मोहल्ला क्लीनिकों में भ्रष्टाचार का संक्रमण 

मोहल्ला क्लीनिक योजना पर लगे फज़र्ीवाडे के आरोप ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की कट्टर ईमानदार वाली छवि पर एक बार फिर बड़ा प्रहार किया है। मोहल्ला क्लीनिक उनकी ऐसी योजना है, जिसे उन्होंने अभी तक अपने चुनाव जीत वाले मंत्र के तौर पर इस्तेमाल किया है। मोहल्ला क्लीनिक अब तक उनका बड़ा ‘वोटबैंक’ साबित हुए हैं। इसलिए अन्य योजनाओं के मुकाबले उनकी यह सबसे अग्रणी योजना रही है। इसे उन्होंने चुनावी मॉडल के रूप में प्रचारित किया और उसका नाम लेकर ही उन्होंने लोगों से वोट भी मांगा, लेकिन अब इसमें भी भ्रष्टाचार का दीमक लग गया है। 2023-24 के लिए दिल्ली सरकार ने 80 हज़ार करोड़ रुपये का बजट निर्धारित किया था जिसमें मोहल्ला क्लीनिकों के लिए करीब एक तिहाई बजट अलग आवंटित रखा, परन्तु इस भारी भरकम रकम पर ऐसी बंदर-बांट होगी, शायद दिल्लीवासियों ने कभी कल्पना तक नहीं की होगी।
गौरतलब है कि  अन्य राज्यों के मुकाबले दिल्ली में टैक्स देने वालों की संख्या कहीं अधिक है, लेकिन उन्हें क्या पता उनके टैक्स के पैसों पर यूं डाका डाला जाएगा। आरोप निश्चित रूप से बेहद गंभीर हैं। मोहल्ला क्लीनिकों में गड़बड़झाला है, इस बात की भनक खुद केजरीवाल हो चुकी थी, तभी उन्होंने पिछले वर्ष अगस्त में ही इसकी जांच करवाने के आदेश दे दिए थे। जांच में पैथोलॉजी और रेडियोलॉजी टैस्ट में जमकर फज़र्ीवाड़ा पाया गया, लेकिन यह रिपोर्ट स्वास्थ्य विभाग ने उन्हें न देकर सीधे उप-राज्यपाल को थमा दी। उप-राज्यपाल के हाथ में पहुंचने का मतलब है कि सीधे बिना घी-तेल डाले ‘आग’ लग जाना। हुआ भी कमोबेश वैसा ही। केंद्रीय गृह मंत्रालय से मंत्रणा करने के बाद उप-राज्यपाल ने बिना देर किए तुरंत सीबीआई से जांच करवाने की सिफारिश कर दी। जांच की परते जब एक-एक करके खुलेंगी, तो कई बेनकाब होंगे। हालांकि, मौजूदा स्वास्थ्य मंत्री सौरभ भारद्वाज ने पल्ला झाल लिया, लेकिन शायद इतनी आसानी से वह भी नहीं बच पाएंगे। मोहल्ला क्लीनिकों में भ्रष्टाचार बेनकाब होने के बाद दिल्ली के लोग बस यही कह रहे हैं कि जब आरोप साबित हो जाएं, तो स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ करने वालों को ऐसी कठोर सज़ा दी जो सभी के लिए नजीर साबित हो।
चुनावी फायदे के तौर पर देखें तो आम आदमी पार्टी ने मोहल्ला क्लीनिकों को कभी योजना नहीं माना। उन्होंने हमेशा चुनावी मॉडल के रूप में इसे प्रस्तुत किया। दरअसल यह योजना उनके लिए अप्रत्याशित ‘वोट बैंक’ ही रही जिसके ज़रिए ही आम आदमी पार्टी ने कई चुनावों में अपनी गंगा पार करी, परन्तु अब यह चुनावी नौका समुद्र के बीच मझधार में फंसती दिखाई देने लगी है। निश्चित रूप से लोकसभा चुनाव से पहले चिकित्सा विभाग में भ्रष्टाचार के ये आरोप आम आदमी पार्टी की विश्वसनीयता पर गहरी चोट करेंगे। भाजपा के