कितनी सीमाएं और

बड़े खुश नज़र आ रहे हैं छेदी सिंह जी, क्या कारूं का खज़ाना मिल गया है कोई, अथवा किसी राजनीतिक दल की टिकट मिल गई है? छेदी सिंह जी पास आए, तो हमने पूछ लिया।
—कहां जी, कारूं को कहां इतनी फुरसत कि हम जैसों की ओर कोई नज़र सवल्ली कर सके, और राजनीतिक दल भी तो आजकल कारोबारी हो गये हैं। एक-एक टिकट करोड़ों रुपये में बिकती है। हम जैसों को तो ये लोग पास तक नहीं फटकने देते। छेदी सिंह जैसे दिल का पूरा गुबार निकाल देने को तैयार थे।
—चलिये, यह न सही, लेकिन आज यह नया कुर्ता-पायजामा पहन कर तैयारी किधर की है? हमने भी ज़रा हास्मय अंदाज़ में पूछ लिया।
छेदी सिंह अपने आप में हास्य का मुजस्सिमा हैं...छोटा कद, कमर का घेरा आम से दो-गुणा। चलते हैं, तो कमर ठुमके लगाते प्रतीत होती है। किस्मत के बहुत धनी हैं...टिकट खरीदे बिना ज़िन्दगी के कई मोड़ों पर लाटरियां निकलती रही हैं इनके नाम की। 
—माजरा यह है साहिब, कि हमने फैसला किया है कि हम भी न, एक नई सियासी पार्टी बना ही लें लगे हाथ। अगर सीमा को लेकर किताब लिखी जा सकती है, उस पर फिल्म बनाए जाने की घोषणा भी हो गई है, तो उसके नाम पर सियासी पार्टी क्यों नहीं बनाई जा सकती। छेदी सिंह ने हाथों को मटका-मटका कर कुछ अलग-से दिखते अन्दाज़ में कहा।
—पहले यह तो बताइये, कि यह सीमा है कौन-सी...यह अपनी एल.ओ.सी. वाली या एल.ए.सी. वाली? वैसे, आजकल यह एल.ए.सी. वाली कुछ ज्यादा ही लाल हो रही है। हमने बहुत सरसरे-से अन्दाज़ में पूछ लिया।
—क्या कहते हैं जी आप साहिब! थोड़ा-बहुत दुनियादारी और नॉलेज-वॉलेज का भी ख्याल कर लिया करो। हम इन सीमाओं की नहीं, उस सीमा की बात कर रहे हैं जिसका नाम सीमा हैदर है, और जो चुपचाप और चोरी-छिपे तीन-तीन देशों की सीमाएं लांघ कर बजरंगी बहिनजान बन कर पाकिस्तान में एक लम्बा अरसा रह कर अब वापिस भारत देश में फिर आ गई है...वो भी बिना वीज़ा, बिना पासपोर्ट के। छेदी सिंह जी की रक्त-नसों में जैसे गर्मी आ गई थी।
—धत् तेरे की! तो क्या आप इस सीमा की बात कर रहे हैं, यानि सीमाएं पार कर गई सीमा की परन्तु नई पार्टी बनाते समय यह सीमा हैदर क्या करेगी? क्या यह भी भारत देश का कोई चुनाव लड़ सकती है? हमने अपनी उत्सुकता को शांत करने हेतु पूछ लिया।
—चुनाव तो नहीं लड़ सकती, किन्तु चुनावी मुद्दा तो बन सकती है न! जब हम उसे स्टेजों पर लाकर भारत-पाक दोस्ती का दावा करेंगे, तो हम क्या देश की सर्वाधिक बड़ी और लोकप्रिय सैकुलर पार्टी नहीं बन जाएंगे? ज़रा आप ही सोचिये साहिब, यदि इसी प्रकार सीमा-पार से सीमाएं हैदरान इधर से उधर और उधर से बिना रोक-टोक आने लगेंगी, तो फिर कहां रह जाएगी भारत-पाक सीमा यानि एल.ओ.सी.? लव-जेहाद का मुद्दा उल्टे बूम रैंग होकर उन्हीं के घर में नहीं जा गिरेगा...टूटी हुई मिज़ाईल की भांति! बताइये, है न एक लोकप्रिय मुद्दा! छेदी सिंह का हृदय जैसे बल्लियों उछल रहा था।
हम अभी जवाब सोच ही रहे थे, कि छेदी सिंह फिर बोले—कसम से कहते हैं भाईजान, कि एक तीर से कई-कई शिकार हो जाएंगे। यानि कि, आम के आम और गुठलियों के दाम। अपनी पार्टी के भाव अडानी-अम्बानी के शेअरों की भांति उछल जाएंगे जनाब...आप देख लीजियेगा।
—बात तो आपकी ठीक है छेदी सिंह जी, किन्तु आज की राजनीति में बहुत महंगा नहीं हो गया क्या चुनाव लड़ना? करोड़ों रुपये खर्च हो जाते हैं...कहां से लायेंगे इतना धन? हमारी बातों में बेचारगी साफ उभर आई थी।
—बस, एक ही बार की बात है...एक बार चुनाव जीत गये, तो फिर पौ बारह। वो ही देख लो न, आम आदमी को लेकर बनाई गई एक पार्टी के नेता चुनाव जीत कर, और सरकार बना कर कैसी चम्म की चला रहे हैं... झूठे-सच्चे विज्ञापनी प्रचार के ज़रिये, यानि अखबारें भी अपनी, और कतारें भी अपनी। छेदी सिंह ने एक बड़े सच को उगल दिया।
हम छेदी सिंह की इस समझदारी पर अभी बाग-बाग हो ही रहे थे, कि वह फिर से बोलने लगे, ‘हमने तो अभी से योजनाएं बना ली हैं—हम भी झूठे-सच्चे विज्ञापनों से अपना प्रचार करेंगे...अपने मुंह मियां मिट्ठू बनने का मज़ा किस को नहीं आता। अब अपने दरबार-ए-आम वाले राजा जी को ही देख लें—अपनी तस्वीरें देखने का शौक उन्हें इस तरह चर्राया रहता है कि एक-एक दिन में कई-कई समाचार-पत्रों और एकाधिक विज्ञापन दे देते हैं, और फिर उनमें दिखती एक से अधिक अपनी तस्वीरों को देख कर, अपनी बगलें बजाते हुए स्वयं ही खुश होते रहते हैं।
—बात तो आप की सोलह आने ठीक लगती है छेदी सिंह जी, किन्तु आपकी सफलता के आसार कितने और कितनी देर तक के हैं, यह भी तो देखने वाली बात होगी न! हमने बात को समापन की ओर बढ़ाने वाले अन्दाज़ में कहा।
—आप देखते रहना जी, हम भी वैसा ही करेंगे जैसे दूसरी पार्टियों की सरकारें करती हैं। बस, एक बटेर की गर्दन अपने हाथ भी आ लेने दीजिए, मरोड़ कर न रख दी, तो छेदी सिंह नाम नहीं। छेदी सिंह जुमला उछाल कर आसन से उठे, तो हम भी हाथ जोड़ कर अपने आप ही उनसे विदा हो लिये।