सही दिशा की ओर उठाया गया कदम

पिछले महीने 22 अप्रैल को पहलगाम में पाकिस्तान से प्रशिक्षण प्राप्त आतंकवादियों द्वारा बेहद दु:खद और क्रूरता भरा कृत्य किया गया था। उनके द्वारा चुन-चुन कर पर्यटकों को मारा गया था। उसके बाद 10 मई, अभिप्राय 18 दिन तक दोनों देशों में कड़ा टकराव बना रहा। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने स्पष्ट शब्दों में यह घोषणा की थी कि इस आतंक के लिए ज़िम्मेदार आतंकवादियों और उनके संरक्षकों को कड़ी सज़ाएं दी जाएंगी।
लगभग पिछले 35 वर्ष से पाकिस्तान भारत के विरुद्ध यह रक्तिम खेल खेलता आया है। इसी क्रम में इतना कुछ दु:खद घटित होता रहा है जिसकी कल्पना भी नहीं की जाती थी। पाकिस्तानी जरनैलों की सुनियोजित नीति के तहत ही इन संगठनों द्वारा भारत को रक्त-रंजित किया जाता रहा। इसकी प्रभुसत्ता को बार-बार चुनौती दी गई। भारत की संसद पर हमला किया गया। फिर, पाकिस्तान से मुम्बई में दाखिल होकर कुछ प्रशिक्षित आतंकवादियों ने आधुनिक हथियारों से लैस होकर जिस तरह अलग-अलग स्थानों पर इस शहर में लोगों को निशाना बनाया था, वह दृश्य कभी भी भूलने वाले नहीं हैं। कश्मीर घाटी में अल्पसंख्यक समुदायों को डरा-धमका कर लाखों की संख्या में वहां से निकाल दिया गया। सुरक्षा बलों के साथ प्रतिदिन टकराव किया गया। यहां तक कि भारी संख्या में उन्हें आत्मघाती मानव बम द्वारा शहीद कर दिया गया। पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में इनके अनेक प्रशिक्षण शिविर चलते रहे। जहां सेना की सहायता से इन्हें समय-समय पर घाटी के अतिरिक्त देश के अन्य भागों में हिंसक गतिविधियां करने के लिए भेजा जाता रहा। अमरनाथ यात्रियों को भी अवसर पाकर बड़ी संख्या में मारा जाता रहा। समय-समय पर जम्मू-कश्मीर में निर्वाचित प्रदेश सरकारों को हर तरह से विफल करने का यत्न किया जाता रहा। इतने दशकों तक भारतीय सेनाएं इनका मुकाबला करती रहीं। सैकड़ों की संख्या में आतंकवादियों को मारा गया और सैकड़ों की संख्या में ही सुरक्षा बल भी शहीद होते रहे, परन्तु 22 अप्रैल की पहलगाम की दु:खद घटना जिसमें 25 पर्यटकों और एक स्थानीय कश्मीरी की हत्या कर दी गई थी, के बाद भारत सरकार ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में कड़ा रवैया धारण किया। पाकिस्तान की धरती पर लम्बी अवधि से संगठन बना कर विचरण कर रहे आतंकवादियों और उनके आकाओं को उनके कैंपों और छिपने वाले स्थानों पर जाकर जिस तरह भारत की ओर से निशाना बनाया गया, वह बेहद आश्चर्यजनक था। पाकिस्तान के लिए ऐसी नमोशी सहन कर पाना बेहद कठिन था। इस कारण दोनों देशों में सैन्य टकराव बढ़ गया। इस मामले पर भारत के पक्ष में विश्व भर के ज्यादातर देशों ने भारी समर्थन दिया, दूसरी तरफ चीन, तुर्की और मलेशिया ही पाकिस्तान के साथ खड़े दिखाई दिए। इस समय में पाकिस्तान की बौखलाहट स्पष्ट दिखाई देती रही, परन्तु अमरीका, सऊदी अरब, ईरान और अन्य कई देशों ने दोनों पक्षों को युद्ध-विराम के लिए प्रेरित किया।
इस समूचे घटनाक्रम के बाद शनिवार को पाकिस्तान के सैन्य महानिदेशक (डी.जी.एम.ओ.) ने 3.35 मिनट पर भारत के अपने समकक्ष को युद्ध-विराम के लिए फोन किया। इसके बाद ही दोनों देशों में गोलाबारी बंद हुई और दोनों में यह सहमति बनी कि 12 मई, अभिप्राय सोमवार दोपहर के समय ये दोनों अधिकारी पुन: बातचीत करेंगे। इस तरह दोनों देशों के मध्य फिलहाल गोलाबारी रुक गई है। युद्ध-विराम का फैसला अभी किया जाना है। इससे पहले भारत ने प्रधानमंत्री के नेतृत्व में हुई उच्च स्तरीय बैठक के बाद यह घोषणा की थी कि भविष्य में भारत के विरुद्ध आतंकवाद की किसी भी घटना को भारत की ओर से युद्ध ही समझा जाएगा। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने भी पुन: दोहराया है कि भारत ने प्रत्येक तरह के आतंकवाद के विरुद्ध अपना अडिग रवैया कायम रखा है और भविष्य के लिए भी देश ऐसा ही रवैया बरकरार रखेगा। हम इस सकारात्मक घटनाक्रम पर सन्तोष प्रकट करते  हुए यह आशा करते हैं कि दोनों देश आपस में समझदारी से भविष्य में एक-दूसरे के साथ सहयोग की भावना से चलने हेतु प्रतिबद्ध होंगे, परन्तु ऐसा सम्भव होगा या नहीं, इस संबंध में अभी विश्वास के साथ कुछ नहीं कहा जा सकता, क्योंकि इसके लिए पाकिस्तान के सैन्य प्रमुखों को अपनी नीति और रवैये में भारी बदलाव करने के लिए तैयार होना पड़ेगा।

—बरजिन्दर सिंह हमदर्द 

#सही दिशा की ओर उठाया गया कदम