अलावा कांग्रेस भी हमलावर हो जाएगी। ‘इंडिया’ गठबंधन को भी तगड़ा झटका लग सकता है। विरोधी दल जानते हैं कि प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली को बढ़ावा देने के लिए मोहल्ला क्लीनिक योजना अरविंद केजरीवाल सरकार की प्रमुख पहलों में से एक रही है, जिसमें भ्रष्टाचार के आरोप लगने का मतलब है विपक्ष को बैठे-बिठाए बड़ा मुद्दा हाथ लगना। भाजपा अब केजरीवाल की रही-सही छवि को धूमिल करने में शायद ही कोई कसर छोड़े। आरोप लगने के बाद दिल्ली में भाजपा की समूची टीम आम आदमी पार्टी पर हमलावर हो गई है। चुनाव के ऐन निकट लगा यह झटका शायद ही केजरीवाल को जल्द उभरने दे।
मोहल्ला क्लीनिक को लेकर भ्रष्टाचार का जो आरोप लगा है, उसकी पृष्टभूमि की गौर से तस्दीक करें तो दिल्ली विजिलेंस विभाग ने जब अपनी प्रारंभिक जांच-पड़ताल की और निरीक्षण के लिए राजधानी में बनें मोहल्ला क्लीनिकों में पहुंचे तो किसी भी क्लीनिक में उन्हें कोई डॉक्टर ईलाज करता नहीं मिला। जो मिले वे चिकित्सक नहीं, बल्कि चतुर्थ श्रेणी स्टॉफ  के लोग थे। कई जगहों पर तो अनुभवहीन स्टाफ मरीज़ों को दवा और टैस्ट लिखते दिखाई दिए। जब उनसे पूछा गया कि आप चिकित्सक हो तो वे भाग खड़े हुए। दरअसल ये सब दिल्ली सरकार के नाक के नीचे हुआ। गड़बड़झाले की खबर जानते हुए भी दिल्ली सरकार अन्जान बनी रही जबकि इस योजना के शुरुआती दिनों को याद करें, तो एक सुखद तस्वीर आंखों के सामने उभरती है। तब दिल्ली के लोग वास्तव में इन क्लीनिक में जाया करते थे। छोटी-मोटी बीमारी की दवाइयों के लिए लोग पहुंचते थे लेकिन धीरे-धीरे यह योजना कमजोर पड़ती गई।
एक वक्त ऐसा भी था जब मोहल्ला क्लीनिक योजना की धूम न सिर्फ  हिंदुस्तान में होती थी, बल्कि विदेशों में भी खूब चर्चाएं हुई थीं। अग्रणी ‘मेडिकल जर्नल, द लैंसेट’ ने भी अपने सम्पादकीय कॉलम में टिप्पणी की थी कि दिल्ली मोहल्ला क्लीनिकों का एक नेटवर्क जो अन्यथा स्वास्थ्य सेवाओं से वंचित आबादी को सफलतापूर्वक सेवा देता है। उस रिपोर्ट को भी केजरीवाल ने गत विधानसभा चुनावों में भुनाया था। इसके अलावा कई अंतर्राष्ट्रीय और भारतीय मंचों पर भी सराहना लूटी थी। सराहना होना स्वाभाविक भी था। योजना नि:संदेह  बेहतरीन है जिसे एक टीम वर्क के ज़रिए आगे बढ़ाना था। आरंभ में निपुण चिकित्सक इस योजना को आगे बढ़ा रहे थेष बाद में उन्होंने भी किनारा कर लिया। नौबत अब ऐसी है कई मोहल्ला क्लीनिकों में स्टॉफ  के लोग ताश के पत्ते खेलते मिले हैं। कई जगहों पर कुछ अप्रिय घटनाएं भी हुईं। पूर्वी दिल्ली के एक क्लीनिक में तो महिला स्टॉफ  के साथ छेडछाड़ की घटना भी घटी। कुल मिला कर केजरीवाल के इस चुनावी जीत वाले ‘मंत्र’ या ‘मॉडल’ पर लगे ये आरोप उन्हें राजनीतिक रूप से परेशान ज़रूर करेंगे। इस वक्त वह चारों तरफ  से घिर चुके हैं। इस चक्रव्यूह से निकलना उनके लिए बड़ी चुनौती होगी। (युवराज)