कौए का बच्चा 

पतंग की डोरी से उलझ कर धरती पर गिरे एक कौए के बच्चे को दूर से देख, कुत्ते उस की और दौड़े। कुत्तों ने सोचा, ‘आज कौए के बच्चे से ही भूख शांत करेंगे।’
छोटी छोटी उडारीयां भरता बच्चा जैसे कह रहा हो, ‘मुझे क्यो खाना चाहते हो? मुझ से क्या भूख मिटेगी तुम्हारी?’
लेकिन कुत्ते जैसे अपने आप से कह रहे थे, ‘आज शिकार हाथ लगा है, भला कैसे छोड़ दें हम?
‘अगर आप मुझे छोड़ दें तो बड़ी मेहरबानी होगी, आप की।’ कौए का बच्चा पुन: गिड़गिड़ाया। सामने पेड़ से उतर कर कौए के बच्चे की मां व बाप उस के ईद गिर्द मंडराने लगे। उन्होंने तुरंत कुत्तों पर आक्रमण कर दिया। बच्चे की सहायता हेतु अन्य कौए भी एकत्रित होने लगे थे। यह सब देख कर कुछ लोग भी वहां रुक कर देखने लगे। एक व्यक्ति बोला, ‘दुख बांटने के लिये यूँ तो मनुष्य भी इकट्ठा नहीं होते। यहां तो कौए भारी संख्या में आने लगे हैं।’
कौओं के झुण्ड ने कुत्तों पर हमला बोल दिया। कोई किसी कुत्ते के सिर व कोई पूंछ पर प्रहार करने लगे। नुकीली चोंचों के प्रहार से कुत्ते भयभीत हो गये। लेकिन कुछ आक्रोशित कुत्ते कौए के बच्चे को उठाकर खेत की तरफ भागने में सफल हो गये। कौओं का पूरा विशाल झुण्ड कुत्तों के पीछे-पीछे उड़ने लगा। वह पूरा झुण्ड उस बच्चे को मुक्त करवाने का प्रयास करता रहा। इस घटना को देखते-देखते लोग भी भारी संख्या में एकत्रित हो गये। इस परिस्थित में कुछ महिलाओं के मन में ममता जाग उठी। एक बोली, ‘बेचारे को खेत में उठा कर ले गये। यह भी तो किसी जीव का बच्चा है। आओ उसे मुक्त करवाएं, इन आवारा कुत्तों से। महिलायें कुतों के पीछे दौड़ पड़ी। उनके साथ लोग भी दौड़ने लगे। तभी एक महिला ने पांव से जूता उतार कर कुत्ते पर दे मारा। कुत्ता चूँ चूँ करता कौए के बच्चे को छोड़ कर भाग खड़ा हुआ। अन्य कुत्तों को भी लोगों ने पत्थर उठाकर भगा दिया।
कौए के बच्चे के शरीर पर दातों के निशान बन गये थे। जबकि उसकी गर्दन पहले ही पतंग की डोर से घायल हो चुकी थी। एक महिला उसे उठा लाई व जख्मों पर हल्दी लगा कर, उसे पेड़ की शाखा पर बिठा दिया। कुत्ते दूर खड़े गुरगुरा रहे थे।
बच्चे को शाखा पर पड़ा देख कर उसके मां-बाप अब तक उसके पास पहुंच चुके थे। उन्होंने बच्चे को अपने पंखों की ओट में छिपा लिया था। स्नेह की गरमाई से मानो बच्चे का दर्द कम होने लगा था।
एकत्रित सभी कौओं ने अपना-अपना मार्ग ले लिया था। प्रत्येक कौआ जाते वक्त बच्चे को मानो कह रहा था, ‘डरते नहीं। हम सभी तुम्हारे साथ हैं।’ तभी एक व्यक्ति बोला, ‘दुख बांटना तो इंसान इन पक्षीयों से सीखे।’
बच्चे को उसकी मां अपनी चोंच से सहला रही थी।
भाग चुके कुत्ते दूर आपस में बतिया रहे थे, ‘यार! किस्मत से शिकार मिला भी और हाथ से निकल भी गया।’ दूर मार्ग पर दो स्कूटर आपस में टकरा गये थे। एक व्यक्ति लहूलुहान पड़ा था। सभी राहगीर देख-देख कर निकल रहे थे। पेड़ पर बैठा कौआ अपनी पत्नी से कहने लगा- आजकल तो लोगों का रक्त सफेद हो गया है। हम जानवरों में तो फिर भी कुछ इंसानियत ज़िंदा है। बो बोली- मैं भी यही सोच रही थी। उसने अपने पंखों से अपने बच्चे को पुन: और जकड़ लिया था।

मो-9780667686