शब्दों का घाव

किसी गांव में एक गरीब व्यक्ति रहता था। जंगल से लकड़ियां काटकर लाता था और उन्हें बेच कर गुजारा करता था। वह बहुत ही ईमानदार और विनम्र स्वभाव का था। किन्तु जितना वह विनम्र स्वभाव का था, उसकी पत्नी उतनी ही कठोर स्वभाव की थी तथा हर समय उसे भला बुरा कहती रहती थी। सुबह ही वह अपने पति को नाश्ता खिला कर और दोपहर का खाना गांठ में बांध कर दे देती और जंगल में लकड़ियां काटने भेज देती। एक दिन जब वह आदमी घने जंगल में पहुंचा तो उसे वहां एक भालू आता दिखाई दिया। वह व्यक्ति भालू को देखकर एकदम से घबरा गया।  सामने मौत को देखकर उसने थोड़ी हिम्मत बटोर कर भालू से हाथ जोड़कर विनती की कि मुझे अपना मुंह बोला भाई समझ लो और मेरी जान बख्श दो। भालू को उस पर दया आ गई और उसने कहा कि जब आपने मुझे अपना मुंह बोला भाई ही कह दिया है, तो मैं आपको कैसे खा सकता हूं।  
इसके बाद उन दोनों में दोस्ती हो गई। भालू ने जंगल से मीठे-मीठे फल लाकर उस व्यक्ति को खाने को दिए। जाते-जाते व्यक्ति ने उसका धन्यवाद किया। अब जब भी वह व्यक्ति आता तो भालू उसे जंगल से लाकर मीठे-मीठे फल खाने को देता। धीरे-धीरे दोनों की दोस्ती गहरी होती चली गई। एक दिन उस व्यक्ति ने सोचा कि जब भालू मेरी इतनी सेवा कर रहा है, तो मुझे भी एक दिन इसे अपने घर ले जाकर इसका आदर सत्कार करना चाहिए और अच्छे-अच्छे पकवान खिलाने चाहिए। उसने एक दिन अपनी पत्नी से सलाह कर कहा कि मेरा मुंह बोला भाई आने वाला है इसलिए आप उसके स्वागत के लिए अच्छे-अच्छे पकवान बना कर रखना। महिला ने हामी भर दी तथा कहा कि उन्हें आप कल ही साथ ले आए। 
दूसरे दिन उसने अपने मन की बात भालू को बताई और कहा कि भाई आपकी भाभी ने आपको बुलाया है, इसलिए आपको मेरे साथ चलना पड़ेगा। भालू तैयार हो गया और घर लाकर उसने उसे अपने अतिथि गृह में बिठा दिया। उसकी पत्नी ने देखा भाई एक भालू है तो वह हैरान हो गई। उसने व्यक्ति को रसोई घर में बुलाकर पूछा कि यह तुम्हारा भाई है? दुनिया भर की बदबू आ रही है इससे, तुम्हें कोई और ढंग का भाई नहीं मिला? भालू ने उनकी सारी बातें सुन ली। उसने व्यक्ति को बुलाकर कहा भाई, आवभगत काफी हो चुकी, अब आप मुझे मेरे घर छोड़ कर आओ। व्यक्ति डर गया लेकिन कुछ कह न पाया। वह उसके साथ जाने को तैयार हो गया। जाते जाते भालू ने कहा कि आप अपनी कुल्हाड़ी साथ ले लो जिससे  आप लकड़ी काट कर लेकर आते हैं। डरते-डरते उसने कुल्हाड़ी भी साथ ले ली  और जंगल में जहां भालू रहता था, उसे वहां छोड़ दिया। क्षमा मांगते हुए वापस आने लगा तो भालू ने कहा कि कुल्हाड़ी से मेरे सिर पर जोर से वार करो। व्यक्ति बोला कि आप मेरे भाई हो तो मैं ऐसा कैसे कर सकता हूं। भालू ने कहा कि डरो मत, मैं कुछ नहीं कहूंगा परंतु यदि तुमने मेरा कहना नहीं माना तो मैं तुम्हें जीवित नहीं छोडूंगा। मरता क्या नहीं करता, तो उस व्यक्ति ने डरते डरते कुल्हाड़ी उसके सिर में मार दी और देखते ही देखते खून की धाराएं बहने लगी। तब भालू ने कहा कि अब आप जाओ और एक साल तक कभी इधर मत आना। एक साल के बाद आप यहां मुझे इसी स्थान पर मिलना। व्यक्ति डरते डरते घर पहुंच गया और उसे अपने पर बहुत पछतावा था। समय अपनी गति से बीतता गया और एक साल का समय कब बीत गया, पता ही नहीं चला। उसे भालू की बात याद थी तो वह भालू के कहे अनुसार जंगल में गया जहां भालू रहता। उसे भालू मिल गया उसको देखकर भालू मुस्कुराया और बोला कि मैं आप ही का इंतजार कर रहा था मुझे आशा थी कि आप ज़रूर आओगे।
 भालू ने उसे प्यार से बिठाया घर का कुशल पूछा और उसे फिर खाने के लिए मीठे-मीठे फल दिए। ढेर सारी बातें की। जब काफी देर हो गई तो व्यक्ति वापस जाने लगा तो भालू ने उसे अपने पास बुलाया और अपना सिर उसके आगे करके पूछा कि देखो आपने कुल्हाड़ी का जो घाव दिया था वो कहां है? व्यक्ति ने देखा कि घाव भर चुका था और कहीं नज़र नहीं आ रहा था। फिर भालू बोला कि भाई, आपके द्वारा कुल्हाड़ी से दिया गया घाव तो पूरी तरह से भर गया है लेकिन आपकी पत्नी ने शब्दों के जो घाव दिए थे, आज भी मेरे दिल में वैसे के वैसे हरे हैं क्योंकि शब्दों के घाव कभी भरते नहीं है। इसलिए ध्यान रखना, जीवन में कभी किसी को भूल कर भी शब्दों के घाव मत देना।