देश में बढ़ते रसोई गैस कनैक्शन

प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना एक बार फिर देश के ़गरीब और मध्यम वर्गीय परिवारों के लिए बहुत बड़ी राहत लेकर उभरी है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की ओर से अपनी सरकार की पहली पारी के अन्तर्गत सन 2016 के दौरान शुरू की गई इस योजना के अब और विस्तार की योजना बनाई गई है, और इस हेतु 1650 करोड़ रुपये की अतिरिक्त राशि की स्वीकृति दी गई है। इस योजना के तहत प्रथम मई, 2016 को देश भर के 5 करोड़ लोगों को खाना पकाने वाली घरेलू गैस के कनैक्शन प्रदान किये गये थे। ये कनैक्शन घर की महिला के नाम उन परिवारों को दिये गये थे जिनकी मासिक आय ़गरीबी रेखा हेतु तय सीमा से कम थी। इसके लिए तब बजट में 80 अरब रुपये की राशि रखी गई थी। इस योजना को बाद में वर्ष 2021 में उज्ज्वल योजना 2-0 अथवा प्रकाश की योजना का नाम दिया गया। इस योजना का प्रभार ऊर्जा मंत्री को सौंपा गया गया था जिसका अधिभार मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान के ज़िम्मे था। इस योजना के अन्तर्गत पहले वर्ष में 150 लाख गैस कनैक्शन दिये जाने का लक्ष्य रखा गया था किन्तु इसके आरम्भ होने के बाद इन्हें लेने वालों का दायरा निरन्तर व्यापक होता चला गया, और कि एक वर्ष व्यतीत होते-होते गैस कनैक्शनों की संख्या 220 लाख तक पहुंच गई। इसी वर्ष अर्थात 2017 में 300 लाख गैस सिलेण्डर कनैक्शन जारी कर दिये गये। इस योजना की एक और बड़ी विशेषता इसमें अनुसूचित जाति और अनुसूचित कबीलों की बड़ी आबादी को शामिल किया जाना भी रही। इसके दृष्टिगत इन तीन करोड़ उज्ज्वला गैस कनैक्शनों में से 44 प्रतिशत इन दोनों वर्गों के परिवारों को प्रदान किये गये। यह योजना इतनी शीघ्र इतना लोकप्रिय होती चली गई कि दिसम्बर 2018 तक इसके अन्तर्गत 5 करोड़ 80 लाख परिवारों को घरेलू रसोई गैस सिलेण्डर प्रदान कर दिये गये।
भारत में पिछली सदी के सातवें दशक के बाद से घरेलू रसोई गैस सिलेण्डरों के प्रचलन में तेज़ी आई थी। इससे पूर्व कुछ बड़े शहरों में ही खाना पकाने वाले पुरातन साधनों के विपरीत रसोई गैस सिलेण्डरों का प्रचलन था। धीरे-धीरे राजधानी दिल्ली, कोलकाता, मुम्बई, चेन्नई आदि के बाहर भी इस साधन का प्रचलन बढ़ने लगा। इसके बावजूद रसोई गैस कनैक्शनों की संख्या बढ़ नहीं रही थी। धीरे-धीरे रसोई गैस का उत्पादन भी बढ़ा और इसकी खपत में भी भारी वृद्धि होती चली गई। लेकिन मोदी सरकार की इस उज्ज्वला योजना ने तो रसोई गैस की खपत को जैसे पंख लगा दिये। इस हेतु केन्द्र सरकार के सहयोग से तेल कम्पनियों ने निरन्तर 21 हज़ार जागरूकता कैम्पों का आयोजन किया। इन जागरूकता कैम्पों के द्वारा जहां देश में ईंधन के पुराने साधनों को तिलांजलि दिये जाने की वृत्ति प्रबल होती चली गई, वहीं इससे वृक्षों की अंधाधुंध कटाई के  रुझान पर अंकुश लगा तो वातावरण में स्वच्छता का प्रचलन बढ़ने लगा। मिट्टी के तेल वाले चूल्हों और लकड़ी एवं कोयले की अंगीठियां जलाये जाने से जहां पर्यावरण में प्रदूषण बढ़ता था, वहीं अनेकानेक रोगों की उत्पत्ति का कारण भी बनता था। इस योजना का विस्तार आर्थिक रूप से कमज़ोर धरातल वाले प्रदेशों यथा उत्तर प्रदेश, प. बंगाल, बिहार, मध्य प्रदेश, राजस्थान और तमिलनाडू में अधिक तीव्र गति से हुआ। इस योजना की लोकप्रियता में और वृद्धि करते हुए स्वयं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने वर्ष 2019 में 8 करोड़ लाभपात्री परिवारों को रसोई गैस सिलेण्डर भी वितरित किये। इस प्रकार खाना पकाने वाले इस ईंधन का प्रसार ग्रामीण क्षेत्रों में भी बड़ी तेज़ी से होता चला गया। इससे पर्यावरण में व्याप्त गैसों के प्रभाव को कम अथवा सीमित करने हेतु अन्तर्राष्ट्रीय धरातल पर भारत के प्रयासों को बड़ा सम्बल और समर्थन मिला। प्रधानमंत्री मोदी की सरकार की इस दूसरी पारी में नि:संदेह रूप से प्रधानमंत्री का निजी धरातल पर भी कद ऊंचा हुआ है।
हम समझते हैं कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने उज्ज्वला योजना के तहत जहां देश के सुदूर कोनों तक रसोई गैस के स्वच्छ साधन के प्रसार को बढ़ावा दिया, वहीं इससे मोदी सरकार ने ़गरीबी रेखा से नीचे वाले लोगों के उत्थान हेतु अपने प्रण को पूर्ण करने की दिशा में भी कदम बढ़ाया है। श्री नरेन्द्र मोदी की इन दो पारियों में नि:संदेह रूप से जहां वैश्विक मान-चित्र पर भारत का मान और सम्मान बढ़ा है, वहीं आंतरिक रूप में ़गरीबी के उन्मूलन, लोगों की प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि और आमजन के जीवन स्तर में सुधार के पथ पर सतत् श्रम करके भी इस सरकार ने प्रतिष्ठा अर्जित की है। इस योजना में विस्तार के इस नये फैसले से नि:संदेह देश के सुदूर अंचलों में अभी भी गैस कनैक्शनों से वंचित चल रहे ़गरीब और ग्रामीण परिवारों को राहत मिल सकेगी। मोदी सरकार अपनी दूसरी पारी के दौरान लोगों से किये गये वायदों और दावों की पूर्ति हेतु तेज़ी से आगे बढ़ी है।