संकल्प, संयम और अनवरत परिश्रम हैं सफलता के सूत्र

किसी भी लक्ष्य को पाने के लिए सही योजना, परिकल्पना तथा रणनीति अत्यंत आवश्यक है। अपने लक्ष्य के अनुसार अपनी क्षमता को दृष्टिगत रखते हुए व्यक्ति को अपनी प्राथमिकताएं सुनियोजित कर लेनी चाहिएं। लक्ष्य प्राप्ति के लिए यह बहुत ज़रूरी है कि आपके पास उपलब्ध समय की गणना आवश्यक रूप से कर ली जाए अन्यथा अपने लक्ष्य से भटक सकते हैं। ऐसी स्थिति में मन को एकाग्र रखकर आत्मविश्वास को द्विगुणित कर के एकाग्रता को एक हथियार की तरह इस्तेमाल करना एक महत्वपूर्ण कदम होगा।
सर्वप्रथम अपनी क्षमता, शक्ति एवं ऊर्जा को पहचाना जाए एवं लक्ष्य की तरफ एक एक सोपान धीरे-धीरे बढ़ाते जाएं। लक्ष्य के स्वरूप और छोटा या बड़ा होने की मन में कल्पना न करें। लक्ष्य हमेशा लक्ष्य होता है छोटा या बड़ा नहीं। इसके लिए बहुत ही ठंडे दिमाग से योजना बनाकर लक्ष्य की प्राप्ति के उपायों को मन ही मन तय करें एवं प्राथमिकता के आधार पर उसकी धीरे-धीरे तैयारी करना शुरू करें। सफलता के लिए अपने संसाधन सुनिश्चित करने के पश्चात एक सुनियोजित योजना बनाकर समय की प्रतिबद्धता के हिसाब से धीरे-धीरे आगे की ओर अपने कदम बरढ़ाएं। 
लक्ष्य प्राप्ति के लिए जो सबसे बड़ा शस्त्र है, वह है समय का सदुपयोग, क्योंकि सभी को मालूम है कि व्यक्ति पास दिन में सिर्फ  24 घंटे ही उपलब्ध होते हैं। इसमें उसे शारीरिक एवं मानसिक शक्ति प्राप्त करने के लिए समय निकालने की आवश्यकता होगी। ऐसे में समय का समुचित उपयोग एक सफल नियोजनकर्ता की तरह किया जाना चाहिए। उपलब्ध समय में उचित समय पर उठना, स्नान, ध्यान, भोजन एवं मानसिकता दृढ़ता के लिए समुचित नींद या निद्रा की अत्यंत आवश्यक होती है। यदि व्यक्ति को जीवन में जीत या सफलता प्राप्त करनी है तो वह मानसिक दृढ़ता के साथ आत्मविश्वास से ओतप्रोत होने के लिए तैयार हो जाए। लक्ष्य से घबराने की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि मनुष्य का मस्तिष्क ही सोच के हिसाब से लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए सक्षम होता है। काम करने से पहले ही यदि आधे मन से लक्ष्य की ओर अग्रसर होंगे तो सफलता प्राप्त होने में संदेह ही नहीं सारी परिस्थितियां संदिग्ध हो जाती है। 
प्राथमिकताओं में सर्व प्रथम स्थान नींद का होना चाहिए, सही वक्त पर पूरी नींद ही शरीर को चुस्त-दुरुस्त और सजग रखती है। अत: दिन में मानसिक तनाव से दूर रहने के लिए सम्पूर्ण 6 से 8 घंटे नींद ले लेनी चाहिए, जिससे मानसिक चुस्ती आने के साथ कार्य क्षमता में वृद्धि होती है अन्यथा किसी कार्य में समुचित मन लगना कठिन होगा। इसी तरह अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए दिनचर्या के कार्यों को या तो अच्छे से याद कर लिया जाये या उसे डायरी में अच्छी तरह लिख कर रख लें। अपने लिखे हुए कार्यों को सुचारू रूप से संपादित किया जाए। 
लक्ष्य की विषमताओं एवं चुनौतियां को नोट कर उनके समाधान को भी अपने मस्तिष्क में स्थापित कर लेना चाहिए। इससे यह सुनिश्चित हो जाएगा कि लक्ष्य की कठिनाइयों को किस तरह दूर किया जाए। कई बार ऐसे अवसर भी आते हैं जब आपका आत्मविश्वास, आपकी उर्जा एवं शक्ति डगमगाने लगती है, ऐसी परिस्थितियां आपकी शारीरिक कमजोरी, मानसिक शिथिलता, सामाजिक, पारिवारिक परिस्थितियों आदि के कारण आपके सम्मुख आ सकती है। इन परिस्थितियों में व्यक्ति को लगने लगता है कि उसकी मेहनत व्यर्थ हो गई है। बस ऐसे ही समय में अपने मस्तिष्क से नकारात्मक विचारों और सोच को पूरे आत्मविश्वास के साथ दूर कर आगे की ओर अग्रसर होना होगा। सबसे महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि लक्ष्य प्राप्ति के दौरान नकारात्मक वातावरण एवं इस तरह की मानसिकता वाले व्यक्तियों से दूर रहा जाए। 
लक्ष्य प्राप्ति के साधनों तथा उससे जुड़े हुए समर्थ व्यक्तियों की तलाश में भी आपको सतत रहना होगा। यदि आप किसी प्रतियोगी परीक्षा में सफलता प्राप्त करना चाहते हैं तो सदैव बुद्धिमान एवं मेहनती अध्येता के साथ विचार-विमर्श करना चाहिए। लाइब्रेरी या पुस्तक विक्रेताओं से सर्वश्रेष्ठ ज्ञानार्जन के लिए किताबों का संग्रह किया जाना चाहिए। यदि किसी का कोई अन्य लक्ष्य हो तो सदैव समय की उपयोगिता तथा उसकी सार्थकता पर ज़रूर ध्यान केंद्रित कर सफल व्यक्तियों का अनुसरण किया जाना चाहिए तभी सफलता उसे कदम चूमेगी। सफलता का एक ही सूत्र एवं रहस्य है कि अपने मस्तिष्क की प्रबलता बनाए रखे जाने के साथ-साथ कड़ी मेहनत भी करें, तब जाकर सफलता व्यक्ति के कदम चूमती है।

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