राहुल ने फिर की जाति-आधारित जनगणना की वकालत 

2024 के लोकसभा चुनाव से पहले सामाजिक न्याय की राजनीति को पुन: परिभाषित करने की कोशिश करते हुए कांग्रेस नेता  राहुल गांधी ने संसद के विशेष सत्र में महिला आरक्षण विधेयक पर अपने भाषण के दौरान एक बार फिर जाति आधारित जनगणना करवाने की मांग उठाई। उन्होंने कहा कि पिछड़े वर्गों की महिलाओं को इस आरक्षण में लाभ दिये बिना यह विधेयक अधूरा है। उन्होंने इस बात पर ज़ोर देते हुए कहा कि जाति आधारित जनगणना अन्य पिछड़े वर्ग, दलितों, आदिवासियों तथा महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित करेगी। राहुल गांधी ने कहा कि यदि उनकी पार्टी सत्ता में आती है तो एक सख्त अभ्यास करेगी। यदि हम अन्य पिछड़ा वर्ग, दलितों, आदिवासियों तथा महिलाओं को भागीदारी देना चाहते हैं तो जाति आधारित जनगणना करवानी पड़ेगी। राहुल गांधी ने छत्तीसगढ़ के बिलासपुर के परसदा गांव में सरकार का आवास न्याय सम्मेलन में सम्बोधित करते हुए कहा कि यदि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जातीय जनगणना नहीं करवाते, तो जब हम सत्ता में आएंगे तो हमारा पहला कदम अन्य पिछड़ा वर्ग की भागीदारी सुनिश्चित बनाने के लिए जातीय जनगणना करवाना होगा। राहुल ने आगे कहा कि प्रधानमंत्री ‘जातीय जनगणना’ के आंकड़ों को सार्वजनिक नहीं करना चाहते हैं। हालांकि कांग्रेस ने अपना ध्यान जातीय जनगणना पर केन्द्रित करने की कोशिश की थी और पार्टी को विश्वास है कि वह अन्य पिछड़े वर्ग (ओबीसी), एस.सी., एस.टी. तथा अन्य अल्पसंख्यक मतदाताओं को अपने पक्ष में एकजुट कर सकती है।  
कांग्रेस तथा सपा के बीच मतभेद 
2024 के लोकसभा चुनाव से पहले उत्तर प्रदेश में कांग्रेस तथा समाजवादी पार्टी (सपा) के बीच सीटों के विभाजन को लेकर बातचीत में बाधाएं आती दिखाई दे रही हैं। दोनों पार्टियां विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ का हिस्सा हैं। सूत्रों के अनुसार समाजवादी पार्टी आगामी आम चुनाव में प्रदेश में कांग्रेस के लिए 10 से अधिक सीटें नहीं छोड़ने पर अडिग थी, परन्तु दूसरी ओर कांग्रेस सीटों के विभाजन का आधार 2009 वाला चाहती थी। 2009 में लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने अपने दम पर राज्य में 21 सीटों पर जीत प्राप्त की थी। सपा कांग्रेस की मांग मानने को तैयार नहीं, जैसे कि अखिलेश यादव ने कुछ दिन पहले कहा था कि उनकी पार्टी ‘इंडिया’ गठबंधन में से सीटें देने के लिए नहीं कहेगी। इसके बजाय हम गठबंधन के सहयोगियों को सीटें देंगे, उन्होंने स्पष्ट रूप से यह संकेत देते हुए टिप्पणी की थी कि उत्तर प्रदेश में बॉस कौन है। सीटों के विभाजन पर सपा अध्यक्ष की रणनीति पर प्रतिक्रिया देते हुए कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अजय राय ने कहा, कांग्रेस अपने दम पर सभी 80 सीटों पर चुनाव लड़ने के समर्थ है। हालांकि सपा नेताओं ने इस बात पर ज़ोर दिया कि पार्टी को राष्ट्रीय लोक दल (आरएलडी), भीम आर्मी नेता चन्द्रशेखर तथा अपना दल (कृष्णा पटेल) के लिए भी सीटें छोड़नी पड़ेंगी। इस दौरान समाजवादी पार्टी का पूरा ध्यान 2022 के अपने प्रदर्शन को सुधारने तथा एक क्षेत्रीय दिग्गज पार्टी की भूमिका की बजाय स्वयं को एक राष्ट्रीय इकाई में बदलने की संभावनाओं के लक्ष्य को हासिल करने पर लगा हुआ है। 
