में लागू की जाने वाली समान नागरिक संहिता को अब और लटकाया न जाये। (युवराज)