आर्थिक गलियारे की सम्भावनाएं

जी-20 के शिखर सम्मेलन में भाग लेने के बाद सऊदी अरब के शहज़ादे मुहम्मद-बिन-सलमान का एक दिन के लिए और भारत में ठहरना तथा राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू तथा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ विशेष रूप से बातचीत करना बड़ा महत्त्व रखता है। उन्होंने यहां भारत के साथ 8 समझौते सूचिबद्ध किये, जिनमें ऊर्जा, निवेश, व्यापार, सुरक्षा, अंतरिक्ष तथा स्वास्थ्य सम्भाल से संबंधित समझौते शामिल हैं। इस जी-20 सम्मेलन की बड़ी उपलब्धि भारत, मध्य पूर्व तथा यूरोप को जोड़ने के लिए आर्थिक गलियारा बनाने के लिए योजनाबंदी करना है। इस तरह ज्यादातर देश इस गलियारे द्वारा एक-दूसरे के साथ जुड़ सकेंगे, आपसी व्यापार कर सकेंगे तथा बनाई गई योजनाओं को पूर्ण कर सकेंगे। सऊदी अरब के शहज़ादे ने इस योजनाबंदी के लिए भारत की प्रशंसा करते हुए कहा कि इससे जहां आपसी भाईचारे को प्रोत्साहन मिलेगा, वहीं आर्थिक लेन-देन से विश्व के ज्यादातर देश एक-दूसरे के नज़दीक आ सकेंगे। चीन ने भी पहले ऐसा यत्न किया था, परन्तु अभी तक उसकी यह योजना आधी-अधूरी ही रही है। भारत में हुए सम्मेलन में इस बहुद्देशीय योजना को समुचित महत्त्व मिलना तथा इस आधार पर एकजुट होकर भिन्न-भिन्न देशों का आगे बढ़ना देश की सफलता मानी जा सकती है। दर्जनों देशों द्वारा इस योजना के प्रति उत्साह दिखाये जाने तथा इसे भरपूर समर्थन दिये जाने ने भी अन्तर्राष्ट्रीय मंच पर भारत की प्रतिष्ठा में वृद्धि की है।
इस सम्मेलन की भारत के लिए एक और बड़ी उपलब्धि ज्यादातर विकासशील देशों द्वारा भारतीय रुपये तथा उनकी अपनी मुद्राओं में आपसी व्यापार करने के लिए उत्साह दिखाने की मानी जा सकती है। इस संबंध में सऊदी अरब के नेता ने भी उत्साह दिखाते हुए एक-दूसरे की मुद्रा में व्यापार करने की सम्भावनाओं संबंधी विचार-विमर्श किया है। अन्य कई देशों की भांति सऊदी अरब भी इस संबंध में योजना बना रहा है। यदि सऊदी अरब के साथ यह बात सफल हो जाती है तो इससे भारतीय अर्थ-व्यवस्था को भारी समर्थन मिल सकेगा क्योंकि सऊदी अरब भारत के साथ व्यापारिक भागीदारी में चौथे स्थान पर आता है। सऊदी अरब के प्रमुख ने आर्थिक गलियारा बनाये जाने के प्रति भारी उत्साह दिखाया है। चाहे उन्होंने कहा कि इस योजना को सफल बनाना बेहद कठिन है परन्तु साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि इसे कड़ी मेहनत से सफल बनाया जा सकता है। 
सऊदी अरब के भारत के साथ संबंध बहुत पुराने हैं। पिछली सदियों में समुद्र द्वारा इनका लगातार आपसी व्यापार होता रहा है। सऊदी अरब तथा अरब के अन्य देशों से इस्लाम धर्म सबसे पहले भारत की सरज़मीन पर ही आया था। सदियों पुराने इन संबंधों के दृष्टिगत ही सऊदी अरब के प्रमुख ने जी-20 सम्मेलन में विस्तारपूर्वक आर्थिक गलियारे की योजना पर बात की तथा इसके लिए उन्होंने भारत को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि मध्य-पूर्व द्वारा भारत तथा यूरोप को जोड़ने के लिए की जा रही यह योजनाबंदी आपसी विकास के द्वार खोलने के समर्थ होगी। उन्होंने इस गलियारे को शिखर सम्मेलन की एक बड़ी उपलब्धि कहा। आज भारत का व्यापार मध्य-पूर्व के देशों से लेकर यूरोपियन यूनियन तक होता हुआ अमरीका के क्षेत्र तथा आस्ट्रेलिया तक फैला हुआ है। इसके लगातार बढ़ते जाने से ही देश की  आर्थिक मज़बूती देखी जा सकती है। शिखर सम्मेलन के बाद भारत की बहु-पक्षीय सम्भावनाओं संबंधी विचार-विमर्श करके इन्हें और भी उजागर किया जा सकेगा, ऐसा विश्वास किया जाना बनता है।
—बरजिन्दर सिंह हमदर्द