गहलोत की सक्रियता
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत 27 सितम्बर को मिशन-2030 अभियान के तहत 18 जिलों की 9 दिवसीय यात्रा पर कांग्रेस द्वारा पिछले कुछ महीनों के दौरान शुरू की जन-कल्याण योजनाओं को मज़बूत करने के विशेष लक्ष्य से रवाना हुए। गहलोत ने भाजपा पर निशान साधते हुए कहा कि जब भी भाजपा सत्ता में आई है, उसने हमेशा कांग्रेस सरकार द्वारा लागू की गई योजनाओं को बंद कर दिया। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को यह गारंटी देनी चाहिए कि यदि राज्य में भाजपा सत्ता में आती है तो कांग्रेस सरकार की योजनाएं बंद नहीं की जाएंगी। इस यात्रा के दौरान अशोक गहलोत रास्ते में 50 स्थानों पर रूकेंगे, लोगों से जुड़ेंगे और 2030 तक राजस्थान को भारत के शीर्ष विकासशील राज्यों में से आगे कैसे लाया जाए, इस बारे में लोगों के सुझाव लिए जाएंगे।
भाजपा की रणनीति
भाजपा को राजस्थान में राज्य इकाई में गुटबाज़ी होने के कारण दोबारा सत्ता प्राप्त करने के लिए सख्त मेहनत करनी पड़ रही है। केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा के राष्ट्रीय प्रधान जे.पी. नड्डा की जन आक्रोश यात्रा रैली में कम भीड़ जुटने की खबरें सामने आने के बाद पार्टी इकाई को व्यवस्थित करने का ध्यान रखेंगे। शाह और नड्डा ने आने वाले राज्य विधानसभा चुनावों पर पार्टी के राजस्थान नेतृत्व के साथ चर्चा की, इसके दौरान कई केन्द्रीय मंत्रियों को चुनाव लड़ने के लिए कहा जा सकता है। भाजपा सूत्रों के मुताबिक शाह और नड्डा ने सबसे पहले पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के साथ बैठक की। इसके बाद दोनों सीनियर नेताओं को मिलने पहुंचे और चुनाव क्षेत्रों और चुनाव रणनीति पर चर्चा की। केन्द्रीय मंत्री और राजस्थान के लिए पार्टी के चुनाव इंचार्ज प्रह्लाद जोशी, सह-इंचार्ज नितिन पटेल, राजस्थान के लिए पार्टी के इंचार्ज अरूण सिंह, प्रदेश प्रधान सी.पी. जोशी, केन्द्रीय मंत्री गजेंदर सिंह, अर्जुन मेघावाल, कैलाश चौधरी, विपक्षी दल के नेता राजेन्द्र बैठक में राठौर और विपक्षी दल के उप नेता और पूर्व राज्य प्रधान सतीश पूनिया भी मौजूद थे। बैठक में पार्टी नेतृत्व के चुनाव प्रचार के दौरान प्रदेश में मुख्यमंत्री का चेहरा पेश न करने और इसकी बजाए साझे नेतृत्व के नज़रिये के साथ आगे बढ़ने का दृढ़ फैसला लिया। यह रणनीतिक कदम क्षेत्रीय नेताओं की इच्छाओं और दुश्मनी को काबू में रखने और व्यक्ति से ऊपर पार्टी को मज़बूत करने की एक कोशिश लगती है। (आईपीए)