रेवड़ी कल्चर का जवाब है उ.प्र. का योगी मॉडल

आप याद कीजिए, जब तक योगी आदित्यनाथ उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री नहीं बने थे, तब तक यूपी का नाम आते ही आपके मन में कैसी छवि बनती थी? अगर निष्पक्ष रूप से सोचेंगे तो देखेंगे, एक बीमारू, पिछड़ा, संगठित अपराधियों का स्वर्ग, व्यापक गरीबी का घर, औद्योगीकरण का नामोनिशान नहीं, अपराध चरम पर, सूखे और बाढ़ की मार, यही तस्वीर आपके मन में उभरती थी। पिछले 69 सालों में कितने मुख्यमंत्री आये और चले गये लेकिन यूपी की हालत में कोई सुधार नहीं हुआ। जातिवाद इतना हावी था कि सरकार के काम पर नहीं जाति के नाम पर  वोट डाला जा रहा था। नेहरू जी से लेकर राजीव गांधी तक देश में यही माना जाता था कि यूपी ही देश को प्रधानमंत्री देता है। इसकी बड़ी वजह यह भी थी कि इस प्रदेश में लोकसभा की सबसे ज्यादा सीटें हैं। मोदी जी भी जब प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार बने तो उन्होंने चुनाव लड़ने के लिये यूपी को ही चुना।
अब इसे यूपी की विडम्बना ही कहा जा सकता है कि भारत को सबसे ज्यादा प्रधानमंत्री देने वाला राज्य ही गरीबी की सबसे ज्यादा मार सहने वाला राज्य बना रहा। यहां तक कि जिन लोकसभा क्षेत्रों से प्रधानमंत्री और उनके परिवार के सदस्य चुनकर आते रहे, उन क्षेत्रों में भी विकास पहुंच नहीं पाया और गरीबी अपना पैर पसार कर बैठी रही। आप कह सकते हैं कि देश को प्रधानमंत्री देने का भी यूपी को कोई फायदा नहीं हुआ। 2017 से पहले इस प्रदेश के लोग ये मान चुके थे कि विकास उनकी किस्मत में नहीं है। उनकी किस्मत में हर चौक-चौराहे पर गुंडागर्दी, गोलीबारी, लूटमार, रंगदारी, अपहरण लिखा हुआ है। हर क्षेत्र में यूपी का पिछड़ना किसी के लिये कोई समस्या नहीं थी। टूटी सड़कें, हाईवे की कमी, एयरपोर्ट की कमी, मेट्रो की सिर्फ शुरुआत और पुराने नगर ही यूपी की पहचान थे। पर्यटन के नाम पर यूपी के पास सिर्फ ताजमहल था जिसमें किसी भी सरकार का कोई योगदान नहीं था। जब से यूपी को योगी जी मिले हैं, तब से यूपी को मानो जैसे पंख लग गये हैं। यह बहुत ऊंचा उड़ना चाहता है। हर क्षेत्र में अव्वल होने की चाहत दिखाई दे रही है। डूबती अर्थव्यवस्था वाला प्रदेश अब एक ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी बनना चाहता है। एक पिछड़ा प्रदेश अब केवल जनसंख्या की दृष्टि से नहीं बल्कि अर्थव्यवस्था की दृष्टि से भी नम्बर एक बनना चाहता है। यह सपना योगी जी के कारण ही यूपी देखने लगा है।
अब सवाल यह उठता है कि इतना बड़ा परिवर्तन यूपी में कैसे हो रहा है? इसमें किसी को संदेह नहीं होना चाहिए कि यह सब संभव हो रहा है क्योंकि मोदी और योगी की जोड़ी इसके लिए मिलकर काम कर रही है। इसमें यूपी की जनता का भी बड़ा योगदान है क्योंकि अगर वो ऐसी सरकार नहीं चुनती तो ये सब नहीं होता।  