आओ बच्चो, गुब्बारा कार बनाएं

कल कुछ बच्चे मेरे पास आये और मुझसे कोई खिलौना बनाना सीखाने की मांग करने लगे। मैंने सोचा कि उन्हें ऐसा खिलौना बनाना सिखाया जाये जिससे वह फिजिक्स को भी आसानी से समझने लगें। इसलिए मैंने उनसे कहा कि मैं तुम्हें गुब्बार कार बनाना सिखाऊंगा। गुब्बार कार बनाने के लिए कुछ बुनियादी चीज़ों की ज़रुरत पड़ती है, जैसे प्लास्टिक की छोटी-छोटी ईंटें, पहियों का सेट, गुब्बारे और छोटा टेप मेज़र। 
इसे बनाना बहुत आसान है। प्लास्टिक की ईंटों को आपस में जोड़ लें और जो प्लेटफार्म तैयार हो उसमें चार पहियों को इस तरह से फिट कर दें जैसा कि आपने अपने पापा की कार में देखा होगा। फिर इस कार के ऊपरी हिस्से में एक प्लास्टिक का होल्डर इस तरह से लगा दें कि उसमें गुब्बारे का सिरा फंस सके। लीजिये हो गई आपकी कार तैयार। 
अब सवाल यह है कि यह चलेगी कैसे? तो गुब्बारे में अपने मुंह से हवा भरिये और उसका मुंह बंद किये बिना प्लास्टिक के होल्डर में फंसा दीजिये। जैसे ही गुब्बारे की हवा निकलना शुरू होगी वैसे ही आपकी कार आगे को दौड़ने लगेगी। 
इस खेल को अधिक मजेदार बनाने के लिए अपने दोस्तों से भी कहिये कि वह भी अपनी-अपनी कारें बनाएं। फिर आपस में रेस करिये और मेज़र टेप से नापिये की किस की कार सबसे आगे गई। है न मज़े की बात?
रेस के बाद कुछ प्रश्नों पर अवश्य गौर कीजिये, किसकी कार सबसे आगे गई और क्यों? किसकी कार धीमी रह गई और क्यों? अगर कारों को कालीन पर दौड़ाया जाता तो क्या होता? अगर गुब्बारा अधिक या कम फुलाया जाता है तो क्या होगा?
इस प्रकार के अनेक प्रश्न हैं। जब आप इनके उत्तर की तलाश करेंगे तो आपको गणित व विज्ञान की बहुत सी बातें समझ में आ जायेंगी। आपकी आसानी के लिए मैं कुछ हिंट्स आपको देता हूं। यह सारा खेल फोर्स व मोशन का है। जब गुब्बारे से तेज़ी से हवा निकलती है तो उससे कार हरकत यानी मोशन में आ जाती है। जब फोर्स धीमी हो जाती है यानी गुब्बारा खाली होने लगता है तो कार भी धीमी होकर आखिरकार रुक जाती है। जो कार भारी होगी उसे अधिक बल चाहिए होगा और वह हल्की कार की तुलना में ज्यादा दूर नहीं जा सकेगी। हल्की कार को कम बन या फोर्स की ज़रुरत होगी। 
आपकी गुब्बारा कार न्यूटन के मोशन के तीसरे नियम के आधार पर चलती है कि हर एक्शन का बराबर व विपरीत रिएक्शन होता है। थ्रस्ट से शुरू करते हैं। जब आप गुब्बारे को फुलाते हैं तो वह गैस से भर जाता है। जब गुब्बारे से हवा निकलने लगती है तो उससे आगे को धक्का देने वाला मोशन शुरू होता है जिसे थ्रस्ट कहते हैं। थ्रस्ट गुब्बारे से उत्पन्न एनर्जी के कारण होता है। ध्यान रहे कि एक वस्तु उस समय तक रेस्ट (आराम) में रहती है जब तक कि उसपर बल यानी फोर्स न लगायी जाये।
-इमेज रिफ्लेक्शन सेंटर