शहीद होने वाले अग्निवीरों को भी मिलेगी एक करोड़ राशि

हरियाणा सरकार ने युद्ध में शहीद हुए अग्निवीर सैनिकों के परिवारों के एक करोड़ रुपए की अनुग्रह राशि और हरियाणा के वीरता व विशिष्ट पुरस्कार विजेता अग्निवीरों को एक करोड़ रुपए यकमुश्त नकद पुरस्कार देने का निर्णय लिया है। इसके अलावा पुलिस सहित विभिन्न विभागों की भर्ती में 20 प्रतिशत पद अग्निवीर सैनिकों के लिए आरक्षित करने का निर्णय लिया गया है। इससे पहले युद्ध में शहीद हुए सैनिकों और अर्द्धसैनिक बलों के जवानों के परिवारों को एक करोड़ रुपए की अनुग्रह राशि प्रदान की जाती थी। पहले अग्निवीरों सैनिकों को यह लाभ नहीं मिलता था। अब हरियाणा सरकार ने अग्निवीरों को भी यह लाभ देने का निर्णय लिया है। केंद्र सरकार ने 2022 में तीनों सेनाओं (सेना, नौसेना व वायुसेना) में अधिकारी रैंक से नीचे पुरुष व महिला उम्मीदवारों की भर्ती के लिए अग्निपथ योजना शुरू की थी। इस योजना के तहत भर्ती किए जाने वाले जवानों को अग्निवीर का दर्जा दिया गया था। देश की सेना में हरियाणा से बड़ी संख्या में युवक-युवतियां भर्ती होते हैं। 2022 से लेकर अब तक हरियाणा के करीब 6 हजार से ज्यादा युवक-युवतियां अग्निवीर के रूप में भर्ती हो चुके हैं। सरकार पर यह आरोप लग रहा था कि चार साल के बाद कुछ जवान तो सेना में रह पाएंगे जबकि बाकी जवानों की सेना से छुट्टी होने के बाद उनका भविष्य अंधकारमय हो जाएगा। इसके साथ विपक्ष द्वारा इस मुद्दे पर सरकार को निरंतर घेरा भी जा रहा था। विपक्ष का कहना था कि जब युद्ध में शहीद होने वाले जवानों के परिवारों को आर्थिक सहायता व अन्य सुविधाएं मिलती हैं तो अग्निवीरों को यह सहायता क्यों नही मिलती। 
अग्निवीरों के लिए 20 प्रतिशत कोटा तय
अब हरियाणा सरकार ने अग्निवीरों को सैनिकों के बराबर आर्थिक सहायता और सुविधाएं देने के साथ-साथ यह भी निर्णय लिया है कि पुलिस के साथ-साथ कई अन्य विभागों में भी अग्निवीरों की भर्ती के लिए 20 प्रतिशत नौकरियों का कोटा आरक्षित किया जाएगा ताकि फौज से आने के बाद अग्निवीरों को नौकरी के लिए कहीं कोई दिक्कत व परेशानी न हो। हरियाणा में पुलिस के अलावा जेल विभाग के जेल वार्डर, वन एवं वन्य जीव और पर्यावरण विभाग में वन रक्षक के पद पर, खान एवं भू-विज्ञान विभाग में माइनिंग गार्ड के पद पर 20 प्रतिशत कोटा अग्निवीरों के लिए आरक्षित करने का निर्णय लिया गया है। हरियाणा से भर्ती हुए अग्निवीरों का पहला बैच 2026-27 में रक्षा बलों से मुक्त हो जाएगा। इसी के चलते अग्निवीरों के लिए हरियाणा सरकार ने अभी से नौकरियों का बन्दोबस्त करना शुरू कर दिया है। इसके अलावा भर्ती के लिए अग्निवीरों को आयु में छूट देने का निर्णय भी लिया गया है। इसके साथ-साथ अग्निवीरों को रोजगार देने वाले किसी भी उद्योग व संस्थान को प्रति व्यक्ति 60 हजार रुपए की वार्षिक सबसिडी देने और अपना खुद का रोजगार शुरू करने वालों को 5 लाख रुपए तक ब्याज मुक्त कर्जा देने और बंदूक लाइसैंस प्राप्त करने में प्राथमिकता देने और कहीं सुरक्षा कर्मचारी के तौर पर तैनाती में पहल देने का भी निर्णय लिया गया है। हरियाणा सरकार का मानना है कि जो जवान 4 साल तक सेना में प्रशिक्षण पाकर व अनुशासित रहकर काम करता है, उसे सेना से आने पर किसी प्रकार की कोई असुविधा न हो और उसके भविष्य को सुनिश्चित किया जा सके, इसके लिए प्रदेश सरकार व हरियाणा मंत्रिमंडल ने ये कदम उठाए हैं।
कलाकारों को 10 हजार महीना मानदेय
