मध्य प्रदेश तथा छत्तीसगढ़ की चुनाव सरगर्मी

देश के पांच राज्यों में चुनाव प्रक्रिया जारी है। जब से चुनाव आयोग द्वारा मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, मिज़ोरम, राजस्थान एवं तेलंगाना में चुनावों के लिए तिथियों की घोषणा की गई है, उसी दिन से देश भर की नज़रें इन राज्यों की ओर केन्द्रित हैं। बड़ी-छोटी पार्टियां अपने-अपने स्थान पर सक्रिय दिखाई देती हैं। चाहे इन राज्यों में मुख्य मुकाबला तो भारतीय जनता पार्टी तथा कांग्रेस में था परन्तु बहुजन समाज पार्टी, समाजवादी पार्टी तथा आम आदमी पार्टी आदि पार्टियां भी इन चुनावों के लिए सक्रिय दिखाई देती हैं। विगत दिवस मध्य प्रदेश की 230 विधानसभा सीटों तथा छत्तीसगढ़ की 90 सीटों पर मतदान हुआ। इन दोनों राज्यों के कुल मतदाताओं की संख्या लगभग 7 करोड़, 20 लाख है, परन्तु विगत अवधि में हुए मतदान से यह अनुमान सहज ही लगाया जा सकता है कि इन दोनों राज्यों के मतदाता अधिक उत्साह में इस प्रक्रिया में हिस्सा लेते हैं। इन चुनावों को इसलिए भी अधिक महत्त्वपूर्ण माना जा रहा है क्योंकि इनके बाद आगामी वर्ष लोकसभा चुनाव होने जा रहे हैं। इन राज्यों के 3 दिसम्बर को घोषित किए जाने वाले परिणामों से लोकसभा चुनावों के संबंध में कोई न कोई अनुमान ज़रूर लगाया जा सकेगा। इसलिए दोनों प्रमुख पार्टियों ने चुनाव प्रचार के लिए भी तथा उम्मीदवारों के रूप में भी अपने बड़े राजनीतिज्ञ मैदान में उतारे हैं।
दक्षिणी राज्य तेलंगाना के चुनाव इसलिए भी महत्त्वपूर्ण कहे जा सकते हैं क्योंकि वर्ष के शुरू में कर्नाटक के हुए चुनावों में कांग्रेस को जीत प्राप्त हुई थी। पांच राज्यों की विधानसभाओं के ये चुनाव भाजपा द्वारा स्थानीय नेताओं के साथ-साथ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नाम पर लड़े जा रहे हैं परन्तु कांग्रेस ने सोनिया गांधी, राहुल गांधी, मल्लिकार्जुन खड़गे सहित संयुक्त रूप में अपने प्रमुख नेता चुनाव प्रचार में उतारे हैं। मध्य प्रदेश एक बड़ा राज्य है। शिवराज सिंह चौहान ने विगत 20 वर्षों में इस प्रदेश में 18 वर्ष तक प्रशासन चलाया है। इतनी लम्बी अवधि में अक्सर मतदाता का मन किसी व्यक्ति विशेष से ऊब भी जाता है, इसलिए इस बार भाजपा द्वारा इस प्रदेश में पहले की भांति सम्भावित मुख्यमंत्री के चेहरे की घोषणा नहीं की गई। इस बड़े प्रदेश की चुनाव प्रक्रिया तो एक दिन में पूरी कर ली गई है, परन्तु छत्तीसगढ़ में मतदान दो चरणों में हुए हैं।
जिस तरह कि अक्सर देखा गया है, इस बार भी बड़ी-छोटी पार्टियों द्वारा मतदाताओं का ध्यान आकर्षित करने के लिए लम्बे-चौड़े वायदे तथा दावे किए जाते रहे हैं, जिनका प्रभाव लोगों के मन में कितना पड़ेगा, इसका अनुमान मौजूदा स्थिति में लगाया जाना मुश्किल है। कांग्रेस द्वारा नए बनाए गए गठबंधन ‘इंडिया’ के साथ मिल कर इस ब ार जहां जाति आधारित जनगणना को चुनावों के लिए एक बड़ा मुद्दा बनाने का यत्न किया जा रहा है, वहीं भाजपा का बड़ा मुद्दा हिन्दुत्व की भावना पर केन्द्रित है। छत्तीसगढ़ में कांग्रेस ने प्राथमिक रूप में जातिवादी भावना को उभारने का यत्न किया है। दूसरी तरफ प्रदेश में कांग्रेस का प्रशासन रहा होने के कारण यहां अपनी चुनावी रैलियों में प्रधानमंत्री मोदी से लेकर अन्य बड़े भाजपा नेताओं ने राज्य में फैले भ्रष्टाचार को अपने प्रचार का केन्द्र बनाए रखा है, परन्तु इसके साथ ही राहुल गांधी ने अपने चुनाव प्रचार के दौरान भाजपा से मुकाबला करने हेतु वायदों की झड़ी भी लगाई है। 
कांग्रेस के लिए इन राज्यों के चुनाव इस कारण भी महत्त्वपूर्ण कहे जा सकते हैं क्योंकि आगामी लोकसभा चुनावों में उसके पक्ष में आए परिणाम ‘इंडिया’ नामक गठबंधन में उसके महत्त्व को बढ़ाने या कम करने में सहायक हो सकते हैं। अभी शेष तीन राज्यों में मतदान होना है, इसलिए आगामी दिनों में देश की राजनीति इन चुनावों को लेकर पूरी तरह गर्म रहने की सम्भावना है।

—बरजिन्दर सिंह हमदर्द