पांच ट्रिलियन डॉलर के पथ पर भारत

जीएसटी (गुड्स एंड सर्विस टैक्स) का अर्थ होता है माल एवं सेवाओं पर लगने वाला करए मतलब अगर कर ज्यादा तो उस निश्चित अवधि में माल और सेवा का कारोबार ज्यादा। जीडीपी के लिए बहुत तकनीकी और बृहद आंकड़ों या किसी की रिपोर्ट में जाने की ज़रुरत नहीं है। मोटा-मोटी साधारण अनुमान लगाना हो तो इसके शुरुआती रुझान आपको जीएसटी के आंकड़ों में ही मिल जायेंगे क्यूंकि जीडीपी भी उस निश्चित अवधि में माल एवं सेवाओं का कुल उत्पादन होता है और जीएसटी उसी अवधि में माल एवं सेवाओं के कारोबार पर लगने वाला टैक्स होता है। 
अभी हाल ही में जो आंकड़े जारी हुए हैं, उसमें बताया गया है कि अक्तूबर 2023 में जीएसटी से 1.72 लाख करोड़ रुपये जुटाए गए हैं। यह आंकड़ा एक साल पहले के अक्तूबर 2022 के मुकाबले लगभग 13 फीसदी ज्यादा है। उस समय जीएसटी से 1.51 लाख करोड़ रुपये जुटाए गए थे। इसके पिछले महीने सितम्बर में भी जीएसटी से 1.63 लाख करोड़ रुपये आये थे। यह लगातार 8वीं बार हुआ है कि जीएसटी कलेक्शन 1.5 लाख करोड़ से ऊपर रहा है और लगातार 20 महीने से देश का जीएसटी कलेक्शन 1.4 लाख करोड़ रुपये से ऊपर बना हुआ है। मतलब लगातार माल एवं सेवा में कारोबार हो रहा है।
इसलिए अगर यह कहा जा रहा है कि भारत 5 ट्रिलियन इकॉनमी की तरफ  बढ़ रहा है तो गलत नहीं होगा। अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ ) के ताज़ा आंकड़ों के अनुसार भारत की जीडीपी 3.73 ट्रिलियन डॉलर है जो कि आधिकारिक आंकड़ा है। यदि इसमें भारत की समानांतर इकॉनमी और अनरिपोर्टेड इकॉनमी का आंकड़ा जोड़ दिया जाये तो यह आज ही 4 से भी ऊपर होगा। इसलिए अगर कोई इसे 4 भी कहता है तो इसे सही माना जा सकता है। यह संभव है भारत वैसे भी दुनिया में सबसे तेज़ ग्रोथ वाला देश है और इसकी पुष्टि कई वैश्विक रेटिंग एजेंसियां भी करती है। जैसे एस एंड पी ग्लोबल रेटिंग्स ने वित्त वर्ष 2024 के लिए भारत के जीडीपी ग्रोथ के अनुमान को बढ़ाकर 6 फीसदी से बढाकर 6.4 फीसदी कर दिया। इसका कारण उसने मज़बूत घरेलू गति को बताया। कुछ दिन पहले मॉर्गन स्टेनली ने भी ग्रोथ को ध्यान में रखते हुए अनुमान लगाया था कि अगले साल जून तक भारत एशियाई देशों में ब्याज दरों में कटौती करने वाला पहली अर्थव्यवस्था बन सकता है।
ग्रोथ का दूसरा संकेत समझना हो तो सेंसेक्स को देखिये। इसने अकल्पनीय 70 हज़ार का आंकड़ा छू लिया जिसका मतलब है कि भारत के कम्पनियों में निवेश हो रहा है। शेयर बाज़ार का मार्केट कैप भी अब 4 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंच गया है। तीसरे संकेत में देखें तो दूसरी तिमाही में जीडीपी 7.6 फीसदी पर पहुंच गई है जो आर.बी.आई. के अनुमान जो कि 6.5 फीसदी था, से भी ज्यादा है जबकि पिछले साल की तिमाही में यह 6.3 फीसदी थी। पहली तिमाही में भी यह 7.8 फीसदी थी। आर.बी.आई. के अनुमान से ज्यादा ग्रोथ का कारण मज़बूत शहरी खपत, निर्माण में वृद्धि और उच्च सरकारी खर्च है। मैन्युफैक्चरिंग ग्रोथ 13.9 फीसदी रही जबकि कंस्ट्रक्शन ग्रोथ 13.3 फीसदी रही। ग्रॉस वैल्यू ऐडेड भी दूसरी तिमाही में 7.4 फीसदी रहा जबकि इसका अनुमान 6.8 फीसदी ही था। वहीं पहली तिमाही में यह 7.8 फीसदी रहा। वहीं ठीक एक साल पहले समान तिमाही में यह 5.4 फीसदी था।