हरियाणा सरकार ने गायन, अभिनय, नृत्य, नाटक, चित्रकला व दृश्यकला सहित विभिन्न क्षेत्रों में कलाकार के रूप में 20 साल तक का कार्य अनुभव रखने वाले कलाकारों को 10 हजार रुपए महीना मानदेय देने का निर्णय लिया है। इस योजना का नाम पंडित लख्मीचंद कलाकार सामाजिक सम्मान योजना रखा गया है। इस योजना का उद्देश्य वरिष्ठ कलाकारों और लोक विधाओं के कलाकारों की आर्थिक और सामाजिक स्थिति में सुधार करना है, जिन्होंने अपने सक्रिय जीवन के दौरान कला के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया है या अभी भी इस क्षेत्र में योगदान दे रहे हैं। ऐसे कलाकारों को जो वृद्धावस्था के कारण अब सक्रिय रूप से अपनी कला का अभ्यास नहीं कर पा रहे, उन्हें प्रदेश सरकार की ओर से हर महीने 10 हजार रुपए मासिक मानदेय मिलेगा। इस योजना का लाभ लेने वाले हरियाणा के निवासी कलाकारों को अपने कला प्रदर्शन से संबंधित दस्तावेज और अखबारों में छपी खबरें व लेख इत्यादि अपने आवदेन के साथ जमा करवाना पड़ेगा। इस योजना के लिए सरकार ने कुछ नियम व शर्तें भी तय की हैं। माना जा रहा है कि बुढ़ापे में गंभीर आर्थिक संकट के दौर से गुजर रहे अनेक कलाकारों को इस योजना का लाभ मिलेगा और उन्हें अपने जीवन-यापन के लिए किसी के आगे हाथ नहीं फैलाना पड़ेगा।
प्रदेश में जल संकट
पंजाब द्वारा हरियाणा को भाखड़ा से मिलने वाले पानी में कटौती किए जाने के बाद प्रदेश के कई जिलों में पीने के पानी और पशुओं के लिए पानी का संकट खड़ा हो गया है। पानी के मुद्दे पर एक तरह से पंजाब और हरियाणा आमने-सामने आ गए हैं। हरियाणा के मुख्यमंत्री ने इस जल संकट को लेकर सर्वदलीय बैठक बुलाई थी। इस बैठक में हरियाणा के सभी राजनीतिक दलों ने मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के स्टैंड का समर्थन करते हुए पानी के मामले और हरियाणा के हितों को लेकर हरियाणा सरकार के साथ डटकर खड़े रहने का भरोसा दिलाया है। हरियाणा सरकार का कहना है कि पानी एक प्राकृतिक स्रोत है और पीने के पानी पर सभी का बराबर हक है। मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने यह भी कहा कि 1966 से पहले पंजाब और हरियाणा एक ही राज्य था और पंजाब को मिलने वाला पानी संयुक्त पंजाब का था और हरियाणा भी उसमें हिस्सेदार था। हरियाणा अलग राज्य बनने के बाद हरियाणा को उसके हिस्से के पानी का आवंटन किया गया और पिछले लम्बे अरसे से हरियाणा, पंजाब, दिल्ली, राजस्थान को मिलने वाले पानी को लेकर कभी कहीं कोई दिक्कत नहीं हुई, लेकिन अब पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान इसे बेवजह मुद्दा बना रहे हैं। 
नायब सिंह सैनी ने कहा कि पंजाब के मुख्यमंत्री का स्टैंड न सिर्फ असंवैधानिक है बल्कि सिख गुरुओं द्वारा दिखाए गए मार्ग के भी खिलाफ है। नायब सिंह सैनी ने सर्वदलीय बैठक में वे आंकड़े भी जारी किए जो पिछले 10 सालों के दौरान सतलुज व रावी-ब्यास के पानी से संबंधित थे। उन्होंने कहा कि असल में डैम के पानी में कहीं कोई कोटा नहीं होता और डैम में उपलब्ध पानी के आधार पर राज्यों का पानी का वितरण तय किया जाता है। उन्होंने कहा कि इस समय न तो डैम में पानी कम हो रहा है और न ही पंजाब को मिलने वाले पानी में कोई कमी की जा रही है। उन्होंने कहा कि आज तक पीने वाले पानी को लेकर कभी किसी राज्य को कोई दिक्कत नहीं हुई। इस मामले में दोनाें राज्याें के अपने-अपने तर्क हैं और दिलचस्प बात यह है कि कांग्रेस व आम आदमी पार्टी सहित पंजाब के सभी दल जहां मुख्यमंत्री पंजाब के साथ खड़े हैं, वहीं हरियाणा के सभी दल जिनमें कांग्रेस व आम आदमी पार्टी भी शामिल हैं, वे मुख्यमंत्री हरियाणा के साथ खड़े नजर आ रहे हैं। 

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