हंसने-हंसाने की आदिम कोशिश है  अप्रैल फूल डे

हर साल एक अप्रैल को पूरी दुनिया में मूर्ख दिवस मनाया जाता है। चूंकि एक अप्रैल को मनाया जाता है, इसे अप्रैल फूल डे के नाम से भी जानते हैं। इस दिन लोग एक-दूसरे को बरगलाकर बेवकूफ बनाने की कोशिश करते हैं और अगर सफल हो गए तो अपनी इस कोशिश पर जमकर हंसते हैं। दरअसल अप्रैल फूल डे की सारी कवायद यही है, जो शायद सदियों से हंसने-हंसाने की एक आदिम कोशिश है। इस दिन लोग अपने दोस्तों, करीबियों, रिश्तेदारों, सहपाठियों और सहकर्मियों से प्रैंक यानी मजाक करते हैं और जब से सोशल मीडिया का चलन हुआ है, तब से तो लोग अन्जान लोगों के साथ भी प्रैंक करने से बाज नहीं आते। चूंकि आजकल ऐसी रील बनाकर फेसबुक, इंस्टाग्राम और यू-ट्यूब में अगर वायरल हो गई तो अच्छी खासी कमाई भी हो जाती है। इसलिए लोग जब से सोशल मीडिया की दुनिया गुलजार हुई है, किसी को मूर्ख बनाने या मजाक करने के लिए एक अप्रैल का भी इंतजार नहीं करते। कहीं भी और कभी भी प्रैंक का कारोबार चलता रहता है।  लेकिन अगर इसके अप्रैल फूल डे के इतिहास पर नज़र डालें तो यूं तो इससे जुड़ी कई कहानियां मिलती हैं, लेकिन कुछ कहानियां सर्वाधिक प्रचलित है जैसे एक कहानी के मुताबिक अप्रैल फूल डे की शुरुआत सन् 1381 में हुई जब इंग्लैंड के राजा रिचर्ड द्वितीय और बोहेमिया की रानी ऐनी की सगाई का ऐलान हुआ और यह सगाई 32 मार्च की तय की गई। जनता ने शुरू में ध्यान नहीं दिया और सगाई की बात सुनते ही जश्न शुरु हो गया लेकिन जब 31 मार्च आ गया, तब लोगों को पता चला कि अरे, 32 मार्च तो कुछ होता ही नहीं। जो लोग अभी तक राजा की सगाई का जश्न मना रहे थे, अब उन्हें समझ में आया कि वे तो मूर्ख बन गये। कहते हैं तभी से अप्रैल फूल डे मनाया जा रहा है। 
मूर्ख दिवस को लेकर एक और कहानी काफी प्रचलित है, इसका संबंध फ्रांस से है। इस कहानी के मुताबिक अप्रैल फूल्स डे की शुरुआत सन् 1582 में हुई, जब पोप चार्ल्स नवम ने पुराने कैलेंडर की जगह रोमन कैलेंडर का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया, जिसके मुताबिक साल की शुरुआत एक जनवरी से होती है। लेकिन कुछ लोग इस तारीख को याद नहीं रख पाए और वे पुराने साल की शुरुआत के मुताबिक नये साल का जश्न मनाते रहे और तभी से यह अप्रैल फूल डे मनाया जाना शुरू हुआ। जहां तक भारत में इस दिन के सेलिब्रेट किए जाने की शुरुआत का सवाल है तो भारत में इसी शुरुआत 19वीं शताब्दी में हुई। जाहिर है यह शुरुआत करने वाले अंग्रेज ही थे लेकिन आज सोशल मीडिया के दौर में यह दुनिया के हर देश में मनाया जाता है। भारत में तो नई पीढ़ी के बीच यह काफी प्रचलित है। 
हालांकि एक अकेले इसी दिन मूर्ख दिवस मनाये जाने की परम्परा नहीं है। दुनिया के कई देशों में अलग-अलग तारीखों को मूर्ख दिवस मनाया जाता है। मसलन डेनमार्क में 1 मई को मूर्ख दिवस मनाया जाता है और इसे मजकट कहते हैं जबकि स्पेनिश बोलने वाले देशों में यह दिन 28 दिसम्बर के दिन मनाया जाता है और इसे मूर्ख दिवस कहने की बजाय डे ऑफ होली इनोसेंट्स कहते हैं। ईरानी लोग फारसी नववर्ष के 13वें दिन मूर्ख दिवस मनाते हैं, जोकि आमतौर पर एक या दो अप्रैल को ही पड़ता है। कई देशों में यह पूरे दिन मनाया जाता है, तो कई देशों में मूर्ख दिवस मनाये जाने का चलन सिर्फ दिन में 12 बजे तक का होता है। मसलन ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, इंग्लैंड, दक्षिण अफ्रीका और कुछ अफ्रीकी देशों में अप्रैल फूल डे दिन के 12 बजे तक ही मनाया जाता है जबकि कनाडा, अमरीका, रूस और बाकी यूरोपीय देशों में यह पूरे दिन मनाया जाता है। अपने यहां भी इसे सुबह से लेकर शाम तक मनाये जाने की परम्परा है।  कई देशों में इस दिन दोस्तों के साथ पार्टी करने और उन्हें फूल देने तथा दोस्ती करने की शुरुआत के दिन के रूप में भी मनाया जाता है। कई देशों में इसे दोस्ती बनाने का सबसे खास दिन मानते हैं। बेल्जियम और इटली में लोग इस दिन जिससे दोस्ती करनी होती है, उसकी पीठ में चुपके से कागज की मछली बनाकर चिपका देते हैं। इससे माना जाता है कि मछली चिपकाने वाला शख्स उस व्यक्ति से दोस्ती का इच्छुक है, जिसकी पीठ में उसने मछली चिपकायी है। इस तरह एक अप्रैल सिर्फ मूर्खता का दिन ही नहीं है, दोस्ती, प्यार और जीवन के कई नये अध्याय शुरू करने का दिन भी है।
-इमेज रिफ्लेक्शन सेंटर