सुरक्षा बलों की वर्दी का रंग खाकी क्यों होता है ?

प्यारे बाल दोस्तों! जब आप हमारे पुलिस और अन्य सुरक्षा बलों से संबंधित जवानों की वर्दी का रंग खाकी देखते हो तो अकसर आपके मन में दो सवाल ज़रूर आते होंगे, पहला कि सुरक्षा बलों की वर्दी का रंग खाकी क्यों चुना गया और दूसरा इस रंग को खाकी क्यों कहा जाता है?
बच्चो, सन् 1947 भारत आज़ाद होने से पहले जब हमारे देश पर अंग्रेज राज करते थे तो उन्होंने अपनी ब्रिटिश-हिन्द सेना, सुरक्षा बलों की वर्दी के लिए खाकी रंग ही निर्धारित किया और उस समय ब्रिटेन में एक रंग के कपड़ों का उत्पादन बड़े स्तर पर होता था, जिसका कारण यह था कि खाकी रंग के कपड़ों पर जल्दी मैल नज़र नहीं आती और धूल-मिट्टी के रंग के साथ मिलता-जुलता होने के कारण सुरक्षा बलों के जवान अपने-आप को ज़रूरत पड़ने पर आसानी के साथ छुपा कर सुरक्षित भी रख सकते हैं। उस समय भारत में ज्यादातर उर्दू भाषा बोलने का अधिक चलन था और उर्दू में फारसी भाषा के शब्दों का काफी हद तक उपयोग किया जाता है। फारसी में धूल-मिट्टी को खाक कहा जाता है। इसी कारण इस मटमैले से रंग को ‘खाकी’ के रूप में जाना गया था।
आज़ादी मिलने के बाद हमने अंग्रेज़ों द्वारा चलाई कई परम्पराओं को वैसे ही जारी रखा और इसी तज़र् पर पुलिस और अन्य सुरक्षा बलों के कपड़ों का रंग खाकी ही रहने दिया गया। मुझे अभी भी अच्छी तरह से याद है कि बचपन में स्कूल की वर्दियों का रंग भी खाकी होता था, जिसको पहनकर हम सभी विद्यार्थी बहुत सम्मान महसूस करते थे। कुछ लोग इस रंग को ‘खाखी’ भी कहते हैं जोकि सही नहीं है। भारत के ज्यादातर राज्यों में सुरक्षा बलों की वर्दियों का रंग खाकी ही है। वर्णनीय है कि भारत के गोवा राज्य में आज़ादी से पहले अंग्रेज़ों का नहीं, बल्कि पुर्तगालियों का शासन था। उनके द्वारा पुलिस बल के कपड़ों का रंग सफेद  निर्धारित किया हुआ था, जोकि अभी तक वैसे ही सफेद ही जारी रखा हुआ है।

-ब्रिसबेन (आस्ट्रेलिया)
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