बचिये जीवन शैली की बीमारियों से

डाक्टर घूम फिर कर इसी नतीजे पर पहुंच रहे हैं कि अधिकतर बीमारियां खाने पीने की गड़बड़ियों के कारण ही होती हैं। विशेषकर जीवन शैली से संबंधित बीमारियां जैसे हृदय रोग, उच्च रक्तचाप और मोटापा सीधे-सीधे हमारे खाने की आदतों से सम्पर्क रखती हैं। आइए देखें कि हम स्वस्थ जीवन जीने और इन बीमारियों से दूर रहने के लिए क्या कर सकते हैं। 
चर्बी कम खाएं
एक जमाना था जब देसी घी अधिक खाना स्वास्थ्य के लिए अच्छा समझा जाता था किंतु अब जीवन शैली में बदलाव के कारण देसी घी, मक्खन, चीज आदि से दूर रहना ही बेहतर समझा जाता है। इसी प्रकार गरी का तेल, मांस, और वनस्पति भी खाने को डाक्टर मना करते हैं। इन सब वस्तुओं में एक चर्बीला पदार्थ-कोलेस्ट्रोल होता है जो मांस, अंडे और घी में काफी अधिक पाया जाता है। इस प्रकार के पदार्थ अधिक खाने से रक्त में कोलेस्ट्रोल की मात्र अधिक हो जाती है जो हमारी रक्त धमनियों में जमने लगता है। यदि आप बाहर खा रहे हों तो यह पूछने में कभी न हिचकें कि खाना बनाने के लिए कौन-सा तेल प्रयोग किया जाता है। 
चीनी कम खाएं
कुछ लोगों को चाय अधिक पीने की आदत होती है तो कुछ लोग कोल्ड ड्रिंक्स और बिस्कुट खाते रहते हैं। ऐसे पदार्थ बार-बार खाने से रक्त में शर्करा की मात्र बढ़ जाती है और हमारे पैनक्रि यास को इसे बराबर करने के लिए अधिक इन्सुलिन बनानी पड़ती है, जिसके कारण रक्ता में शर्करा कम हो जाती है और हम थकान अनुभव करते हैं। यदि यह लम्बे समय तक जारी रखा जाए, तो इससे मधुमेह तक हो सकता है। 
खाना खाते समय अपने मन को शांत रखें और तनाव व नकारात्मक विचारों को पास न फटकने दें। धीरे खाने की आदत डालें, विशेषत: पार्टियों में खाने की गति बहुत धीमी रखें। 
नमक कम करें
अधिक नमक लेने से सबसे अधिक खतरा उच्च रक्तचाप का होता है। नमक हमारे शरीर में द्रव्य पदार्थों को रोक लेता है जिससे हृदय और गुर्दों पर भी दुष्प्रभाव पड़ता है। खाने में सदा कम नमक डालें और बाजारी स्नैक्स और टमाटर सास कम से कम खाएं।
कार्बोहाइड्रेट
वजन को कम रखने में कार्बोहाड्रेट भी योगदान दे सकते हैं। अनाज, सूखे मेवे और अधिकतर सब्जियां व फल कार्बोहाइड्रेट के अच्छे स्रोत हैं। सब्जियों से तो हमें विटामिन, खनिज पदार्थ व रेशा भी मिलता है। बिना तला आलू भी कार्बोहाइड्रेट के लिए अच्छा स्रोत है।
पानी अधिक पिए
पानी हमें कोई कैलोरी नहीं देता, अत: हम जितना चाहे पानी पी सकते हैं। हमें प्रतिदिन कम से कम आठ से 10 गिलास पानी पीना चाहिए। पानी हमारे शरीर की विकृतियों को निकलने में सहायता देता है और भूख कम करने में भी सहायक होता है। जब भूख अधिक लग रही हो तो एक गिलास पानी भूख की तीव्रता को कम कर देता है। 
बदलाव
खाने में समय-समय पर बदलाव करना भी बहुत ज़रूरी है ताकि हम एक जैसा खाना खाकर बोर न हो जाएं और हमें हर प्रकार की पौष्टिकता प्राप्त हो सके। यह भी ध्यान रखें कि बदलाव का अर्थ यह नहीं कि हम अपने लिए हानिप्रद पदार्थ भी खाएं। ऐसे खाद्य पदार्थों से जितना दूर रहें उतना लाभ में रहेंगे। (स्वास्थ्य दर्पण)