तर्क व बायोलॉजी से ऊपर हैं रोहन बोपन्ना

हाल के दिनों में भारतीय टेनिस में सफलता कथाएं कम ही देखने को मिली हैं, लेकिन जनवरी के चौथे सप्ताह में दो बहुत शानदार कामयाबियां देखने को मिलीं और दोनों ही रोहन बोपन्ना के कारण आयीं। 24 जनवरी, 2024 को ऑस्ट्रेलियन ओपन के क्वार्टर फाइनल में जब 43 वर्षीय रोहन ने जीत दर्ज की तो उन्होंने विश्व युगल रैंकिंग में पहला स्थान प्राप्त किया और यह सम्मानित पद पाने वाले वह सबसे अधिक आयु के खिलाड़ी बने। फिर 27 जनवरी, 2024 को उन्होंने अपना पहला पुरुष युगल ग्रैंड स्लैम जीता और इस तरह यह खिताब जीतने वाले वह सबसे अधिक उम्र के खिलाड़ी बने। यह उपलब्धि निश्चितरूप से उल्लेखनीय, ़गज़ब की और अविश्वसनीय है, खासकर इसलिए भी कि तीन वर्ष पहले रोहन टेनिस को अलविदा कहने का मन बना रहे थे और अब वह कहते हैं कि कभी अपनी क्षमता पर शक नहीं करेंगे। ऑस्ट्रलियन ओपन के फाइनल में रोहन व मैथ्यू एब्डेन की जोड़ी ने इटली की टीम (सिमोन बोलेली व एंड्रिया वावास्सोरी) को 7-6(0), 7-5 से पराजित करके ऐतिहासिक जीत दर्ज की।
रोहन से पहले भारत के लिए पुरुष युगल के ग्रैंड स्लैम केवल लीएंडर पेस व महेश भूपति ने जीते थे, जबकि महिला युगल में यह श्रेय सानिया मिज़र्ा को मिला था। वैसे रोहन ने 2017 में गब्रिएला डब्रोव्सकी के साथ फ्रेंच ओपन का मिश्रित युगल खिताब भी जीता हुआ है। अपने जीवन के पांचवें दशक में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर खेल उपलब्धि हासिल करना आम बात नहीं है। यह वह अवधि होती है जब आयु व शारीरिक कमजोरी करियर पर विराम के संकेत देने लगती है और खिलाड़ी को मजबूर करती है कि वह अपने अतीत के अच्छे दिनों को याद करते हुए अपने अनुभव को अगली पीढ़ी के साथ शेयर करे। लेकिन समय ने रोहन को कोमलता से स्पर्श किया है कि वह तर्क और बायोलॉजी से कुछ अलग ही साबित कर रहे हैं। उन्होंने जो पिछले सात ग्रैंड स्लैम खेले हैं उनमें से चार पुरुष युगल में वह सेमीफाइनल या उससे ऊपर पहुंचे हैं। 2023 में उन्होंने चारों मेजर, सभी नौ एटीपी मास्टर्स 1000, कुछ एटीपी 500 व 250 और भारत के लिए डेविस कप खेले। पिछले सत्र में भले ही उन्होंने दो खिताब जीते, लेकिन वह आठ फाइनल्स में पहुंचे और सत्र के अंत के एटीपी फाइनल्स के लिए भी क्वालीफाई किया।
आधुनिक विज्ञान व बेहतर खानपान से मदद अवश्य मिलती है, लेकिन मोटिवेशन के असामान्य स्तर को बनाये रखना, रोज़ाना प्रैक्टिस करने का जुनून, रिकवर व दुनियाभर में ट्रेवल करना, अपना फोकस बनाये रखना आदि रोहन की मानसिक क्षमता के बारे में बहुत कुछ कहते हैं। रोहन के पहले युगल ग्रैंड स्लैम फाइनल (2010 यूएस ओपन) और दूसरे फाइनल (2023 यूएस ओपन) में 13 वर्ष का अंतर था। दो पिछली उच्च रैंकिंग