बर्बाद होता भोजन और भूखे सोते लोग

खाद्य पदार्थ की बर्बादी प्रमुख समस्या बन गई है। दुनिया भर में सभी खाद्य पदार्थों का लगभग 50 प्रतिशत बर्बाद हो जाता है और कभी भी ज़रूरतमंदों तक नहीं पहुंचता है। दुनिया भर में भोजन की बर्बादी के कारण आज लाखों लोग भूखे हैं। यह समस्या न केवल वैश्विक अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक प्रभाव डालती है, बल्कि जलवायु परिवर्तन और जैव विविधता के नुकसान पर भी नकारात्मक प्रभाव डालती है। मानव उपभोग के लिए लगभग एक तिहाई भोजन विश्व स्तर पर बर्बाद हो जाता है। दुनिया में लाखों लोग भूखे पेट सोने को मजबूर हैं या आधा पेट खाकर जीवन जीते हैं, वही कुछ ऐसे भी लोग हैं जो बहुत-सा भोजन बर्बाद कर देते हैं। विकासशील देशों में सबसे अधिक अन्न सही रख-रखाव न हो पाने के कारण भी बर्बाद हो जाता हैं जो बेहद चिंतनीय है। संयुक्त राष्ट्र की एक नई रिपोर्ट में पाया गया है कि दुनिया भर में हर दिन 1 अरब भोजन की थाली बर्बाद हो जाती है जबकि लगभग 80 करोड़ लोग भूखे पेट सो जाते हैं । संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (यूएनईपी) की फूड वेस्ट इंडेक्स-2024 रिपोर्ट के मुताबिक 2022 में 1.05 अरब टन भोजन बर्बाद हो गया। करीब 20 फीसदी भोजन कूड़े में फेंक दिया जाता है। खेत में उपज से लेकर थाली तक पहुंचने तक 13 फीसदी भोजन बर्बाद हो जाता है। कुल मिलाकर उत्पादन प्रक्रिया के दौरान लगभग एक तिहाई भोजन बर्बाद हो जाता है। बाज़ार में उपलब्ध खाद्य उत्पादों का लगभग पांचवां हिस्सा बर्बाद हो जाता है। अधिकांश भोजन परिवारों द्वारा बर्बाद कर दिया जाता है। रिपोर्ट के मुताबिक भोजन की बर्बादी एक वैश्विक त्रासदी है। रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया में सबसे अधिक भोजन घरों में बर्बाद होता है, जिसकी वार्षिक मात्रा 63.1 करोड़ टन है। यह बर्बाद हुए कुल भोजन का लगभग 60 प्रतिशत है। भोजन बर्बादी की मात्रा खाद्य सेवा क्षेत्र में 29 करोड़ टन और फुटकर सेक्टर में 13.1 करोड़ टन है। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि दुनिया में हर व्यक्ति सालाना औसतन 79 किलो खाना बर्बाद करता है। यह दुनिया के हर भूखे व्यक्ति को प्रतिदिन 1.3 आहार के बराबर है।
खाने की बर्बादी को लेकर दुनियाभर में चिंता व्यक्त की जा रही है। यही भोजन यदि गरीबों को सुलभ कराया जाये तो भूखे पेट सोने वालों की कमी आएगी। भारत भी खाना बर्बाद करने वाले देशों में शामिल है। सबसे ज्यादा खाना लोग अपने घरों के भीतर बर्बाद करते हैं। वे ज़रूरत से ज्यादा खाना बनाकर फिर बचे खाने को फैंकने में संकोच नहीं करते। होटलों और खाने-पीने के दूसरे स्थान भी इस कार्य में आगे है। खुदरा दुकानदार भी अनाज का ठीक से भंडारण नहीं कर पाते और खराब होने पर उसे फैंकना पड़ जाता है।  सीएसआर के एक जर्नल के मुताबिक हम भारतीय उतना खाना बर्बाद करते हैं जितना कि पूरा ब्रिटेन खाता है। जहां भारत में हर रोज करीब 194 मिलियन लोग भूखे सोने पर मजबूर हैं और करीब 24 प्रतिशत लोग आधे पेट ही भोजन प्राप्त कर पाते हैं। हर चार में से एक बच्चा कुपोषण का शिकार है। इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन की एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में हर साल 23 करोड़ टन दाल, 12 करोड़ टन फल और 21 करोड़ टन सब्ज़ियां वितरण प्रणाली में खामियों के कारण खराब हो जाती हैं। भारतीय संस्कृति में भोजन झूठा छोड़ना या उसका अनादर करना पाप माना जाता है। मगर आधुनिकता की अंधी दौड़ में हम अपना यह संस्कार भूल गए हैं। यही कारण है कि होटल-रेस्त्रां के साथ ही शादी-ब्याह जैसे आयोजनों में सैकड़ों टन खाना प्रतिदिन बर्बाद हो रहा है। भारत ही नहीं, समूची दुनिया का यही हाल है। एक तरफ अरबों लोग दाने-दाने को मोहताज हैं, कुपोषण के शिकार हैं, वहीं प्रतिदिन लाखों टन खाना बर्बाद किया जा रहा है। खाने की बर्बादी रोकने की दिशा में महिलाएं बहुत कुछ कर सकती हैं। खासकर बच्चों में शुरू से यह आदत डालनी होगी कि उतना ही थाली में परोसें जितनी भूख हो। एक-दूसरे से बांट कर खाना भी भोजन की बर्बादी को बड़ी हद तक रोक सकता है। सभी को अपनी आदतों को सुधारने की ज़रूरत है।
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