ये सारे संकेत वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के बयानों की पुष्टि भी करते हैं। बकौल निर्मला सीतारमण भारत की दूसरी तिमाही की ग्रोथ दुनिया में सबसे ज्यादा है और हमने सबसे तेज बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था की गति को बरकरार रखा है। इसी तिमाही में दुनिया की तीसरी और चौथी अर्थव्यवस्था सिकुड़ी है। जर्मनी 0.4 फीसदी तो जापान की अर्थव्यवस्था 2.1 फीसदी सिकुड़ी है। इमर्जिंग इकोनॉमी की बात करें तो वियतनाम 5.33 फीसदी मलेशिया 3.3 फीसदी और थाईलैंड भी 1.5 फीसदी की दर से ही बढ़ी है जबकि भारत की दशा और दिशा इनसे कहीं आगे है। बकौल वित्त मंत्री पिछले 9 साल में देश ने 5 पायदान की छलांग लगाई है और जहां 2014 में यह 10वीं बड़ी अर्थव्यवस्था था, अब 5वीं बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है जो जल्द ही तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था बनने वाला है। उनके अनुसार देश अर्थव्यवस्था के मामले में सभी सेक्टर में अच्छा प्रदर्शन कर रहा है तथा सेवा क्षेत्र और मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र मिलकर जीडीपी में योगदान दे रहे  हैं। 
वित्त मंत्री ने देश को यह भी बताया कि पिछले साल भारत दुनिया का दूसरा बड़ा मोबाइल निर्माता था तथा भारत ने 10 बिलियन डॉलर के मोबाइल निर्यात किए थे। भारत से यात्री वाहनों का निर्यात भी बढ़ रहा है। वित्त मंत्री के अनुसार  बुनियादी ढांचा मोदी सरकार की हमेशा से प्राथमिकता रही है तथा जो ग्लोबल मीडिया भारत की पहले सराहना नहीं करता था, आज तारीफ  कर रहा है। उन्होंने ग्लोबल मीडिया का एक बयान भी पढ़कर सुनाया जिसमें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की नीतियों की तारीफ की गई थी। आज भारत दूध, दाल, जूट और चीनी का दुनिया में सबसे बड़ा उत्पादक देश है। इसके अलावा यूपीआई के कारण रियल टाइम में सबसे ज्यादा डिजिटल भुगतान भारत में हो रहा है। भारत का अमरीकी सुपर मार्केट में निर्यात भी 44 फीसदी से बढ़ा है जबकि चीन का 10 फीसदी से कम हुआ है। शुद्ध प्रत्यक्ष कर संग्रह में भी बढ़त है।
अगर उपरोक्त सभी बातों को इकट्ठा कर सारांश निकालें तो भारत की अर्थव्यवस्था आज भी 5 ट्रिलियन से ज्यादा हो सकती है। भारत आबादी और विविधता के मामले में इतना बड़ा देश है कि बहुत से सौदों और कारोबार की मैपिंग हो नहीं पाती है और यह अभी प्रगति की राह पर है। यदि यूरोप और अमरीका की तरह भारत में सौदों और कारोबार की मैपिंग हो जाए तो शायद भारत 5 ट्रिलियन अर्थव्यवस्था से भी ज्यादा होगा। शायद भारत का यह अदृश्य मेरुदंड ही है जिसने भारत को कोरोना जैसे समय में भी अन्य देशों के मुकाबले सीधा खड़ा और आत्मनिर्भर रखा। (युवराज)