कैसी होने वाली है भविष्य की दुनिया

तेज़ी से बदल रही यह दुनिया इस समय एक बड़े मुकाम पर आ खड़ी हुई है। मानवीय इतिहास में यह पहली बार होने लगा है कि इस समय दुनिया में जो बहुत महत्वपूर्ण है इसमें से बहुत कुछ अर्थहीन हो जाएगा। अतीत की बात बन जाएगी। विगत समय में बहुत सी चीज़ें हमारे दौर में आईं और अलोप हो गईं। आज के बच्चों में अधिकतर को शायद यह पता भी नहीं होगा कि सी.डी. प्लेयर किस प्रकार का होता था? वी.सी.आर. क्या था? पेजर क्या था? तेज़ी से हो रही तबदीलियों के इस दौर में अब एक दम बहुत कुछ तबदील होने जा रहा है।
भविष्य में आर्टीफीशियल इंटैलीजैंस (ए.आई.) भाव कृत्रिम समझ दुनिया को पूरी तरह बदल देगी। ज़रा सोचो कि मनुष्य की तरह सोच विचार करने, फैसले लेने और उन फैसलों पर अमल करने जैसे काम यदि मशीन करने लग जाए तो इस दौर में मनुष्य की हैसियत क्या होगी? कलाकार एक चित्र बनाता है, कवि कविता, गीतकार गीत, कहानीकार कहानी लिखता है। इसी प्रकार फिल्म लेखक फिल्मों की कहानी और डायलॉग लिखते हैं। कितनी हैरानी की बात है कि यह सब कुछ ‘ए.आई.’ करने लग जाएगी। इससे भी आगे फिल्मों में दिखाए जाने वाले दृश्य, नायक, नायिकाओं व खलनायक यह सब कुछ आर्टीफीशियल होगा और यह सब कुछ हकीकत जैसा ही होगा। एक नई फिल्म बनाने के लिए आप मनपसंद चार फिल्मों बारे आर्टीफीशियल इंटैलीजैंस को बताते हैं तो वह आपको कुछ ही समय बाद पांचवीं फिल्म तैयार कर देगा। इस प्रकार आप घर, दफ्तर, लॉन का डिज़ाइन करना चाहते हैं तो कई तरह के डिज़ाइन आपके सामने पड़ी स्क्रीन पर खुल जाएंगे, कहीं जाने की ज़रूरत नहीं होगी। प्रत्येक तरह की बड़ी-छोटी गाड़ियां ड्राइवर रहित होंगी और आर्टीफीशियल इंटैलीजैंस के जरिए चलने लगेंगी। पूरी दुनिया के दफ्तरों में काम करते कर्मचारियों की छंटनी होने लगेगी। सभी तरह के कार्यालयों के काम ए.आई. मशीनें संभाल लेंगी। चित्रकार, फोटोग्राफरी, कलाकार, एक्टर, लेखक, डिज़ाइनर, माडल आदि के करने वाले कलात्मक काम कृत्रिम बुद्धि के साथ होने लगेंगे। ‘ए.आई.’ तकनीक किसी पुरानी से पुरानी तस्वीर को वीडियो में तबदील कर सकती है। अंदाज़ा लगाओ भविष्य की दुनिया कैसी होने वाली है।
दुनिया पर राज करने वाली सॉफ्टवेयर बनाने वाली कम्पनियों के बारे में कभी किसी ने नहीं सोचा होगा कि इस सबकुछ को एक दिन ए.आई. नामक ईको सॉफ्टवेयर निगल जाएगा। ‘ए.आई.’ ऐसी आधुनिक तकनीक है जिससे तकनीकी दुनिया के विशेषज्ञ भी डरने लगे हैं। इस तकनीक के साथ कृषि में एक ऐसा इंकलाब आएगा जिसका हमने कभी अंदाज़ा भी नहीं लगाया। भविष्य में ए.आई. मशीनें हमें बताएंगी कि आपके द्वारा बीज़ी जा रही फसल का अब तक बाज़ार में कितना बीज़ बिक गया है और यह किस देश में कितनी सीमा में बीजी जा रही है। इस फसल के लिए मौसम किस प्रकार का रहने वाला है। इसका बाज़ार में मूल्य कितना पड़ेगा? काफी हद तक फसलों के लिए प्रयोग किए जाते कीटनाशकों का प्रयोग कम होगा। फसल पर कीड़े के हमले का तुरंत पता चल जाएगा और जहां कहीं जिस पौधे में बीमारी की लाग होगी, वहां उस जगह पर ही उसका तुरंत इलाज किया जा सकेगा। पूरी ज़मीन में कीटनाशक दवाई का प्रयोग करने की आवश्यकता तो दूर, किसी एक पूरे पौधे को भी कीटनाशक देने की ज़रूरत नहीं रहेगी। ज़मीन में कहां किस तत्व की कमी है, इस संबंधी ए.आई. की जानकारीं फसलों के लिए लाभदायक साबित होगी। ए.आई. मशीनें केवल पके फलों की तुडाई-पुटाई करेंगी और इस तरह फसलें खासतौर पर फलों के झाड़ में सुधार व वृद्धि होनी शुरू हो जाएगी। भविष्य में कृषि के काम में एक बड़ी अलौकिक तबदीली होने जा रही है। दुनिया में भुखमरी और कुपोषण कम होगा लेकिन याद रखना यह केवल अंदाज़ा है सच्चाई इससे अलग भी हो सकती है।
