हेरोइन के बाद अफीम का खतरा

पंजाब में निरन्तर नशीले पदार्थों की बड़े स्तर पर बरामदगी नि:संदेह प्रदेश का हित-चिन्तन करने वालों को यह सोचने पर विवश करती है कि भावी युवा पीढ़ी का भविष्य कौन-सी करवट लेने वाला है। नित्य-प्रति बरामद होने वाले नशीले पदार्थों की खेप और मात्रा में वृद्धि होते जाना नि:संदेह समाज की चिन्ता को बढ़ाने वाला है। इसके साथ ही नशीले पदार्थों की अधिक डोज़ लेने के कारण होने वाली मौतें भी सरकार और प्रशासन को आईना दिखाने के लिए काफी हैं। पंजाब में पिछले महीने हेरोइन की बड़ी मात्रा में बरामदगी से सरकार और प्रशासन स्वयं स्तब्ध हुये थे। अब 22 किलो अफीम की बरामदगी और दो हज़ार किलो से अधिक मात्रा में अफीम की सप्लाई किये जाने संबंधी मामला सामने आने से सचमुच समाज में सनसनी का वातावरण बना है। इस स्कैंडल से जुड़े झारखंड के एक व्यक्ति से अतिरिक्त रूप से 12 किलो अफीम बरामद की गई। यह शख्स झारखंड में अफीम की खेती करने के लिए भी जाना जाता है। कभी पंजाब में एक तोला अफीम की कीमत को लेकर कहानियां लिखी गई थीं किन्तु आज कई-कई किलो के हिसाब से अफीम बरामद होती है, तो भी किसी के कान पर जूं तक नहीं रेंगती। नि:संदेह नशीले पदार्थों के धरातल पर इतनी बड़ी-बड़ी खेप की बरामदगियों से भविष्य के पंजाब की कोई बेहतर तस्वीर उभरते हुए दिखाई नहीं देती। बड़ी मुश्किल से पंजाब के दामन पर ‘उड़ते पंजाब’ जैसे द़ाग को मिटाने की कोशिशें हुई थीं, किन्तु पंजाब की धरती पर इतने व्यापक स्तर पर अफीम की सप्लाई का तंत्र विकसित हो जाना किसी बड़े भावी खतरे की ओर ही इंगित करता है।  इससे पूर्व भी जालन्धर की कमिश्नरेट पुलिस ने एक विशेष अभियान के दौरान अढ़ाई किलो अफीम बरामद करके 6 लोगों को गिरफ्तार किया था। ये सभी पंजाब के ही निवासी बताये गये हैं।
मौजूदा अफीम सप्लाई संबंधी अन्तर्राष्ट्रीय सम्पर्कों वाले इस मामले के उजागर होने पर न केवल 12 लोगों को गिरफ्तार किया गया है, अपितु नौ करोड़ की ड्रग-पूंजी वाले 30 बैंक खाते भी फ्रीज किये गये हैं। यह कितना बड़ा स्कैंडल है, इसका पता इस बात से भी चल जाता है कि सरकार और प्रशासन के विभिन्न विभागों से सम्बद्ध 6 अधिकारी भी उनकी संलिप्तता के तहत नामज़द किये गये हैं। इन नामज़द और संदिग्ध रूप में शामिल अधिकारियों की कस्टम अधिकारियों के साथ भी सांठ-गांठ पाई गई है। वैसे इस गैंग के तार विदेशों से भी जुड़े पाये गये हैं, और इस हेतु इस गिरोह के सदस्य कोरियर की सेवाओं में भी घुसपैठ कर चुके थे। कोरियर के ज़रिये अफीम को लड्डुओं के बीच छिपा कर भेजा जाता और इस माल की कीमत की अदायगी बाकायदा हवाला के ज़रिये की जाती। इस प्रकार यह गिरोह प्रदेश में अफीम के नशे का प्रसार करने के अतिरिक्त देश के राजस्व को भी नुक्सान पहुंचाने में सहायक बन रहा था। इस स्कैंडल में महिलाओं की भी शमूलियत इसकी गम्भीरता को और बढ़ाती है। पुलिस द्वारा इस मामले में गिरफ्तार किये गये लोगों में एक महिला भी शामिल है जो बाकायदा तौर पर अफीम के सप्लाई तंत्र का एक अहम हिस्सा बनी हुई थी।
हम समझते हैं कि पंजाब में अन्य कई प्रकार के भीषण एवं घातक नशों के अतिरिक्त अफीम की इतनी बड़े स्तर पर बरामदगी और इसके इतने व्यापक स्तर पर प्रसार का मुद्दा सरकार एवं समाज दोनों के लिए गम्भीर चिन्ता का विषय होना चाहिए, किन्तु प्रदेश में अफीम की खेती किये जाने संबंधी सरकार की सम्भावित योजना सब किये-धरे पर पानी डाल देने के लिए काफी है। सरकार सचमुच यदि अफीम की खेती पर विचार कर रही है तो इससे बड़ी चिन्ताजनक बात और कोई नहीं हो सकती। पंजाब पहले ही नशे के मामले में बदनामी के कई अखाड़े लांघ चुका है। प्रदेश में अफीम की तस्करी और इसका कारोबार और तिस पर प्रदेश में अफीम की कृषि किये जाने की सूचना, पंजाब की युवा शक्ति के कदमों को विनाश के कगार की ओर धकेलने में सक्षम हो सकती है। कभी कृषि के बल पर समृद्ध हुए एवं पंजाब में कृषि कार्य आजकल घाटे का सौदा बन कर रह गया है। रही-सही कसर युवाओं की ओर से विदेशों में बढ़ते पलायन ने पूरी कर दी है। अब यदि यहां अफीम की खेती की इजाज़त दी जाती है, तो नि:संदेह यह फैसला पूरे पंजाब के लिए आत्मघाती सिद्ध हो सकता है।
हम समझते हैं कि पंजाब को हेरोइन आदि के नशे के बाद अब अफीम की दलदल में धंसने के ़खतरे से बचाना सभी वर्गों के लिए बेहद लाज़िमी हो जाता है। पंजाब की भगवंत मान सरकार को अफीम जैसे नशीले पदार्थ को कारोबार अथवा व्यापार के तौर पर देखने की बजाय, इससे उपजने वाले दोषों के आधार पर इस गम्भीर समस्या से निपटने की इच्छा-शक्ति जागृत कर उपाय खोजने होंगे। पहले ही यह समस्या अपने ़खतरनाक डैनों को समाज के भीतर चहुं ओर फैला चुकी है। इन डैनों को समेटने के लिए समाज, सरकार और प्रशासन, सभी के संयुक्त प्रयासों की बड़ी आवश्यकता होगी।