युवाओं की नियति

इतिहास की किताबों के अनुसार प्राचीन काल में भारत को महान देश माना जाता था और इसे सोने की चिड़िया भी कहा जाता था, परन्तु विदेशी आक्रमणकारियों ने इस पर लगातार हमले करके इसके ऐतिहासिक स्वर्ण पृष्ठों को धूल से भर दिया था। आज़ादी के बाद भी इन पृष्ठों की धूल को साफ नहीं किया जा सका। आज भारत के एक बार फिर महान देश बनने का सपना देखा जा रहा है। आगामी दशकों में इसे विश्व की तीसरी बड़ी आर्थिक शक्ति बनाने के दावे भी किए जा रहे हैं परन्तु इस देश की नियति लगातार संताप भोगती आ रही है।
आज भी बड़े यत्नों के बावजूद करोड़ों लोग ़गरीबी भरा बेहद सतही जीवन जी रहे हैं। इस बड़े और विशाल देश के लिए अभी तक भी पुख्ता और कड़ी योजनाबंदी नहीं की जा रही। प्रतिदिन सराल की भांति बढ़ती इसकी आबादी से भी ऐसा अनुमान लगाना कठिन नहीं है। यदि अनियमितताओं के कारण आबादी इसी तरह बढ़ती जाएगी तो देश पर उसका भार भी बढ़ता जाएगा। इसके विकास की बातें सतही धरातल पर खोखली बनी दिखाई देंगी। बढ़ती आबादी से युवाओं की संख्या भी बढ़ती जा रही है। उनके लिए रोज़गार के अवसर कैसे पैदा किया जाना है, इसकी चिन्ता हमारी सरकारों और समाज के गणमान्यों को नहीं है। बेरोज़गारी की तपिश सहन कर रहे युवाओं के दृश्य बेहद दयनीय प्रतीत होने लगे हैं। आज देश के करोड़ों युवाओं को अपना कोई भविष्य दिखाई नहीं देता। वे अपनी जीवन गति को जारी रखने के लिए प्रत्येक तरह का जोखिम उठाने को तैयार हैं। इसी क्रम में ही उनके द्वारा विदेशों में जाने हेतु लगाई जा रही दौड़ है। ‘मरता क्या नहीं करता’, वे किसी भी तरह यहां से निकलने को सिर्फ प्राथमिकता ही नहीं दे रहे, अपितु तड़पते दिखाई दे रहे हैं। लाखों की संख्या में पंजाब के युवा भी इस दौड़ में शामिल होने के लिए तत्पर दिखाई दे रहे हैं। कुछ मास पहले अमरीका के नव-निर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने जिस तरह हथकड़ियां और बेड़ियां लगा कर भारतीय युवाओं को अपने सैन्य विमानों से यहां भेजा, अपमानित होने का वह संताप भूलने वाला नहीं है। उसके बाद भी लगातार ये समाचार प्राप्त हो रहे हैं कि युवक किसी भी ढंग-तरीके से विदेशों को जाने के लिए तत्पर हैं। जाली पास्पोर्ट बना कर एवं युवाओं को भ्रमित करके विदेश भेजने वाले एजेंटों को लगातार गिरफ्तार किए जाने के समाचार प्राप्त हो रहे हैं और हर तरफ से ये अपीलें भी की जाती हैं कि इन एजेंटों के जाल में न फंसा जाए, परन्तु अंधकारमय भविष्य में कदमों की यह गति रुकती दिखाई नहीं दे रही। उदाहरणतया घर की ़गरीबी दूर करने के लिए एक युवक पिछले 10 मास से मोराक्को में फंसा रहा। उसे एजेंट ने स्पेन भेजने का झांसा दिया था। इसके लिए उसके ज़रूरतमंद अभिभावकों ने कई जोड़-तोड़ करके रिश्तेदारों से 13 लाख रुपए इकट्ठे करके एजेंट को दिये, जिसने उसे जयपुर से स्पेन के लिए विमान से भेजा परन्तु स्पेन के स्थान पर उसे मोराक्को में फंसा दिया। संत बलबीर सिंह सीचेवाल के यत्नों से इस युवक सहित 10 अन्य फंसे पंजाबी भी वापिस आने में सफल हुए हैं। इसी अप्रैल मास में लाओस में धोखे से ़गैर-कानूनी कामों में फंसाए गए 17 भारतीयों को वापिस लाया गया है। इसकी जानकारी विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने दी और साथ ही विदेश मंत्रालय द्वारा यह बयान भी जारी किया गया कि दक्षिण-पूर्वी एशियाई देशों में नौकरियों के अवसर ढूंढ रहे भारतीयों को नौकरी देने वाली कम्पनियों की पृष्ठ-भूमि की भी अच्छी तरह से जांच-पड़ताल कर लेनी चाहिए।
इन समाचारों से ही अब एक और बेहद दिल दहलाने वाला समाचार प्राप्त हुआ है कि डंकी द्वारा आस्ट्रेलिया जाने के लिए निकले तीन युवकों का ईरान में कुछ व्यक्तियों को ईरान में कुछ व्यक्तियों  ने अपहरण कर लिया। उसके बाद से वे लगातार उनसे मारपीट करने की तस्वीरें परिवारों को भेजते रहे हैं और उन्हें छोड़ने के लिए अपहरणकर्ताओं द्वारा एक करोड़ रुपए फिरौती की मांग की जा रही है। संबंधित एजेंट ने उन्हें दिल्ली से दुबई भेजा और कहा कि ईरान में कुछ समय के लिए रुकना पड़ेगा, जहां उनका असामाजिक तत्वों द्वारा अपहरण कर लिया गया। इस संबंध में पंजाब के एन.आर.आई. मामलों संबंधी मंत्री कुलदीप सिंह धालीवाल ने चिन्ता व्यक्त करते हुए ईरान स्थित भारतीय दूतावास से केन्द्र सरकार के माध्यम से इनकी रिहाई के लिए सम्पर्क बनाया हुआ है। इसके साथ ही धालीवाल ने पंजाबी परिवारों को यह अपील भी की है कि वे अपने बच्चों को गलत ढंग-तरीके से विदेशों में भेजने का यत्न न करें, परन्तु पंजाब के ज्यादातर युवाओं की यह संताप भरी ऐसी नियति है, जिसका कोई किनारा दिखाई नहीं दे रहा। शायद ऐसा संताप आगामी लम्बी अवधि तक पंजाब और देश को भोगना पड़ेगा।

—बरजिन्दर सिंह हमदर्द

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