टेनिस कोर्ट पर ईमानदारी का दूसरा नाम है रोहन बोपन्ना

यू एस ओपन 2023 में पुरुष युगल के फाइनल की बात है- तीसरे सेट के सातवें गेम में मैथ्यू एब्डन 0-15 पर सर्व कर रहे थे, जिसके रिटर्न पर एब्डन ने जो क्रॉस मारा वह उनके पार्टनर रोहन बोपन्ना की शर्ट को ब्रश करता हुआ निकला, जिसे राजीव राम व जो सेलिस्बरी की प्रतिद्वंदी जोड़ी वापस न कर सकी और चेयर अंपायर जुआन जहंग ने स्कोर 15-15 घोषित कर दिया। ज़ाहिर है अंपायर ने यह नहीं देखा था कि गेंद रोहन की शर्ट को स्पर्श करके गई थी। लेकिन रोहन ने अंपायर से जाकर बता दिया कि गेंद उन्हें स्पर्श करके गई थी। अंपायर कुछ उलझन में पड़ीं और उन्होंने कहा कि क्या तुम अंक फॉरफिट करना चाहते हो? रोहन ने कहा, ‘अगर मैं अंक फॉरफिट न कर रहा होता तो आपको बताता ही नहीं कि गेंद मुझे स्पर्श करके गई थी।’ एब्डन के अनुसार, स्टेडियम में केवल उन्होंने देखा था कि गेंद रोहन को लगकर गई थी।
बहरहाल, कड़े मुकाबले में रोहन-एब्डन की जोड़ी फाइनल तो हार गई, लेकिन रोहन ने अपनी ईमानदारी से सबका दिल जीत लिया। राजीव राम ने कहा, ‘जब रोहन चेयर अंपायर के पास जा रहे थे तो मुझे लगा कि वह कोई शिकायत करने जा रहे हैं। मैंने यह सोचा ही नहीं था कि वह अंक हमें देने जा रहे हैं। यह अतिरिक्त स्तर की खेल भावना है। वह महत्वपूर्ण अंक था। मेरे पास शब्द नहीं हैं यह बयान करने के लिए कि इससे रोहन के प्रति मेरा सम्मान कितना बढ़ गया है।’
दरअसल, रोहन अपने पूरे करियर में ऐसे ही ईमानदार व्यक्ति रहे हैं, जिससे उन्हें कोर्ट के भीतर सफलता मिली है और हर जगह इज्ज़त भी। इसलिए यह आश्चर्य नहीं है कि रोहन ने इस साल के यूएस ओपन में असाधारण कीर्तिमान स्थापित किया। वह ओपन एरा में ग्रैंड स्लैम के फाइनल में पहुंचने वाले सबसे अधिक आयु के खिलाड़ी बने। रोहन 43 वर्ष 6 माह की आयु में ग्रैंड स्लैम के फाइनल में पहुंचे। उनसे पहले यह रिकॉर्ड कनाडा के डेनियल नेस्टर के नाम था, जिन्होंने 43 वर्ष 4 माह की आयु में मेजर फाइनल खेला था। गौरतलब है कि इस साल के ऑस्ट्रेलियन ओपन में भी रोहन सानिया मिज़र्ा (जो अब रिटायर हो चुकी हैं) के साथ मिश्रित युगल के फाइनल में पहुंचे थे। 
फिटनेस मुद्दों व चोटों से जूझने के बावजूद रोहन इस आयु में भी जबरदस्त फॉर्म में हैं। रोहन बताते हैं, ‘मैं अपनी तुलना अन्य 40-वर्ष के व्यक्तियों से नहीं कर सकता हूं जो स्प्रिंट लगाते हैं। मेरे घुटनों में कार्टलिज नहीं है। मैं भारी वज़न नहीं उठा सकता हूं और न ही दौड़ सकता हूं। इसके बावजूद मैंने टेनिस खेलना जारी रखा क्योंकि मुझे खुद पर इस आयु में भी बड़ी प्रतियोगिताएं जीतने का विश्वास था और यही मेरे लिए सबसे अच्छा एहसास रहा है।’ रोहन का जन्म 4 मार्च 1980 को बेंग्लुरु में हुआ था। उनकी दिलचस्पी टीम गेम में थी, लेकिन उनके पिता चाहते थे कि वह व्यक्तिगत स्पोर्ट्स में हिस्सा लें। इसलिए उन्होंने टेनिस खेलना शुरू किया। एकल में उनकी करियर हाई रैंकिंग 2007 में विश्व नंबर 213 रही और युगल में 22 जुलाई 2013 को वह विश्व नंबर 3 थे। वह 2002 से भारतीय डेविस कप टीम का हिस्सा रहे हैं और इस साल मोरक्को के विरुद्ध 16 व 17 सितम्बर को लखनऊ में भारत के लिए अपना अंतिम डेविस कप मैच खेलेंगे। यह उनका 50वां डेविस कप मैच होगा। रोहन ने अपने करियर में 24 खिताब जीते हैं, जिनमें एक ग्रैंडस्लैम (2017, फ्रेंच ओपन, गब्रिएला डब्रोव्सकी के साथ) और पांच एटीपी 1000 खिताब शामिल हैं। उन्होंने पाकिस्तानी खिलाड़ी ऐसाम-उल-हक कुरैशी के साथ 2007 में लगातार चार चैलेंजर खिताब जीते थे। रोहन-कुरैशी की जोड़ी लम्बे समय तक इंडो-पाकि एक्सप्रेस के नाम से विख्यात रही और दोनों ने मिलकर उल्लेखनीय सफलता टेनिस सर्किट पर हासिल की। रोहन ने 2012 व 2016 ओलंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व किया। सबसे अधिक आयु में एटीपी मास्टर 1000 खिताब (मार्च 2023) जीतने वाले रोहन इस समय युगल में विश्व के 9 रैंकिंग वाले खिलाड़ी हैं। 
बहरहाल, रोहन डेविस कप को मिश्रित भावनाओं के साथ अलविदा कह रहे हैं। डेविस कप उनका पहला प्यार था। जब उन्होंने पहली बार रैकेट पकड़ा था तो उनका एक ही सपना था कि एक दिन अपने देश का प्रतिनिधित्व करेंगे। जब 2002 में उन्हें डेविस कप की टीम में शामिल किया गया तो उनके माता-पिता ने कुर्ग में विशाल पार्टी का आयोजन किया था। टीम में जो दोस्ताना माहौल और एक-दूसरे को प्रोत्साहित करने का जो जज्बा था, उससे रोहन ने बहुत कुछ सीखा और उन्हें उसमें मज़ा भी बहुत आया। डेविस कप उन्हें इसलिए ही पसंद था। लेकिन आज टीम में वैसा माहौल नहीं है, जिसका रोहन को अफसोस है और वह इस बारे में सोमदेव देववर्मन से बहुत बातें भी करते हैं। रोहन के अनुसार डेविस कप भी व्यक्तिगत स्पोर्ट्स बन गया है, टीम का वातावरण रहा ही नहीं है। अब कोई टीम के रूप में चीयर ही नहीं करता। रोहन अपना अंतिम डेविस कप मैच बेंग्लुरु में खेलना चाहते थे, जहां उन्हें देखने के लिए 400-500 दोस्त व परिवार के सदस्य आते, लेकिन मैच लखनऊ में हो रहा है जहां बेंग्लुरु से लगभग 75 लोग ही आ पायेंगे।
 

-इमेज रिफ्लेक्शन सेंटर