अन्तर्राष्ट्रीय समुदाय तुरंत हरकत में आए

इज़रायल-हमास युद्ध मानवीय संहार के दृष्टिकोण से बेहद भयावह रूप धारण चुका है। यह युद्ध लगभग 11 सप्ताह से जारी है। इस युद्ध के कारण पहले गाज़ा पट्टी का पश्चिमी भाग पूरी तरह नष्ट हो गया था। इज़रायल द्वारा की गई लगातार बमबारी से पश्चिमी भाग का भारी नुकसान हुआ था। गाज़ा पट्टी में 23 लाख के लगभग फिलिस्तीनी रहते हैं। इसकी एक सीमा मिस्र के साथ लगती है परन्तु शेष सभी ओर से इसे इज़रायली सैनिकों ने घेरा हुआ है। पश्चिमी भाग से भाग कर लाखों लोग उत्तरी भाग में आ गये। पश्चिमी भाग पर इज़रायली सैनिकों ने बमबारी के अलावा टैंक भी खड़े कर दिये हैं। एक अनुमान के अनुसार अब तक 20,000 के लगभग फिलिस्तीनी मारे जा चुके हैं। उत्तरी भाग में पहुंचे हज़ारों शरणार्थी बड़ी सीमा तक भूख तथा प्यास से त्रस्त बैठे हैं।
संयुक्त राष्ट्र की टीमें चाहे इन शरणार्थियों तक खाद्य सामग्री पहुंचाने का यत्न तो कर रही हैं परन्तु ज़रूरी वस्तुओं की आपूर्ति पैदा हुई ज़रूरत से कहीं कम है। इज़रायल का सबसे बड़ा मददगार अमरीका भी उससे इस बात पर नाराज़ दिखाई दे रहा है कि इस युद्ध में आम लोगों का विनाश अधिक हो रहा है। इनमें भारी संख्या में महिलाएं तथा बच्चे भी शामिल हैं। अब भारत सहित संयुक्त राष्ट्र के ज्यादातर सदस्य देश शीघ्र इस युद्ध को बंद करवाने के प्रस्ताव पारित कर रहे हैं। हमास के आतंकवादियों ने विगत 7 अक्तूबर को इज़रायल पर हमला करके लगभग 1200 लोगों को मार दिया था। इनमें भी ज्यादातर महिलाएं तथा बच्चे शामिल थे। इसके अलावा हमास के आतंकवादियों ने लगभग 240 इज़रायलियों को बंधक भी बना लिया था। भयावह विनाश को देखते हुये चाहे गाज़ा पट्टी पर काबिज़ इस संगठन ने शर्तों सहित 100 के लगभग नागरिकों को तो छोड़ दिया है तथा बदले में बहुत-से फिलिस्तीनी भी छुड़ा लिए हैं, परन्तु यह युद्ध अभी भी जारी है तथा इसने विश्व भर में एक बेहद पीड़ादायक टीस पैदा की है। निश्चय ही अब घटित हो रहे इस दुखांत का वह पड़ाव आ चुका है जिसमें अन्तर्राष्ट्रीय मंच पर अमरीका सहित विश्व भर के देशों को तुरंत एकजुट होकर इस युद्ध को हर हाल में बंद करवाना चाहिए।
नि:संदेह जिस तरह व्यापक स्तर पर पहले सहमति बनी थी, इस क्षेत्र में अन्तर्राष्ट्रीय समुदाय द्वारा इज़रायल तथा फिलिस्तीन नामक दो आज़ाद देश बनाये जाने ज़रूरी हैं, जिनमें सही अर्थों में लोकतांत्रिक सरकार का गठन किया जाये, ताकि एक दूसरे के हर तरह के दबाव से मुक्त हो कर विश्व के अन्य देशों की भांति ये प्रभुसत्ता-सम्पन्न आज़ाद देश बन सकें। ऐसा किया जाना अब समूचे अन्तर्राष्ट्रीय समुदाय का बड़ा फज़र् होना चाहिए। इसके साथ ही इज़रायल को अस्तित्व में आये अब 75 वर्ष से अधिक का समय हो चुका है। अधिकतर अरब देशों ने इसके अस्तित्व को स्वीकार कर लिया है। शेष रहते अरब देशों को भी यहूदी समुदाय के बहुसंख्या वाले इस देश को मान्यता देनी चाहिए, ताकि भविष्य में फिलिस्तीन के लोग अपनी आज़ाद शख्सियत के साथ विकास के मार्ग पर चल सकें।


—बरजिन्दर सिंह हमदर्द