के बीच में एक दशक का अंतर था (2013 में नंबर 3 और 2023 में नंबर 3)। इस अंतर के बावजूद, जिस दौरान निराशा भी हुई होगी, अपना फोकस बनाये रखना यकीनन कमाल की बात है जो दूसरों के लिए प्रेरणा है। लेकिन उम्मीद व हताशा के बीच की भयावह स्पेस में कुर्ग के इस लहीम-शहीम खिलाड़ी ने खुद को प्रासंगिक बनाये रखा। वह विस्फोटक एथलीट नहीं हैं, घुटनों में कार्टलिज की भी कमी है, जिम भी हिट नहीं कर सकते हैं, इसलिए फिट रहने के लिए योग व स्टैमिना के लिए तैराकी का सहारा लेते हैं। अगर किसी को कोई शक था कि यह एडजस्टमेंट उनके लिए लाभकारी न होगा तो ऑस्ट्रेलियन ओपन की जीत ने उसे दूर कर दिया है, जहां उन्होंने अपने खेल व प्रतिभा का ज़बरदस्त प्रदर्शन किया।
भारत में युगल खिलाड़ी को अविश्वसनीय उच्च मानक के विरुद्ध मापा जाता है। एकल में पिछले तीन दशकों के दौरान केवल दो खिलाड़ियों (पेस व सानिया) ने ग्रैंड स्लैम में लगातार दो मैच जीते हैं। लेकिन युगल में तीन विश्व नंबर 1 खिलाड़ी रहे हैं- पेस, भूपति व सानिया जिन्होंने मेजर्स में कुल मिलाकर 15 युगल व 21 मिश्रित खिताब जीते हैं। रोहन के पास इन दोनों श्रेणियों में एक-एक खिताब है। लेकिन इसके बावजूद ऐसे समय में शिखर पर पहुंचना जब टेनिस पहले से अधिक एथलेटिक व अधिक पावरफुल हो गयी है और फॉर्मेट जुआ हो गया कि एटीपी टूर पर हर सेट टाई-ब्रेकर बन गया है, रोहन ने अपने लिए स्थान बनाया है और अपना स्थायी प्रभाव छोड़ा है। रोहन का जन्म 4 मार्च, 1980 को बेंगलुरु में हुआ था। उनकी दिलचस्पी टीम गेम में थी, लेकिन उनके पिता चाहते थे कि वह व्यक्तिगत स्पोर्ट्स में हिस्सा लें। इसलिए उन्होंने टेनिस खेलना शुरू किया। एकल में उनकी करियर हाई रैंकिंग 2007 में विश्व नंबर 213 रही और युगल में 22 जुलाई 2013 को वह विश्व नंबर 3 थे। वह 2002 से भारतीय डेविस कप टीम का हिस्सा रहे हैं और उन्होंने पिछले साल मोरक्को के विरुद्ध 16 व 17 सितम्बर को लखनऊ में भारत के लिए अपना अंतिम डेविस कप मैच खेला। यह उनका 50वां डेविस कप मैच था।
रोहन ने अपने करियर में 25 खिताब जीते हैं, जिनमें दो ग्रैंड स्लैम और पांच एटीपी 1000 खिताब शामिल हैं। उन्होंने पाकिस्तानी खिलाड़ी ऐसाम-उल-हक कुरैशी के साथ 2007 में लगातार चार चैलेंजर खिताब जीते थे। रोहन-कुरैशी की जोड़ी लम्बे समय तक इंडो-पाक एक्सप्रेस के नाम से विख्यात रही और दोनों ने मिलकर उल्लेखनीय सफलता टेनिस सर्किट पर हासिल की। रोहन ने 2012 व 2016 ओलंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व किया। सबसे अधिक आयु में एटीपी मास्टर 1000 खिताब (मार्च 2023) जीतने वाले रोहन इस समय युगल में विश्व के 1 रैंकिंग वाले खिलाड़ी हैं।

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