भावपूर्ण रही मोदी की रूस यात्रा
चाहे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की दो दिवसीय रूस यात्रा बड़ी भावपूर्ण रही परन्तु इस पर रूस-यूक्रेन युद्ध का उदास करने वाला प्रभाव भी दिखाई देता रहा। इस यात्रा के दौरान श्री नरेन्द्र मोदी ने रूसी राष्ट्रपति व्लादीमिर पुतिन को सम्बोधित करते हुए कहा कि युद्ध के मैदान से शांति का मार्ग नहीं निकल सकता। उन्होंने इस युद्ध के विनाश तथा इसमें मारे जाने वाले बच्चों के प्रति चिन्ता प्रकट करते हुए यह भी कहा कि युद्ध किसी बात का हल नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि यूक्रेन में मासूम बच्चों का मारे जाना दिल को झिंझोड़ने वाला तथा दुखद है। रूस के राष्ट्रपति व्लादीमिर पुतिन ने भी इसके जवाब में कहा कि वह भारतीय प्रधानमंत्री की ओर से प्रकट किए विचारों का सम्मान करते हैं तथा इस मामले का शांतिपूर्ण ढंग से हल निकालने की उनकी भावना की प्रशंसा करते हैं। इसी दौरान भारत के लगभग चार दर्जन युवक जो रूस की ओर से इस युद्ध में शामिल हैं, को वापिस भेजने की प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा की गई मांग भी रूसी अधिकारियों ने स्वीकार कर ली है।
लगातार तीसरी बार प्रधानमंत्री बनने के बाद नरेन्द्र मोदी की यह पहली विदेश यात्रा दोनों देशों के चिरकाल पुराने संबंधों का प्रकटावा है। बड़ी लम्बी अवधि से भारत तथा रूस के प्रमुखों के मध्य वार्षिक भेंट होती आई है, परन्तु पिछले कुछ वर्ष से कुछ विशेष कारणों के दृष्टिगत यह नहीं हो सकी थी। यह दोनों देशों के प्रमुख के मध्य इसी क्रम की 22वीं भेंटवार्ता है। इस पर विश्व भर का ध्यान इसलिए भी केन्द्रित रहा क्योंकि भारत ने युद्ध के गम्भीर मामले पर एक परिपक्व संतुलन बनाये रखने का यत्न किया है। मोदी अपने कार्यकाल में अब तक 6 बार रूस का दौरा कर चुके हैं तथा वह इस समय में 17 बार रूसी राष्ट्रपति व्लादीमिर पुतिन से मिले हैं। नि:संदेह दोनों देशों की दोस्ती पुरानी भी है तथा ऐतिहासिक भी। पहले सोवियत यूनियन तथा अब रूस के रूप में यह देश हर समय मुश्किल समय में भारत के साथ खड़ा रहा है। इसलिए भारतीय हमेशा उसके ऋणी रहे हैं। सांस्कृतिक क्षेत्र में भी दोनों देशों का आपसी तालमेल एक उदाहरण है। दोनों देशों का व्यापार भी ऊंचाइयों को छूता रहा है। एक समय था जब भारत अपनी सुरक्षा की ज्यादातर ज़रूरतों के लिए रूस की ओर ही देखता था। आज भी वह हर तरह के हथियारों तथा युद्धक विमानों के कलपुर्जों के मामले में बड़ी सीमा तक रूस पर ही निर्भर करता है। दोनों देश हर क्षेत्र में एक-दूसरे के सहयोगी बने रहे हैं।
इस दौरे के दौरान भी उन्होंने व्यापार, तरह-तरह के औद्योगिक उत्पादनों तथा मूलभूत ढांचे के निर्माण संबंधी 9 समझौते किए हैं। इनमें परमाणु टैक्नोलॉजी, संचार तथा आपसी सम्पर्क बढ़ाने सहित अनेक क्षेत्र हैं, जिनमें आपसी सहयोग बढ़ाने की योजनाएं बनाई गई हैं। इनमें एक कोरीडार (सड़क मार्ग) भी शामिल है, जो एशिया को यूरोप के साथ जोड़ेगा। इस 22वीं वार्षिक भेंट में आपसी व्यापार तथा सहयोग के साथ 2030 तक के लक्ष्य निर्धारित किए गए हैं। इस समय में द्विपक्षीय व्यापार 100 अरब से भी अधिक करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। मात्र पिछले दो वर्ष में ही भारत ने रूस से साढ़े पांच लाख करोड़ से अधिक का कच्चा तेल खरीदा है। दोनों देशों ने आपसी व्यापार अपनी-अपनी करंसी में करने का निश्चय भी किया है। प्रधानमंत्री मोदी की यह यात्रा राष्ट्रपति पुतिन के लिए इस कारण भी संजीवनी बनी दिखाई देती है, क्योंकि आज यूक्रेन से युद्ध के कारण वह विश्व के ज्यादातर देशों से अकेले पड़े दिखाई देते हैं।
—बरजिन्दर सिंह हमदर्द