आर्थिक तंगी व कज़र् की वजह से बढ़ते आत्महत्या के मामले

हमारे देश में आर्थिक तंगी और कज़र् के चलते हर साल कितने लोग आत्महत्या करने पर मज़बूर हो जाते हैं। कज़र् के कारण आत्महत्या का आंकड़ा साल दर साल बढ़ता जा रहा है। गत 14 दिसम्बर को राजस्थान बीकानेर के मुक्ता प्रसाद नगर थाना क्षेत्र में एक ही परिवार के पांच सदस्यों ने आत्महत्या कर ली। मृतकों में पति-पत्नी सहित तीन बच्चे भी शामिल थे। सामूहिक आत्महत्या के बारे में कहा जाता है कि आर्थिक तंगी के चलते उसने ऐसा कदम उठाया है। विगत 8 दिसम्बर को वाराणसी की एक धर्मशाला में आंध्र प्रदेश के एक ही परिवार के 4 सदस्यों ने फांसी लगाकर आत्महत्या की थी। पुलिस को मौके एक सुसाइड नोट बरामद हुआ तो तेलुगू भाषा में लिखा हुआ था। पुलिस ने बताया कि मृतक परिवार को कर्ज देने वाले प्रताड़ित कर रहे थे और बड़े नेताओं के नाम की धमकी देकर रुपये वसूल रहे थे।
बीते 30 अक्तूबर को गुजरात के सूरत में एक फर्नीचर कारोबारी ने परिवार के 7 लोगों सहित आत्महत्या कर ली। फर्नीचर व्यापारी मनीष सोलंकी ने सुसाइड नोट में आर्थिक समस्याओं का जिक्र किया है। यानी पैसों की दिक्कत के चलते मनीष और उसके पूरे परिवार ने एक साथ जान देने का फैसला किया। 
बीती 2 अगस्त को अपनी कला से हिंदी फिल्मों के सेट पर चार चांद लगाने वाले॒मशहूर आर्ट डायरेक्टर नितिन चंद्रकांत देसाई ने सुसाइड करके हर किसी को हैरान कर दिया था। नितिन देसाई ने कई ब्लॉकबस्टर फिल्मों के सेट्स डिजाइन किए थे। उनकी मौत ने फैंस और सेलेब्स की आंखों को नम कर दिया। नितिन की मौत को लेकर अब एक बड़ी जानकारी सामने आई है। पता चला है कि नितिन पर करोड़ों का कज़र्॒था।
बीते 10 अगस्त को छत्तीसगढ़ के कोरबा के सिविल लाईन थानांतर्गत खपराभट्टा इलाके में रहने वाले एक ऑटो डीलर ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। आत्महत्या की वजह बैंक से लिया हुआ लाखों के कज़र् को बताया जा रहा है, जिसे भरने में वो खुद का असमर्थ पा रहा था। 10 जुलाई को भोपाल में सामूहिक आत्महत्या का मामला सामने आया। जिसमें दो बच्चों सहित दंपत्ति ने फांसी लगा ली है। मृतक ने यह कदम कज़र् से परेशान होकर उठाया था। विगत 16 मार्च को इंदौर में सूदखोरों से परेशान एक युवक ने आत्महत्या कर ली थी। युवक ने 3 लाख रूपये कज़र् लिया था, जिसे युवक तय समय पर लौटा नहीं पाया, इस वजह से सूदखोर उसे परेशान करने लगे आखिरकार युवक ने आत्महत्या कर ली। हालांकि जांच के बाद पुलिस ने 11 आरोपियों पर केस दर्ज किया है।
नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो यानी एनसीआरबी देश में होने वाले अपराधों व आत्महत्या का रिकॉर्ड रखती है और हर साल सरकार को अपनी रिपोर्ट देती है कि किस राज्य में अपराध बढ़ रहे हैं और अचानक आत्महत्याओं में इतना इज़ाफा क्यों हो रहा है। उसी एजेंसी के दिये गए आंकड़ों के मुताबिक, साल 2020 में देश में 5 हजार 213 लोगों ने कर्ज से तंग आकर आत्महत्या कर ली थी। यानी, हर दिन 14 सुसाइड। इससे पहले 2019 में 5 हजार 908 लोगों ने आत्महत्या की थी। लेकिन उसमें कज़र् बड़ी वजह नहीं था क्योंकि तब तक कोरोना की महामारी देश में नहीं आई थी। आधिकारिक रूप से हमारे देश में 24 मार्च 2020 को ही कोरोना को एक महामारी घोषित किया गया था। पिछले तीन साल के आंकड़े हम सबके लिए चौंकाने वाले हैं। राष्ट्रीय अपराध क्राइम ब्यूरो के आंकड़ों के आधार पर ही एक सवाल के जवाब में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने राज्यसभा में बताया था कि साल 2018, 2019 और 2020 के दौरान 25,000 से ज्यादा लोगों ने आत्महत्या की है। आत्महत्या के पीछे दिवालियापन, बेरोज़गारी व कर्ज जैसे बड़े कारण सामने आए हैं। इन तीन वर्षों में सबसे ज्यादा आत्महत्या की घटनाएं 2020 में हुई हैं। यानी, ये वो दौर था जब कोरोना देश को अपनी चपेट में ले चुका था और लोगों को अपने परिवार के लिए दो वक्त की रोटी का जुगाड़ करने के भी लाले पड़ गए थे। भारत में कोरोना की दस्तक देने से पहले साल 2019 में अंतर्राष्ट्रीय स्वास्थ्य संस्था ‘ग्लोबल बर्डन ऑफ डिजीज’ द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक भारत में हर साल 2 लाख 30 हजार लोग आत्महत्या कर रहे हैं। यानी, हर चार मिनट में देश में एक व्यक्ति अपनी जान ले रहा है।
आंकड़े बताते हैं कि भारत में आत्महत्या की दर वैसे भी ग्लोबल एवरेज से 60 प्रतिशत से भी ज्यादा है। ऐसे में हालात तो पहले ही मुश्किल थे, लेकिन कोरोना के बाद बीमारी के जिस भय और जिन आर्थिक विषमताओं का सामना लोगों को करना पड़ा है, उसने कई लोगों को हाशिए पर लाकर खड़ा कर दिया है। सर्वे के नतीजों के अनुसार कोरोना के बाद से त़करीबन 65 प्रतिशत लोगों ने खुद को मारने के बारे में सोचा या ऐसे प्रयास किए। साथ ही तकरीबन 71 प्रतिशत लोगों में कोरोना के बाद मरने की इच्छा बढ़ी हुई पाई गई है।
मनोचिकित्सकों के अनुसार, जब कोई शख्स आत्महत्या करने के बारे में सोचने लगता है तो इस स्थिति को मनोचिकित्सक सुसाइडल आइडिएशन यानी आत्महत्या का ख्याल कहते हैं। ज़रूरी नहीं है कि किसी एक वजह से ऐसा हो। ब्याज माफिया पर सरकार को शिकंजा कसना चाहिए। कर्ज के कारण आत्महत्या के मामलों को रोकने के लिए समाज में सामूहिक प्रयास आवश्यक हैं। सरकारें वित्तीय मदद, ब्याज माफी जैसी नीतियां अपना सकती हैं।