जी-20 सम्मेलन में भारत की उपलब्धियां 

भारत ने सुनिश्चित तौर पर 21वीं सदी में विश्व भर में हो रहे बड़े परिवर्तनों की शुरुआत की है। जी-20 की कमान ब्राज़ील को सौंपने से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भारत की जी-20 अध्यक्षता की भारी सफलता के लिए प्रशंसा और ढेरों बधाईयां मिल रही हैं। उन्होंने दुनिया की सबसे बडी अर्थ-व्यवस्थओं के बीच महत्वपूर्थ साझेदारी को बढ़ावा देकर विश्व में एक नया प्रतिमान स्थापित किया है, जिसका उद्देश्य विश्व के लिए एक नया भविष्य तैयार करना है।हम खुशनसीब हैं क्योंकि हम स्वतंत्र भारत के सबसे महत्वपूर्ण एवं निर्णायक पलों के गवाह हैं। भारत द्वारा जी-20 की अध्यक्षता ने ‘एक पथ्ृवी, एक परिवार, एक भविष्य’ के मंत्र के साथ मानव-केन्द्रित  प्रगित को बढ़ावा दिया है। भारत की अध्यक्षता ने कुछ बेहद महत्वपूर्ण तथा संजीदा सवालों को सम्बोधित किया है।
विश्व की प्रमुख अर्थ-व्यवस्थाओं द्वारा अभूतपूर्व नई दिल्ली लीडर्स समिट घोषणा को अपनाए जाने के साथ भारत ने कुशलतापूर्वक एक ध्रुवीकृत विश्व में आम सहमति बनाई और नई वैश्विक व्यवस्था की तत्काल आवश्यकता को दोहराया। जी-20 विश्व की 85 प्रतिशत अर्थ-व्यवस्था और 2/3 वैश्विक आबादी का प्रतिनिधित्व करता है। यह ऐतिहासिक घोषणा पथ प्रदर्शक रही क्योंकि इसने रूस-यूक्रेन युद्ध से लेकर जलवायु तथा मेगा आर्थिक गलियारे तक सभी विकासात्मक और भू-राजनीनितक मुद्दों पर 100 प्रतिशत आम सहमति हासिल की। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक ऐसे नेता हैं, जिसका मिशन विश्व की भलाई के लिए एक नया रास्ता तैयार करने में सद्भाव और सहयोग के साथ रहने की विचारधारा में गहराई से निहित है। प्रधानमंत्री मोदी ने हाल ही में लिखा था—एक पृथ्वी के रूप में, हम अपने ग्रह का पोषण करने के लिए एक साथ आ रहे हैं एक परिवार के रूप में, हम विकास के प्रयास में एक-दसूरे का समर्थन करते हैं और हम एक साझा भविष्य की ओर एक साथ आगे बढ़ रहे हैं, जो वर्तमान समय में एक निर्विवाद सत्य है।
एक साल पहले जब भारत ने जी-20 की अध्यक्षता संभाली थी तो देश में हर कोई ‘जी-20’ शब्द से परिचित नहीं रहा था, लेकिन प्रमुख बैठकों और सम्मेलनों को राज्यों तक ले जाने से यह ‘लोगों का त्यौहार’ बन गया। 60 भारतीय शहरों में 200 कार्यक्रमों के साथ प्रत्येक नागरिक के योगदान से भारत की शक्ति एवं सामर्थ्य का प्रदर्शन हुआ। कूटनीनत को दिल्ली तक सीमित न रखते हुए आम जनता तक ले जाया गया था।जी-20 तथा भारत मध्य पूर्व मेगा इकोनॉमिक कॉरिडोर में अफ्रीकन संघ के शामिल होने से लेकर ‘एक भविष्य के गठबंधन’ तक विश्व ने बड़ी वैश्विक चुनौतियों से निपटने के लिए वांछित गति हासिल की है। चल रहे भू-आर्थिक विखराव के बीच भारत आशा की रोशनी बनकर उभरा है।
भारत की जी-20 अध्यक्षता की एक और जीत अफ्रीकी संघ (एयू)को जी-20 में शामिल करना था। अफ्रीकी संघ 55 देशों का प्रतिनिधित्व करता है और इसके शीर्ष वैश्विक निकाय में एक स्थाई सदस्य के रूप में शामिल होने से ग्लोबल साउथ की आवाज बुलंद होगी और उन्हें वैश्विक शासन पारिस्थिकीय तत्रं में बडी भुमिका मिलेगी। जी-20 में अफ्रीकी संघ शामिल किया जाना प्रधानमंत्री मोदी के ‘सबका साथ, सबका विकास’ के मंत्र का स्पष्ट चित्रण है। भारत अपने वैश्विक दक्षिण नेतत्ृव को एक नए स्तर पर ले गया। सामूहिक और ठोस कायों के साथ चुनौतियों का समाधान करने के लिए ग्लोबल नॉर्थ और ग्लोबल साउथ के बीच सहयोग महत्वपूर्ण है जिसके बिना चुनौतियां काफी हद तक अप्राप्य रहेंगी। स्थायी जी-20 सदस्यता एक ऐसे महाद्वीप के पुनरुथान का प्रतिनिधित्व करती है जिसे पहले संघर्ष, आतंकवाद, अकाल और आपदाओं के शिकार के रूप में देखा गया है। जी-20 की सदस्यता 130 करोड़ की युवा आबादी के साथ महाद्वीप को एक वैश्विक ताकत के रूप में मान्यता देगी।
हाल ही में जलवायु परिवर्तन पर जारी संयुक्त  राष्ट्र फ्रेम वर्क कन्वेंशन (यूएनएफसीसीसी) की वैश्विक स्टॉकटेक रिपोर्ट तत्काल जलवायु कार्रवाई और मौजूदा प्रतिबद्धताओं के कार्यान्वयन के लिए एक स्पष्ट आह्वान के रूप में आई है। रिपोर्ट में इस बात पर ज़ोर दिया गया कि ‘प्रगति अभी भी अपर्याप्त है’ और ‘ग्लोबल वार्मिंग’ को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित रखने की खिडकी तेजी से बंद हो रही है। इस बार भारत की अध्यक्षता एकता को बढ़ावा देकर जलवायु कार्रवाई पर वैश्विक सहमति बनाने की आशा के साथ आई है और जी-20 के भीतर जलवायु कार्रवाई को आगे बढ़ाकर अंतर्रार्ष्ट्रीय सहयोग के लिए एक सकारात्मक मिसाल कायम की है। 


-चांसलर, चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी, 
मुख्य संरक्षक, एन.आई.डी.फाऊंडेशन 
संयोजक, इंडियन माइनॉरिटी फाउंडेशन
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