जानें सूर्य की वास्तविकता

बच्चो, हम सूर्य को आम तौर पर एक आग के गोले के रूप में ही जानते हैं, लेकिन यह वास्तव में एक तारा है, जो अभी स्थिर अवस्था में है। न अभी यह फैल रहा है और न ही सिकुड़ रहा है। यह हाइड्रोजन और हीलियम का भंडार है। इसके अलावा इन गैसों के साथ थोड़ी-थोड़ी मात्रा में आक्सीजन, कार्बन और आयरन भी क्रियाशील है। वैज्ञानिकों अनुसार सूर्य 2.50 करोड़ वर्षों बाद आकाश गंगा के आस-पास एक चक्कर पूरा करता है, जो आकाश गंगा के केंद्र से 30,000 प्रकाश भाव रोशनी से दूर है। इसकी सतह का तापमान 6000 डिग्री सेंटीग्रेड है। सतह के अंदर का तापमान 2 करोड़ 70 लाख डिग्री फॉरेन्हाइट रहता है। इतने उच्च तापमान पर हमारी धरती भाफ बन कर उड़ सकती है। इसकी नाभी में गैसों का दबाव धरती के ऊपर तापमान 50 लाख दर्जे कैवलिन होता है। प्लाज्मा बनी हाइड्रोजन इस तापमान पर हीलियम में से निकलती है। इस क्रिया के समय कुछ मात्रा में पदार्थ ऊज़र्ा में तबदील होते हैं। इससे एक सेकंड में इतनी ऊज़र्ा पैदा होती है, जो मानवीय जाति के पैदा होने से लेकर अब तक उपयोग नहीं की जा सकी। वैज्ञानिकों के अनुसार सूर्य से जितनी ऊर्जा तैयार होती है, उसका 220 करोड़वां हिस्सा धरती पर पहुंचता है और बाकी 219 करोड़ हिस्से धरती के बाहर ब्रह्मांड में फैल जाते हैं। सूर्य की रोशनी एक सेकंड में 3 लाख किलोमीटर की रफ्तार के साथ चलती है। इसको धरती पर पहुंचने में आठ मिनट का समय लगता है। इस प्रकार सूर्य धरती से लगभग 14 करोड़ किलोमीटर दूर है। भारत में साल भर में 3000 घंटे सूर्य की किरणें पड़ती है, जबकि अमरीका में एरिज़ोना क्षेत्र में 4000 घंटे यह किरणें पड़ती है। इन किरणों के उपयोग से आने वाले समय में मोटर गाड़ियां चलेंगी और बिजली घर समाप्त होंगे, क्योंकि कोयला, डीज़ल, पैट्रोल, धरती के निचली गैस आदि प्राकृतिक स्त्रोत हैं, जो कुछ समय के बाद समाप्त होने वाले हैं।
सूर्य 4-6 बिलीयन वर्ष पहले अस्तित्व में आया माना जाता है। वैज्ञानिकों के अनुसार सूर्य की आयु 10 अरब साल है। लगभग यह अपनी आधी आयु व्यतीत कर चुका है। अंत में जब इस पर हाइड्रोजन और हीलियम का भंडार समाप्त हो जाएगा। तब इसका जलना कम हो जाएगा और यह धीरे-धीरे समाप्त हो जाएगा। समाप्त होने से पहले यह धरती सहित अपने मंडल के सभी ग्रहों को निगल लेगा।
-गांव और डाकखाना : खोसा पांडो, 
ज़िला मोगा-142048