साइबर हमलों से निपटने हेतु भी भारत को तैयार रहना चाहिए

अन्य चुनौतियों के साथ-साथ साइबर हमले का खतरा भी भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए चुनौती है और साथ ही आम नागरिकों, सरकारी संस्थानों और निजी क्षेत्र के लिए भी गंभीर खतरा पैदा कर सकता है। हाल के वर्षों में साइबर युद्ध ने वैश्विक सुरक्षा परिदृश्य को नया आकार दिया है। परंपरागत युद्ध के साथ-साथ देश अब डिजिटल क्षेत्र में भी अपनी ताकत और रणनीति का प्रदर्शन कर रहे हैं।
साइबर हमले कोई नई घटना नहीं हैं। भारत और पाकिस्तान के बीच डिजिटल युद्ध का इतिहास कई वर्षों पुराना है। विशेष रूप से हाल के वर्षों में जम्मू-कश्मीर में आतंकी हमलों के बाद  हैकर समूहों ने भारतीय वेबसाइटों और डिजिटल बुनियादी ढांचे को कथित रूप से निशाना बनाया। उदाहरण के लिए 22 अप्रैल, 2025 को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद महाराष्ट्र साइबर सेल ने बताया कि भारत पर 10 लाख से अधिक साइबर हमले दर्ज किए गए। इन हमलों के पीछे कुछ हैकरों का नाम सामने आया।
हैकर्स द्वारा महत्वपूर्ण संस्थाओं की वेबसाइटों को निशाना बनाने की कोशिश की गई। इन हमलों में संवेदनशील डेटा, जैसे रक्षा कर्मियों की व्यक्तिगत जानकारी और लॉगिन क्रेडेंशियल्स चुराने की कोशिश की गई। 
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर कई उपयोगकर्ताओं ने चेतावनी दी कि भारत पर बड़े पैमाने पर साइबर हमले की योजना बनाई जा रही है। इन पोस्ट्स में नागरिकों से अनजान लिंक्स पर क्लिक न करने, संदिग्ध ईमेल्स या मैसेजेस को अनदेखा करने और किसी भी अनजान ऐप को इंस्टॉल न करने की सलाह दी गई। ये चेतावनियां उस समय आईं जब भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव चरम पर है। इन पोस्ट्स ने न केवल आम जनता में जागरूकता बढ़ाई, बल्कि साइबर युद्ध के खतरे को भी रेखांकित किया। इन चेतावनियों ने भारत में साइबर सुरक्षा के प्रति गंभीर चर्चा को जन्म दिया है। यह संभावना कि साइबर हमलों के माध्यम से भारत की डिजिटल और राष्ट्रीय सुरक्षा को कमज़ोर करने की कोशिश की जा सकती है, स्थिति इशारा करती है कि ऐसी स्थिति से निपटने के लिए तत्काल और व्यापक तैयारी की आवश्यकता है।
साइबर हमले विभिन्न रूपों में हो सकते हैं। हैकर्स फर्जी ईमेल्स, व्हाट्सएप संदेश या सोशल मीडिया लिंक्स के माध्यम से उपयोगकर्ताओं को धोखा दे सकते हैं। ये लिंक्स मैलवेयर डाउनलोड कर सकते हैं या संवेदनशील जानकारी, जैसे पासवर्ड और बैंक विवरण चुरा सकते हैं। जानकारी के अनुसार पहलगाम हमले के बाद पाकिस्तानी हैकर्स ने फर्जी ईमेल्स के जरिए भारतीय सेना की गतिविधियों की जानकारी हासिल करने की कोशिश की थी।
वेबसाइट डिफेसमेंट एक सामान्य रणनीति है जिसमें हैकर्स किसी वेबसाइट के होमपेज को बदल देते हैं और उस पर प्रचार सामग्री, जैसे भड़काऊ संदेश प्रदर्शित करते हैं। डेटा चोरी करना, संवेदनशील जानकारी जैसे रक्षा कर्मियों के लॉगिन क्रेडेंशियल्स या राष्ट्रीय सुरक्षा से संबंधित दस्तावेज चुराने की कोशिशें हो सकती है। ऐसे हमलों के प्रभाव व्यापक हो सकते हैं। राष्ट्रीय सुरक्षा से समझौता होने के अलावा साइबर हमले आर्थिक नुकसान, सार्वजनिक विश्वास में कमी और सामाजिक अस्थिरता को बढ़ावा दे सकते हैं। उदाहरण के लिए यदि बैंकिंग सिस्टम या सरकारी पोर्टल्स को निशाना बनाया जाता है तो आम नागरिकों को तत्काल नुकसान हो सकता है।
भारत की साइबर सुरक्षा की स्थिति पर गौर करे तो भारत ने हाल के वर्षों में अपनी साइबर सुरक्षा को मजबूत करने के लिए कई कदम उठाए हैं। भारतीय साइबर सुरक्षा एजेंसियां, जैसे इंडियन कंप्यूटर इमरजेंसी रिस्पॉन्स टीम और राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा समन्वय केंद्र सक्रिय रूप से साइबर खतरों की निगरानी करती हैं। हाल ही में भारतीय एजेंसियों ने कई साइबर हमलों को समय रहते निष्क्रिय किया। हालांकि भारत की साइबर सुरक्षा व्यवस्था अभी भी कई चुनौतियों का सामना कर रही है। एक हालिया रिपोर्ट के अनुसार भारत में केवल 4 प्रतिशत कंपनियां साइबर खतरों से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार हैं। इसके अलावा आम जनता में साइबर सुरक्षा के प्रति जागरूकता की कमी एक बड़ी समस्या है। कई नागरिक फिशिंग हमलों का शिकार हो जाते हैं क्योंकि वे संदिग्ध लिंक्स या ईमेल्स को पहचान नहीं पाते। साइबर हमले से निपटने के लिए भारत को बहुआयामी रणनीति अपनानी होगी। सबसे पहले जागरूकता अभियान चलाया जाए। सरकार और निजी क्षेत्र को मिलकर आम जनता के लिए साइबर सुरक्षा जागरूकता अभियान चलाने चाहिए। नागरिकों को अनजान लिंक्स पर क्लिक न करनेए मजबूत पासवर्ड बनानेए और नियमित रूप से सॉफ्टवेयर अपडेट करने की सलाह दी जानी चाहिए। सरकारी और निजी संस्थानों को अपने डिजिटल बुनियादी ढांचे को मज़बूत करना चाहिए। इसमें फायरवॉल, एंटीवायरस सॉफ्टवेयर, और नियमित साइबर ऑडिट शामिल हैं। साइबर सुरक्षा एजेंसियों को रियल-टाइम में साइबर खतरों की निगरानी करनी चाहिए।
साइबर युद्ध का यह दौर न केवल तकनीकी तैयारी की मांग करता है बल्कि सामाजिक जागरूकता और राष्ट्रीय एकता की भी आवश्यकता है। प्रत्येक नागरिक को सतर्क रहना होगा और संदिग्ध डिजिटल गतिविधियों से बचना होगा। यदि भारत अपनी साइबर सुरक्षा को और मजबूत करता हैए तो वह न केवल पाकिस्तान के संभावित हमलों को विफल कर सकता है बल्कि वैश्विक साइबर युद्ध के क्षेत्र में एक मजबूत शक्ति के रूप में उभर सकता है। (अदिति)

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