भारत ने दिया अति शक्तिशाली प्रतीकात्मक संदेश
प्रतीकों के माध्यम से दिया गया भारतीय संदेश सटीक स्ट्राइक जितना ही शक्तिशाली था, जिसका पाकिस्तान के पास कोई उत्तर नहीं है। पहलगाम में पाक-समर्थित आतंकियों ने धर्म, लिंग व स्थानीय बनाम पर्यटक के आधार पर अपने निशानों का चयन किया और पतियों की उनकी पत्नियों के सामने निर्मम हत्या की। उनका उद्देश्य स्पष्ट था कि भारत में सांप्रदायिक हिंसा फैल जाये और पाकिस्तान के सेना प्रमुख आसिम मुनीर की दो राष्ट्र थ्योरी के समर्थन में की गई बेतुकी बयानबाज़ी सही साबित हो जाये। लेकिन ऑपरेशन सिंदूर के ज़रिये भारत ने आतंकियों व उसके आका पाकिस्तान को इससे भी अधिक बड़ा व शक्तिशाली संदेश दिया, जिसकी उन्होंने कल्पना भी न की होगी। ऑपरेशन को इतनी अच्छी तरह से गोपनीय रखा गया कि जब मिसाइलों ने उनके घरों में धमाका किया तो हर कोई सो रहा था। जैश के सरगना मसूद अज़हर ने स्वीकार किया है कि स्ट्राइक में उसके कुछ करीबी साथी उसके बहावलपुर मरकज़ में मारे गये हैं। लेकिन इन स्ट्राइक का महत्व आतंकियों के शवों की गिनती से कहीं अधिक बढ़कर है। पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में बहुत अंदर तक हमला करके भारत ने स्पष्ट कर दिया है कि आतंकियों के लिए दुनिया का कोई कोना सुरक्षित नहीं है।
भारत की अधिकारिक ब्रीफिंग में सैन्य पक्ष को सशस्त्र बलों की दो महिला अधिकारियों ने रखा। एक, कर्नल सोफिया कुरैशी, जो मुस्लिम हैं और दूसरी विंग कमांडर व्योमिका सिंह, जो हिन्दू हैं। यह था साम्प्रदायिकता के बीज बोन वाले पहलगाम आतंकियों को भारत का जवाब भारत के लिए मुस्लिम व हिन्दू मिलकर लड़ते हैं। दो राष्ट्र की थ्योरी एकदम बोगस व बेकार है। यह आईडिया ऑफ इंडिया है। यही वजह है कि आतंकियों के नापाक मंसूबे सफल नहीं हुए, भारत में सांप्रदायिक सौहार्द बना रहा और आगे भी बना रहेगा।
वडोदरा की कर्नल सोफिया कुरैशी अपने परिवार में तीसरी पीढ़ी की सेना अधिकारी हैं। वह डेकोरेटिड ऑफिसर (साहसिक कार्यों के लिए सम्मानित) हैं और उनकी पोस्टिंग्स में शामिल हैं छह वर्ष तक संयुक्त राष्ट्र के पीसकीपिंग ऑपरेशंस में रहना। लखनऊ की विंग कमांडर व्योमिका सिंह भी डेकोरेटिड ऑफिसर हैं। वह भारतीय वायु सेना में हेलीकाप्टर पायलट हैं। सशस्त्र बलों में वह अपने परिवार की पहली सदस्य हैं। उन्होंने उत्तर पूर्व व जम्मू-कश्मीर के कठिन क्षेत्रों में उड़ानें भरी हैं। इन दोनों महिला अधिकारियों ने मिलकर ऐसा संदेश भेजा है, जिसका पाकिस्तान के पास कोई जवाब नहीं है। इन दो महिला अधिकारियों का साथ खड़ा होना युगों-युगों के लिए तस्वीर है, जिसने दुनिया को बताया कि आईडिया ऑफ इंडिया कितना शानदार, मज़बूत व स्थायी है। इस प्रैस ब्रीफिंग से पाकिस्तान उतना ही हक्का-बक्का रह गया जितना कि भारतीय सेना की सटीक स्ट्राइक्स से। भारतीय महिला अधिकारियों का विश्वास से भरा विनम्र स्वभाव पाकिस्तान में बहुत से लोगों के लिए आश्चर्यजनक होगा, शायद आक्रामक भी लगा हो।
भारत की इस ताकत के सामने अगर पाकिस्तान जवाबन कुछ ओछापन करने का दुस्साहस करता है तो उसके पास कोई अच्छा विकल्प नहीं है। भारत में कोई आतंकी टारगेट तो है नहीं, तो वह निशाना किस चीज़़ को बनायेगा? नागरिकों को या सैन्य टारगेट्स को? दोनों ही सूरतों में भारत का जवाब तुरंत व निर्णायक होगा। हालांकि पाकिस्तान व पाक-अधिकृत कश्मीर (पीओके) में आतंकी इंफ्रास्ट्रक्चर को भारी नुकसान पहुंचा है, लेकिन यह पूरी कहानी नहीं है। इस बात को ध्यान में रखना ज़रूरी है। ऑपरेशन सिंदूर को अकेले में नहीं देखना चाहिए बल्कि भारत द्वारा उठाये गये कदमों की कड़ी के रूप में देखना चाहिए, जिसमें सिन्धु जल समझौते को स्थगित करना भी शामिल है। इन सबका पाकिस्तान की कृषि व खाद्य सुरक्षा पर दीर्घकालीन प्रभाव पड़ेगा। मुरीदके व बहावलपुर आतंकी कैम्पों का नष्ट किया जाना पाकिस्तान के सैन्य-इंटेलिजेंस-आतंक नेटवर्क के लिए बहुत बड़ा झटका है। दशकों से यह दोनों कैंप भारत के विरुद्ध पाकिस्तानी आतंक का केंद्र थे। इनके ध्वस्त होने पर महत्वपूर्ण मनोवैज्ञानिक प्रभाव पड़ेगा। नापाक हरकतें करने की क्षमताएं फिलहाल के लिए लगभग समाप्त हो गईं हैं। इसके बावजूद इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि पाकिस्तान पर जो ज़बरदस्त मार पड़ी है उसके कारण रावलपिंडी में जनरलों व डीप स्टेट पर जवाबी कार्र्रवाई करने के लिए गहरा दबाव है।
भारत ने इस बात पर बल दिया है कि पहलगाम जैसे हमलों को रोकने के लिए आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया गया। इसका अर्थ है कि भारत टकराव को बढ़ाना नहीं चाहता है। अब यह पाकिस्तान पर निर्भर है कि वह ऑपरेशन सिंदूर के शक्तिशाली प्रतीकात्मक संदेश को समझे और बात को हाथ से न निकलने दे।
-इमेज रिफ्लेक्शन सेंटर