बेशक भाजपा ने अपनी सोशल इंजीनियरिंग से पिछले दोनों विधानसभा चुनाव जीते हो लेकिन प्रदेश की जनता ने भी जातिवाद से ऊपर उठकर भाजपा को वोट दिया है। यूपी की जनता ने अवसरवादी गठबंधनों को नकारकर एक मज़बूत सरकार बनने का रास्ता तैयार किया, इसके लिये यूपी की जनता को ही श्रेय देना चाहिए लेकिन यूपी की जनता ने जो सबसे बड़ा काम किया है, उसकी भी अनदेखी नहीं की जा सकती। यूपी की जनता ने रेवड़ी कल्चर को ठुकराने का काम किया है। ये बड़ा मुश्किल काम है क्योंकि कई प्रदेशों में जनता इस लालच को छोड़ नहीं पा रही है। फ्री बिजली, मुफ्त यात्रा, बेरोज़गारी भत्ता, हर महीने एकमुश्त रकम, पुरानी पैंशन योजना जैसे लुभावने वादों के लालच को दिल्ली, पंजाब, हिमाचल और कर्नाटक जैसे समृद्ध राज्यों की जनता भी नहीं छोड़ पाई लेकिन यूपी जैसे गरीब प्रदेश की जनता ने इसे ठुकरा दिया। इसके लिये सिर्फ यूपी की जनता ही प्रशंसा की हकदार है। 
इस लालच को छोड़ने का फायदा अब प्रदेश में दिखाई देना शुरू हो गया है। इतने बड़े प्रदेश को सिर्फ 6 साल में बदला नहीं जा सकता लेकिन बदलाव तो फिर भी नज़र आने लगा है। यूपी में संगठित अपराध अपनी अंतिम सांसे ले रहा है। पूरे प्रदेश में दनदनाता घूम रहा बुलडोजर अपराधियों में डर पैदा करता है तो जनता में सरकार के प्रति विश्वास और प्रेम पैदा कर रहा है। यही कारण है कि बुलडोजर विध्वंस का प्रतीक होने के बावजूद जनता में सरकार के प्रति विश्वास का प्रतीक बन चुका है और अब योगी को बुलडोजर बाबा कहा जाता है। पूरे देश में बुलडोजर योगी की कार्यशैली का प्रतीक बन चुका है। अपराधियों और दंगाईयों में बुलडोजर का खौफ दिखाई देता है, इसलिये यूपी धीरे-धीरे दंगाईयों और अपराधियों से मुक्त होने की तरफ बढ़ चला है। अगर कोई आपके घर-जमीन पर कब्ज़ा कर ले तो आप रेवड़ियों का क्या करोगे? अगर आपकी बहन-बेटियां सुरक्षित नहीं हैं तो फिर रेबड़ियों का क्या फायदा होगा? अगर आपकी कमाई रास्ते में लूट ली जाती है तो रेबड़ियों से क्या होगा? अगर प्रदेश का विकास नहीं होगा तो रेबड़़ियों से किसका भला होगा? विकास नहीं होगा तो रेवड़ियों के लिए पैसा कहां से आयेगा, ये सवाल आपको अपने आप से पूछने चाहिये।
ऐसा नहीं है कि यूपी सरकार जनता के लिये योजनायें नहीं ला रही है। ऐसा तो कोई भी सरकार नहीं कर सकती क्योंकि केन्द्र सरकार हो या राज्य सरकार, जनता को उम्मीदें सभी से होती हैं। सरकारें भी चाहती हैं कि जनता को राहत दी जाए क्योंकि देश में गरीबी सबसे बड़ी समस्या है। आज भी देश में आम जनता के लिये अपने जीवन यापन के लिये साधन जुटाना मुश्किल हो रहा है। हर सरकार कोशिश करती है कि जितना संभव हो वो जनता की ज़रूरत को पूरा करे। समस्या यह है कि आजकल कुछ सरकारें अपनी औकात से ज्यादा जनता को देने लगी हैं। आम आदमी पार्टी ने रेवड़ी कल्चर को चुनाव जीतने का फार्मूला बना दिया है क्योंकि दिल्ली में तीन बार इसी कल्चर के सहारे उसने सत्ता का स्वाद चखा है। रेवड़ी कल्चर का ही सहारा लेकर आम आदमी पार्टी ने पंजाब में भी अपना झंडा गाड़ दिया है। रेवड़ी कल्चर के सहारे ही कांग्रेस ने कर्नाटक और हिमाचल प्रदेश में भाजपा को पटकनी दी है। इसकी कीमत अब ये सभी राज्य चुका रहे हैं। रेवड़ी कल्चर का जवाब योगी का यूपी मॉडल है। यूपी सरकार जनता के लिये योजनाएं ला रही है लेकिन अपनी औकात को देखकर ला रही है। वो भी कर्ज ले रही है लेकिन विकास के लिये ले रही है। यूपी में जबरदस्त सुधार से निवेश आना शुरू हो गया है। आरबीआई की रिपोर्ट के अनुसार पिछले साल बैंकिंग और वित्तीय सेक्टर ने सबसे ज्यादा यूपी में निवेश किया है। इस सेक्टर से देश में होने वाले निवेश का 16.2 प्रतिशत हिस्सा यूपी को मिला है।