गज़ल-सियासी लोग धरती क्या

सियासी लोग धरती क्या समन्दर बेच देते हैं।
किले श्मशान कब्रिस्तान मन्दिर बेच देते हैं।
स्वार्थ की हवश गंदी को भर-भर के तिजारत में,
सिर्फ ईमान नहीं, रूह तन के अन्दर बेच देते हैं।
डुगडुगी की तज़र् पर जब अधूरे रहते हैं,
तमाशा करते बंदर को कलंदर बेच देते हैं।
खिज़ा की रन्त आ जाए तो सिर्फ कर्जा चुकाने में,
सूर्ख्र मौसम बहारों के भी मंज़र बेच देते हैं।
कभी भी पास नहीं रखते यह सिकरीगर है बालम जी,
बना कर शकल और आकार खंजर बेच देते हैं।

-बलविंदर बालम 
मो- 98156.25409