स्वस्थ राष्ट्र के लिए जलाशयों का संरक्षण अति आवश्यक  विश्व जलाशय दिवस पर विशेष

हर साल 2 फरवरी को पूरी दुनिया में विश्व जलाशय दिवस के रूप में मनाया जाता है। जलाशय (आर्द्रभूमि) का पर्यावरण में विशेष महत्व है। जलाशय जानवरों और पौधों की वृद्धि के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। आधुनिक समय में जब जल निकायों की संख्या कम होने लगी तो यह दुनिया भर के वैज्ञानिकों और पर्यावरणविदों की चिंता का विषय बन गया। इनके संरक्षण के लिए पहला अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन 2 फरवरी, 1971 को ईरान के शहर रामसर में आयोजित किया गया था। इसका उद्देश्य विश्व में जलाशय बचाना था। तब से इस दिन को अंतर्राष्ट्रीय जलाशय दिवस के रूप में मनाया जाता है। ईरान में आयोजित सम्मेलन को ‘रामसर सम्मेलन’ के नाम से जाना जाता है। सम्मेलन ने जलाशयों को विशेष दर्जा दिया और सभी देशों में महत्वपूर्ण जलाशयों की पहचान करने के लिए प्रोत्साहित किया ताकि जलीय जीवन, पौधों, पक्षियों को बचाया जा सके।
‘रामसर सम्मेलन’ में अंर्राष्ट्रीय स्तर पर जलाशयों के विस्तार और महत्व पर चर्चा हुई थी। इस परिषद ने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर जल निकायों, जलाशयों को मान्यता देने के लिए कुछ मानदंड निर्धारित किये थे जिसमें से यदि कोई जलाशय एक भी कसौटी पर खरा उतरता है तो उसे रामसर जलाशय का दर्जा दे दिया जाता है। जलाशय एक ऐसी जगह है जहां की मिट्टी दलदली होती है, जहां ज़मीन पर पानी जमा होता है। जलाशय में प्राकृतिक रूप से या स्थायी रूप से या अस्थायी रूप से पानी के प्रवाह को रोका गया होता है। एक जलाशय हमेशा पानी से भरा रहता है। जलाशयों में पानी की मात्रा घटती-बढ़ती रहती है। जलाशय न केवल पशु-पक्षियों का निवास स्थान होता हैं, बल्कि मानव जीवन में भी इनका बहुत बड़ा योगदान होता है। जलाशय जैव-विविधता की दृष्टि से अत्यंत समृद्ध स्थान होते हैं। जलाशयों के आसपास विभिन्न प्रकार की बहुत उपयोगी जड़ी-बूटियां पाई जाती हैं। जलाशयों में विदेशों से प्रवास करने वाले प्रवासी पक्षी हर साल बड़ी संख्या में आते हैं। जलाशय अनेक प्रकार के पौधों, पक्षियों, कीड़ों, मछलियों, स्तनधारियों आदि को आवास प्रदान करते हैं। 
जुलाई 2023 तक भारत में कुल 75 जलाशय पाये गए, जिन्हें रामसर श्रेणी में शामिल किया गया है। जलाशयों की सबसे अधिक संख्या तमिलनाडु राज्य में 14 है। पंजाब के कुल क्षेत्रफल में एक प्रतिशत क्षेत्र पर जलाशय हैं। राज्य में 22,476 हेक्टेयर क्षेत्र जलाशयों के अंतर्गत आता है। पंजाब में विशाल जलाशयों में छह इतने प्रमुख हैं कि उन्हें रामसर सूची में शामिल किया गया है। पंजाब में हरिके जलाशय, कांजली जलाशय और रोपड़ जलाशय, केशोपुर-मियानी जलाशय, ब्यास कंजर्वेशन रिज़र्व जलाशय, नंगल जलाशय अंतर्राष्ट्रीय स्तर के जलाशय हैं। इसके अतिरिक्त अन्य जलाशयों में काहनूवान चंभा, जस्तरवाल झील, मांड बरथला और ढोलबाहा जलाशय शामिल हैं जो स्थानीय स्तर के हैं और जैव-विविधता से समृद्ध हैं। इन स्थानों पर बने प्राकृतिक जलाशयों के पर हेडडिगर, रेड क्रेस्टेड पुचर्ड, क्रूट्स, गेडवाल, कॉमन पोचार्ड, उत्तरी सिविलर से लार्स आर्मिनिसस, अर्मेनियाई गल, हेरिंग गल, मल्लार्ड, पिंटेल व्हिस्लिंग टील, कॉमन टील, हरे, साही वीज़ल, पेंटेड स्टॉर्क, प्लास फि श, ईगल, लाल सिर वाले गिद्ध, सफेद पूंछ वाले गिद्ध, ग्रेटर स्पॉटेड ईगल आदि प्रवासी पक्षियों का तांता लगा रहता है। इन जलाशयों में दुर्लभ मछलियां, पक्षी और अन्य जलीय जीव पाए जाते हैं। प्रकृति में ये जलाशय गुर्दे की तरह कार्य करते हैं। 
-सरकारी सीनियर सैकेंडरी स्कूल पक्खोवाल, 
मंडी अहमदगढ़। (लुधियाना)
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