फिर कटघरे में पंजाब सरकार

पंजाब-हरियाणा उच्च न्यायालय द्वारा स्वत: संज्ञान लेते हुए, नशे एवं नशीले पदार्थों की तस्करी के मामले में पंजाब सरकार को अपने प्रश्न-चिन्हों के घेरे में लेने से, इस मोर्चे पर प्रदेश की भगवंत मान सरकार एक बार फिर कटघरे में आ खड़ी हुई है। उच्च अदालत ने सीमा सुरक्षा बल की ओर से, इससे पूर्व प्रदेश सरकार को भेजी गई नशा-तस्करी से सम्बद्ध लगभग 75 संदिग्धों की सूचि के बारे में जवाब तलब किया है। उच्च न्यायालय ने इस सूचि को लेकर पंजाब सरकार द्वारा अब तक की गई कार्रवाई के बारे में भी पूछताछ की है। उच्च अदालत द्वारा सरकार से इस सम्बन्ध में अब तक की गई कार्रवाई और अपनाई गई जांच प्रक्रिया के संबंध में अगली सुनवाई में रिपोर्ट पेश करने हेतु कहने से, उसकी प्रतिबद्धता एवं मामले की गम्भीरता का भी पता चलता है। अदालत ने सरकार से इस बात का भी जवाब तलब किया है कि अब तक इस मामले को लेकर कोई निर्णायक प्रक्रिया क्यों नहीं अपनाई गई? उच्च अदालत की यह जवाब-तलबी इसलिए भी अहम हो जाती है कि सीमा सुरक्षा बल ने प्रदेश की भारत-पाक सीमाओं के पार से ड्रोनों के माध्यम से नशीले पदार्थों एवं हथियारों की तस्करी संबंधी बार-बार होने वाली घटनाओं को रोकने को लेकर पंजाब सरकार को एक और प्रस्ताव भेजा है। नि:संदेह इस मामले की पृष्ठ-भूमि में पिछले दिनों सीमा सुरक्षा बल द्वारा सीमांत पुलिस के साथ संयुक्त कार्रवाई में नशीले पदार्थों की अनेक बड़ी खेप बरामद किये जाने वाली घटनाएं भी अवश्य हो सकती हैं।
बेशक इस पूरे मामले की गम्भीरता तब और बढ़ जाती है जब पंजाब के राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित द्वारा पंजाब सरकार को दिया गया यह परामर्श सामने आता है कि नशीले पदार्थों की तस्करी और नशे के प्रसार को लेकर प्रदेश की सरकार यदि मेरी बात नहीं सुनना चाहती, तो कम से कम पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट की ही बात सुन ले। उन्होंने प्रदेश सरकार को यह भी परामर्श दिया कि प्रदेश के युवाओं को नशे की दलदल से निकालने हेतु हर सम्भव कोशिश की जानी चाहिए और कि इस हेतु ग्रामीण स्तर पर सुरक्षा समितियां गठित की जानी चाहिएं। इससे युवा वर्ग में कर्मठता एवं कर्मशीलता की भावना बढ़ेगी। राज्यपाल की यह टिप्पणी नि:संदेह इस तथ्य का संकेत भी देती है कि पंजाब सरकार ने अभी तक न तो सीमा सुरक्षा बल की ओर से भेजी गई रिपोर्ट अथवा सूचि की ओर कोई ध्यान दिया है, न उसने राज्यपाल के परामर्श की ही कोई परवाह की है। इसी का नतीजा है कि एक ओर तो पंजाब की सीमाओं पर ड्रोनों और मानव-तस्करी के ज़रिये नशीले पदार्थों की आमद और बरामदगी की घटनाएं बढ़ी हैं, वहीं प्रदेश में नशे के प्रसार और नशे के सेवन से होने वाली मौतों की संख्या में निरन्तर वृद्धि होते दर्ज की गई है।
यह भी पता चला है कि प्रदेश के पाकिस्तान से सटे सीमांत गांवों में नशे के तस्करों ने अपनी सक्रियता से बेरोज़गार और नशेड़ी युवाओं एवं अन्य लोगों की एक बड़ी फौज तैयार कर ली है जो उनके लिए कोरियर एवं संदेश-वाहकों का काम करती है। थोड़े-से धन के लालच में ये लोग न केवल प्रदेश की युवा शक्ति का हृस करते जा रहे हैं अपितु प्रदेश की सीमाओं की सुरक्षा को भी ़खतरे में डाल रहे हैं। सीमा सुरक्षा बल की इस रिपोर्ट में पाकि सीमा पार से आए ड्रोनों को मार गिराये जाने की घटनाओं की संख्या का हवाला भी दिया गया है, और यह भी दावा किया गया है चालू वर्ष में अब तक सीमा-पार से लगभग 755 किलो नशीले पदार्थ जब्त किये गये हैं। सीमा सुरक्षा बल ने इसी आधार पर लगभग 75 संदिग्धों की सूचि भेज कर उनके विरुद्ध कार्रवाई की मांग की थी।
हम समझते हैं कि नि:संदेह पंजाब में नशे के प्रसार, इसके  कारोबार और नशीले पदार्थों की तस्करी ने स्थितियों को बेहद गम्भीर किया है। सीमा पार से भेजी गई नशीले पदार्थों की बरामदगी की घटनाएं भी बढ़ी हैं, और ड्रोनों को मार गिराये जाने की वारदात भी बढ़ी हैं। राज्यपाल के परामर्शों और सीमा सुरक्षा बल की रिपोर्टों के प्रति प्रदेश सरकार की निजी मसलहतें हो सकता है, आड़े आती हों, किन्तु अब उच्च न्यायालय की जवाब-तलबी के बाद पंजाब सरकार को ग़फलत की नींद से जागना ही पड़ेगा। नि:संदेह पंजाब प्रदेश के भविष्य में युवा शक्ति से वंचित हो जाने की बड़ी आशंका है। प्रदेश के युवा बड़ी संख्या में विदेशों की ओर पलायन कर रहे हैं। शेष जो बचे हैं, उनमें से अधिकतर के नशे की दलदल में ग्रस्त होने का अंदेशा बढ़ता जाता है। ऐसे में जैसे कैसे भी हो, प्रदेश में नशे के प्रसार और नशीले पदार्थों की तस्करी पर प्रत्येक सूरत में अंकुश लगाये जाने की बड़ी ज़रूरत है। प्रदेश के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने पिछले दिनों नशे के विरुद्ध लड़ाई को अंजाम तक ले जाये जाने का हुक्म भी दिया गया बताया जाता है, परन्तु उनके इस आदेश का क्या हश्र हुआ, पता नहीं चला, किन्तु उच्च अदालत को स्वयं हस्तक्षेप करने की नौबत अवश्य आ गई प्रतीत होती है।