दवाइयों के मालीक्यूल बनाने में मदद मिलेगी। बीमारियों को समझने में बड़ा इंकलाब आएगा और मरीजों की देखभाल करने में भी ए.आई. बड़ी मददगार साबित होगी। जैसे आशंका प्रकट की जा रही है ए.आई. बहुत सारी नौकरियों को समाप्त कर देगी तो कुछ लोगों को यह विश्वास है नई टैक्नोलॉजी के आने से नौकरियां कम नहीं होती बल्कि बढ़ती हैं। जैसे कम्प्यूटर के आने से सोचा जा रहा था कि दफ्तरों के काम जब कम्प्यूटर से करने लगेंगे तो लोगों की आवश्यकता नहीं रहेगी। इसलिए कम्प्यूटर का विरोध भी हुआ लेकिन कम्प्यूटर के आने से रोज़गार में अलग और बड़ी संभावनाएं पैदा हुईं। इसलिए कुछ लोगों का मानना है कि नई तकनीक के आने से रोज़गार के द्वार खुल जाएंगे।
नि:संदेह ए.आई. से मानव के मानसिक और शारीरिक काम कम हो जाएंगे, रोज़गार, नौकरियां कम हो जाएंगी लेकिन यह आम लोगों और खासतौर गरीब देशों के लोगों के लिए यह स्थिति बहुत भयानक हो सकती है। ए.आई. के दौर से पहले ही दुनिया ऐसे दौर में से गुज़र रही है जहां आम लोगों के रोज़गार की तरफ सरकारों का बिल्कुल ही ध्यान नहीं और नौकरियों के अवसर कम हो रहे हैं। सरकारों ने ऐसी स्थिति पैदा की है कि बड़ी संख्या में लोगों ने अपने आपको आटा दाल जैसी खैरात के लिए समर्पित कर दिया है। अब तक हर नई तकनीक का सबसे अधिक  लाभदायक सरमायेदार लेते रहे हैं। ऐसी स्थिति में जबसे ए.आई. का प्रवेश होने जा रहा है तो आम लोगों के लिए यह स्थिति और भी भयानक हो जाएगी। नौकरियां, रोज़गार और कम हो जाएंगे।
ए.आई. को बनाने वाले 75 वर्षीय जेफ्री हिंटन इसके परिणामों को समझते खुद डरे हुए हैं। उनका कहना है कि यदि में इसको न बनाता तो हो सकता है कि कोई और बना देता। उनका कहना है कि मनुष्य से सीखकर मनुष्य पर ही हावी हो जाने के ए.आई. के खतरे को नकारा नहीं जा सकता। जेफ्री हिंटन ने न्यूयार्क टाइमज़ को दिए एक इंटरव्यू में माना कि उसको अपने किए पर पछतावा हो रहा है। उन्होंने कहा कि ‘ए.आई. 1000 लोगों से अधिक जानता है और इसकी यह जानकारी हर पल बढ़ती ही जाएगी।’ यह सच है कि ए.आई. के साथ बहुत सारे खतरे जुड़े हुए हैं और इन खतरों को दुनियाभर के सूझवान मनुष्य भांप रहे हैं। यह भी हो सकता है कि भविष्य में ए.आई. के जरिए गलत सूचनाओं की बाढ़ आ जाए और हमें यह समझने में बहुत बड़ी परेशानी होगी कि सच क्या है और झूठ क्या है। यह भी संभव है कि ए.आई. का कंट्रोल गलत हाथों में चला जाए और यह एक दिन मनुष्य पर भारी होकर मनवीय सभ्यता के लिए ही खतरा बन जाए।
हमारी शिक्षा प्रणाली इस समय भी समय के साथ की नहीं है। इसमें बहुत सारी त्रुटियां हैं। भविष्य में शिक्षा जगत में बढ़ी तबदीली आएगी। मनुष्य की सालों की शिक्षा अर्थहीन होकर रह जाएगी। मनुष्य के सीखने, समझने, फैसले लेने और व्यावहार करने के ढंग को नई तकनीक बिल्कुल ही बदल देगी। ऐसी स्थिति होगी जो कुछ हम पांच साल लगाकर सीखते हैं, वह काम ए.आई. मशीनें मिनटों सैकेंडों में करने के समर्थ होंगी। फिलहाल बोतल में से निकले ‘ए.आई.’ के जिन्न को अब दोबारा बोतल में डाला जाना असंभव है परन्तु अभी शायद समय है कि इसकी सीमा निर्धारित की जाएं। दुनियाभर की सरकारों को मानवीय सभ्यता के भले को ध्यान में रखते हुए ऐसा करना समय की मांग है। 

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