वैश्विक क्षितिज पर भारत का बढ़ता कद
भारत में सम्पन्न जी-20 शिखर सम्मेलन को सफल बनाने के लिए केन्द्रीय नेतृत्व और उनकी टीम ने अपने कूटनीतिक कौशल का जैसा विशिष्ट परिचय दिया है, वैसा इसके पहले शायद ही इस समूह की अध्यक्षता करने वाले किसी देश ने दिया हो। भारत की अध्यक्षता में जी-20 समूह के प्रतिनिधियों को लेकर अभी तक जो तमाम बैठकें हुईं, उनमें कहीं अधिक विविधता देखने को मिली। इन बैठकों में हर उस विषय पर गहन चर्चा और परिचर्चा हुई जो विश्व समुदाय को प्रभावित करते रहे हैं या कर सकते हैं। इस सन्दर्भ में भारत ने न केवल सतत् एवं समाजसेवी विकास को प्राथमिकता दी, अपितु लैंगिक समानता जैसे नाज़ुक विषयों को भी महत्व दिया गया। इसके साथ ही उसने इस बात पर भी विमर्श किया कि डिजिटल क्रांति का लाभ विश्व के निर्धन और वंचित लोगों को भी मिलना चाहिए।
मोदी सरकार ने देश के विभिन्न भागों में जी-20 के विभिन्न समूहों की बैठकें आयोजित कर विश्व के साठ प्रतिशत से अधिक भाग को देश की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और विविधता से भी परिचित कराया। स्पष्ट है कि इससे भारत के प्रति विश्व की धारणा बदलेगी और वास्तव में ऐसा होने भी लगा है क्योंकि दुनिया के कई बड़े और उन्नत देश इससे चकित हैं कि भारत ने विभिन्न तकनीकों का किस तरह बड़े पैमाने पर उपयोग कर उनके माध्यम से अपने लोगों को मुख्य धारा से जोड़ने के साथ उनके कठिन जीवन को अति सुगम बनाया है।
आज विश्व के बड़े राष्ट्र भारत को इसलिए भी महत्व दे रहे हैं क्योंकि यह सबसे तेज़ गति से बढ़ती अर्थव्यवस्था का देश है। जी-20 शिखर सम्मेलन का निष्कर्ष कुछ भी निकले क्योंकि यह तो कुछ दिनों बाद राष्ट्राध्यक्षों की प्रतिक्रियाओं के बाद पता चलेगा। मगर यह तो सुनिश्चित हो चुका है कि भारत के रुतबे, राजनीतिक महत्व और सांस्कृतिक आभामंडल का अपेक्षानुसार विस्तार हुआ है।
भारत की सफलता का एक सबसे बड़ा आयाम यह भी रहा कि वह जी-20 के सभी सदस्यों को अपनी नेतृत्व क्षमता से प्रभावित कर एक साझा घोषणा-पत्र जारी करवाने में सक्षम हुआ है। यह उसकी लगन, मेहनत और कूटनीतिक कौशल का ही करिश्मा है। भारत के नेतृत्व में जी-20 शिखर सम्मेलन के साझा घोषणा-पत्र पर सहमति बन जाना इसलिए भी भारतीय नेतृत्व की एक बड़ी जीत है, क्योंकि इसकी आशंका थी कि रूस-यूक्रेन के युद्ध के कारण साझा घोषणा-पत्र तैयार होना कठिन ही नहीं, असम्भव ही होगा। इस सन्दर्भ में यह आशंका तब और बढ़ गई थी जब जी-20 देशों के वित्त मंत्रियों और विदेश मंत्रियों के अतिरिक्त अन्य बैठकों में कोई साझा वक्तव्य जारी नहीं हो पाया था। सोने पर सुहागा वाली बात तब हुई जब रूसी राष्ट्रपति और फिर चीनी राष्ट्रपति ने नई दिल्ली आने से अपने पैर पीछे हटा लिए, तब तो साझा घोषणा-पत्र जारी होने को लेकर संदेह और भी गहरा गया था, लेकिन सबके अनुमानों और आशंकाओं को धता बताते हुए भारत के केन्द्रीय नेतृत्व ने वह सब कर दिखाया जो स्पष्ट रूप से असंभव सा लग रहा था। वस्तुत: भारत साझे घोषणा-पत्र को लेकर सहमति बनाने में इसलिए भी सक्षम हो सका, क्योंकि उसने वैश्विक हितों को सर्वोच्च प्राथमिकता दी और एक बेहतर दुनिया के निर्माण के लिए एक दूसरे पर भरोसा करने और मिलकर काम करने की महत्ता को प्रभावी ढंग से रेखांकित कर उसका स्पष्ट प्रस्तुतिकरण किया।
इस घोषणा-पत्र की एक विशेष बात यह भी है कि यह अब तक का सबसे विस्तृत और व्यापक घोषणा-पत्र है, जिसमें जलवायु परिवर्तन से मुकाबला करने के साथ-साथ लैंगिक समानता को बल देने और महिलाओं एवं लड़कियों को सशक्त बनाने पर भी ज़ोर दिया गया है। जी-20 शिखर सम्मेलन में किये अपने क्रिया-कलापों से भारत ने विश्व के समक्ष यह भी स्पष्ट प्रदर्शित कर दिया है कि भारत अंतर्राष्ट्रीय हितों का संरक्षक बनने के साथ-साथ विश्व को समग्र दिशा देने में भी समर्थ हो सकता है। इसका आभास प्रधानमंत्री मोदी की ओर से स्वच्छ ईंधन के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए वैश्विक जैव ईंधन गठबंधन बनाने की घोषणा से मिला। इसके पहले भारत अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन की शुरुआत कर ही चुका है। अब इस गठबंधन के सदस्यों की संख्या 100 से अधिक हो चुकी है। स्पष्ट है कि भारत स्वयं को बड़ी तेज़ी से एक उभरती चहुंमुखी सशक्त शक्ति के रूप में स्थापित करने के साथ ही अपने चहुंमुखी कूटनीतिक समग्रता से विश्व पर एक गहरी छाप भी छोड़ने में सफल रहा है।
मोदी के राजनीतिक विरोधी कुछ भी कहें, अधिकांश राजनीतिक विषय विशेषज्ञों के अनुसार वर्तमान जी-20 शिखर सम्मेलन सहभागियों के ऊपर भारत के समग्र विकास, भारत की असीमित नेतृत्व क्षमता, विविधता में एकता की अद्भुत क्षमता और सांस्कृतिक सम्पदा की बहुलता के साथ भारत की सुन्दरता, कार्यक्रम के सशक्त संयोजन और मेहमान नवाज़ी के विरल अंदाज़ की छाप छोड़ते हुए अपने क्षेत्र के अब तक हुए कार्यक्रमों की तुलना में सबसे अधिक सफल कार्यक्रम के रूप में सामने आया है। (युवराज)