एक गम्भीर सन्देश है घटित घटनाक्रम

13 दिसम्बर बुधवार को दिल्ली के नये संसद भवन में जो बेहद चिन्ताजनक घटनाक्रम घटित हुआ, उसकी अभी तक संसद से लेकर देश-विदेश में बड़ी चर्चा बनी हुई है। संसद के शुरू हुए शीतकालीन सत्र में यत्न के बावजूद भी सत्तारूढ़ पक्ष तथा विपक्ष के मध्य सहयोग वाला वातावरण नहीं बन सका जिस कारण महत्त्वपूर्ण काम नहीं हो सका। सरकार तथा विपक्षी दलों के सदस्यों के बीच तकरारबाज़ी होती रही। लोकसभा के चैम्बर में दो युवाओं के घुसपैठ करने को लेकर सत्तारूढ़ भाजपा एवं विपक्षी पार्टियों के सांसदों के बीच टकराव बढ़ने के कारण ही लोकसभा से 13 तथा राज्यसभा से एक सदस्य को समूचे सत्र के लिए निलंबित कर दिया गया है। विपक्षी पार्टियों के सदस्य गृह मंत्री से इस समूचे घटनाक्रम के बारे सदन में जवाब मांग रहे हैं। सरकारी पक्ष इन कार्रवाइयों को राजनीति से प्रेरित बता रही है।
 घटित यह घटना कई पक्षों से अजीब सुमेल वाली है। नये संसद भवन में  ऐसा कुछ घटित होना दुर्भाग्यपूर्ण है। इसी दिन ही 22 वर्ष पहले संसद भवन में बेहद दु:खद घटनाक्रम घटित हुआ था, जब पाकिस्तान से प्रशिक्षण प्राप्त लश्कर-ए-तैयबा तथा जैश-ए-मोहम्मद संगठन से संबंधित आतंकवादियों ने वहां हमला कर दिया था। पूरी तरह हथियारों से लैस आतंकवादियों द्वारा अचानक किये गये इस हमले का सुरक्षा कर्मचारियों ने बहादुरी से मुकाबला किया था, जिसमें 9 सुरक्षा कर्मी शहीद हो गये थे तथा दर्जनों ही घायल हुए थे। उस समय ये हथियारबंद आतंकवादी संसद भवन के भीतर जाने में असमर्थ रहे थे, जहां अनेक ही सांसद अपने काम में व्यस्त थे। इससे पहले भी कई बार संसद के भीतर घुसपैठ की घटनाएं घटित हुई थीं परन्तु वे इतनी गम्भीर नहीं थीं।
अब घटित घटना में दो युवाओं का लोकसभा के हॉल में दाखिल होकर हड़कम्प मचाना तथा अपने साथ लेकर गये कनस्तरों से धुआं छोड़ना तथा उनके  साथियों द्वारा संसद के बाहर भी ऐसी कार्रवाई करने के घटनाक्रम ने एक बार तो सभी को आश्चर्यचकित तथा परेशान कर दिया है, यदि इन युवाओं के पास हथियार होते तो और भी दु:खद घटना घटित हो सकती थी, परन्तु हथियार लेकर जाने का शायद इनका उद्देश्य नहीं था। अब तक प्राप्त हुये विवरणों के अनुसार ये युवा कुछ इस तरह का धमाकेदार प्रभाव देना चाहते थे, जिसका सन्देश सरकार से लेकर जन-साधारण तक पहुंच सके।
ये युवा फेसबुक ग्रुप शहीद भगत सिंह फैन क्लब से प्रभावित थे, जिसने अपने साथी सहित उस समय की एसैम्बली में ऐसा धमाका किया था, जिसकी आवाज़ देश तथा दुनिया में सुनी गई थी। ये सभी युवक बेरोज़गार थे तथा ऐसे अन्य गम्भीर मामलों की ओर देश वासियों का ध्यान  केन्द्रित करना चाहते थे। आगामी समय में इस घटनाक्रम का समाधान कैसे किया जाता है, इसके विवरण आने वाले दिनों में सामने आते रहेंगे, परन्तु यह घटनाक्रम आज करोड़ों युवाओं की बेरोज़गारी के कारण बेहद अवसान की ओर जा चुकी आर्थिक स्थिति तथा उनमें बढ़ रही निराशा की तरफ ज़रूर ध्यान दिलाता है। पैदा हो रही ऐसी अवस्था संबंधी हमारी सरकारों को और गम्भीर तथा ईमानदार होना पड़ेगा ताकि दलदल में फंसी देश की युवा पीढ़ी को इसमें से बाहर निकालने के लिए और बड़े यत्न किए जा सकें।

—बरजिन्दर सिंह हमदर्द