घर-बार छोड़ने की मजबूरी
पहलगाम की दुखद घटना के बाद अब तक भारत और पाकिस्तान के बीच शुरू हुई कशमकश से माहौल बेहद तनावपूर्ण होता जा रहा है। चाहे दोनों देशों द्वारा अब तक औपचारिक तौर पर युद्ध की घोषणा नहीं की गई परन्तु जम्मू-कश्मीर में नियन्त्रण रेखा पर भीषण गोलीबारी जारी है। इस कारण जम्मू-कश्मीर में नियन्त्रण रेखा के साथ लगते भारतीय क्षेत्र उरी, पुंछ, राजौरी और कुपवाड़ा के लोगों में बेहद सहम पैदा हो चुका है। उन्होंने एक बार फिर अपने घर-बार छोड़ने का फैसला कर लिया है। अब तक ज्यादातर लोग परिवारों सहित कूच भी कर गए हैं। अपने नए स्थान ढूंढने के लिए उन्हें जिस तरह की मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा और जिस तरह की दुश्वारियों में से गुज़रना पड़ेगा, वह एक अलग कहानी है।
भारत द्वारा पाकिस्तान में आतंकवादियों के ठिकानों पर किए गए हमले के बाद बौखलाए पाकिस्तान की ओर से और अधिक शिद्दत के साथ सीमाओं पर गोलीबारी की जाने लगी है। विगत दिवस इस गोलीबारी में 14 लोगों की मृत्य हो गई थी और दर्जनों ही घायल हो गए थे। इस कारण लोगों का अपने घरों से उजड़ने का सिलसिला और भी तेज़ हो गया है। पंजाब के साथ लगते सीमांत ज़िलों में चाहे अब तक ज्यादा सहम नहीं था परन्तु सुरक्षा बलों द्वारा कंडियाली तार से पार जाने से किसानों को रोक दिया गया है। अब इन सीमाओं पर भी दोनों ओर से सेना की तैनाती शुरू हो गई है। गत रात्रि अमृतसर में बड़े धमाके सुनाई दिए और गुरदासपुर और अमृतसर ज़िले में खेतों में बिखर कर गिरे लोहे के टुकड़े मिलने के बाद माहौल में घुटन पैदा होने लगी है। वहां रहते लोगों को भी उजड़ने का डर सताने लगा है।
इस संबंध में यह जानकारी सामने आई है कि पाकिस्तान द्वारा गत रात्रि भारत के 15 सैन्य ठिकानों को मिसाइलों से निशाना बनाया गया था, जिसे भारत के एयर डिफैंस सिस्टम ने रास्ते में ही असफल बना दिया। इसी की प्रतिक्रिया स्वरूप भारत ने भी पाकिस्तान में कार्रवाई करके लाहौर, सियालकोट, रावलपिंडी और कराची में पाकिस्तान एयर डिफैंस सिस्टम को सफलतापूर्वक निशाना बनाया। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज़ शऱीफ ने बदला लेने की फिर से धमकी दी है। वहां के सेना प्रमुख तो पहले ही भारत के साथ लड़ाई और इसे सबक सिखाने के बयान देने में लगे हुए हैं। आज भी वहां एक तरह से सेना का प्रभाव ही दिखाई देता है, जो और भी बढ़ गया है। भारत सरकार द्वारा भी मुकाबले के लिए पूरी तैयारियां की जा रही हैं। इसी सन्दर्भ में राजधानी में हुई सर्वदलीय बैठक को देखा जा सकता है। चाहे पहले की तरह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी तो इसमें शामिल नहीं हुए, जिस पर विपक्षी पार्टियों ने, विशेष रूप से कांग्रेसी नेताओं ने कड़ी आपत्ति जताई है परन्तु इसके बावजूद उन्होंने इस मामले पर सरकार के साथ खड़े होने को प्राथमिकता दी है।
विश्व भर की नज़रें इधर केन्द्रित हैं। संयुक्त राष्ट्र सहित कुछ बड़े देश भारत और पाकिस्तान को युद्ध रोकने के लिए भी कह रहे हैं, परन्तु अब तक बने माहौल के दृष्टिगत दोनों देशों के लिए शीघ्र ही मोड़ काटना बेहद कठिन प्रतीत होता है। युद्ध के बने इस माहौल में केन्द्र और राज्य सरकारों को इस बात की ओर विशेष ध्यान देने की ज़रूरत होगी कि वे सीमांत क्षेत्रों में लोगों को सुरक्षा मुहैया करने और अपने घर-बार छोड़ कर बाहर निकले परिवारों की सुध लेने की ओर पूरा ध्यान दें ताकि उन्हें नए अस्थायी माहौल में किसी भी परेशानी का सामना न करना पड़े और किसी भी तरह की मूलभूत सुविधायों से वंचित न रहें। यह जहां संबंधित सरकारों की ज़िम्मेदारी है, वहीं समाज का भी फज़र् है कि वह आगे बढ़ कर इन परिवारों की हर तरह से सहायता करने में सहायक हों।
—बरजिन्दर सिंह हमदर्द