लघु परमाणु संयंत्रों से देश में बढ़ेगा बिजली का उत्पादन

2024-25 के आम बजट में लघु परमाणु संयंत्रों के लिए सरकार ने बड़े बजट का प्रावधान किया है। परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में यह नया प्रयोग है। पहली बार निजी कम्पनियों को लघु परमाणु संयंत्र समूचे देश में स्थापित करने का अवसर दिया जाएगा। साथ ही मॉड्यूलर (प्रतिरूपक) रिएक्टर के आधुनिकीकरण के लिए शोध और विकास पर भी धनराशि खर्च की जाएगी जिससे परमाणु ऊर्जा में नई प्रौद्योगिकी का विकास हो। इसे पीपीपी मोडल पर क्रियान्वित किया जाएगा। 
इसका उद्देश्य देश में स्वच्छ एवं वैकल्पिक बिजली को बढ़ावा देना है। साथ ही प्रधानमंत्री सूर्य घर निशुल्क बिजली योजना के तहत छतों पर जो सौर संयंत्र लगाए जा रहे हैं, उन पर भारत सरकार द्वारा दी जाने वाली छूट जारी रहेगी। अभी तक इस योजना के लाभ के लिए 1.28 करोड़ परिवार पंजीकरण करवा चुके हैं और 14 लाख आवेदन विचाराधीन हैं। इस योजना से 300 यूनिट बिजली मुफ्त मिलेगी। छोटे मॉड्यूलर रिएक्टर (एसएमआर) उन्नत परमाणु संयंत्र माने जाते हैं। इनकी बिजली उत्पादन क्षमता 300 मेगावाट प्रति इकाई है, जो पारम्परिक परमाणु ऊर्जा संयंत्रों की बिजली उत्पादन क्षमता की तुलना में एक तिहाई है। ये संयंत्र न्यूनतम कार्बन बिजली का उत्पादन करते हैं।
विकसित भारत के लिए ऊर्जा की उपलब्धता एक बड़ी ज़रूरत है। इसलिए सरकार सिर्फ पारम्परिक ऊर्जा स्रोतों पर निर्भर नहीं रहना चाहती है। इसीलिए सौर और पवन ऊर्जा पर सरकार पहले ही काफी कुछ कर चुकी है। अतएव अब फोकस परमाणु ऊर्जा पर है क्योंकि इसमें संभावनाएं अधिक है। आम बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने ऊर्जा सुरक्षा को सरकार की नौ प्राथमिकताओं में गिनाया है। ऊर्जा बदलाव के संबंध में एक नीतिगत दस्तावेज तैयार करने की बात भी कही गई है। इससे यह तय होगा कि भारतीय अर्थव्यवस्था में किस तरह से पारम्परिक ऊर्जा की जगह धीरे-धीरे अपारम्परिक ऊर्जा के स्रोत का महत्व बढ़ रहा है। यह दस्तावेज ऊर्जा क्षेत्र में रोज़गार, विकास और पर्यावरण से जुड़े मुद्दों का भी समाधान खोजेगा। अतएव इसी परिप्रेक्ष्य में निकेल, कोबाल्ट, तांबा और लिथियम जैसी धातुओं के उत्पादों के आयात पर शुल्क घटाने का भी ऐलान किया है। इन उत्पादों का प्रयोग परमाणु और सौर ऊर्जा के साथ दूसरे ऊर्जा उत्सर्जन उपायों में भी होता है। आयात सस्ता होने से इनका निर्माण भारत में करने में आसानी होगी। यही नहीं परमाणु ऊर्जा, नवीनीकरण ऊर्जा और अंतरिक्ष एवं रक्षा क्षेत्रों में इस्तेमाल होने वाली 25 धातुओं पर सीमा शुल्क को पूरी तरह खत्म कर दिया है। हाल ही के वर्षों में कुछ देशों को छोटे परमाणु ऊर्जा संयंत्र स्थापित करने में सफलता मिली है। इसी का अनुसरण भारत कर रहा है।
भारत में एक ओर अर्से से अटकी परमाणु बिजली परियोजनाओं में विद्युत का उत्पादन शुरू हो रहा है, वहीं निजी निवेश से परमाणु ऊर्जा बढ़ाने के प्रयास हो रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुजरात के सूरत ज़िले के तापी काकरापार में 22,500 करोड़ रुपये की लागत से बने 700-700 मेगावाट बिजली उत्पादन के दो परमाणु ऊर्जा संयंत्र 22 फरवरी, 2024 को राष्ट्र को समर्पित कर दिए। ये देश के पहले स्वदेशी परमाणु ऊर्जा संयंत्र हैं। ये उन्नत सुरक्षा सुविधाओं से युक्त हैं। ये संयंत्र प्रतिवर्ष लगभग 10.4 अरब यूनिट स्वच्छ बिजली का उत्पादन करेंगे जो गुजरात में बिजली की आपूर्ति के साथ अन्य प्रांतों को भी बिजली देंगे। ये संयंत्र शून्य कार्बन उत्सर्जन की दिशा में आगे बढ़ने की दृष्टि से मील का पत्थर साबित होंगे।
दूसरी तरफ भारत सरकार ने परमाणु ऊर्जा क्षेत्र में निजी कम्पनियों से 26 अरब डॉलर का निवेश आमंत्रित किया है। यह पहल ऐसे स्रोतों से बिजली बनाने की मात्रा बढ़ाने की दिशा में उठाया गया कदम है, जो वायुमंडल में प्रदूषण और तापमान बढ़ाने वाले कार्बन डाईऑक्साइड का उत्सर्जन नहीं करते हैं। यह पहली बार है जब परमाणु ऊर्जा क्षेत्र में सरकार निजी कम्पनियों से पूंजी निवेश की मांग कर रही है। फिलहाल भारत में परमाणु ऊर्जा कुल बिजली उत्पादन की तुलना में महज दो प्रतिशत भी नहीं है। यदि यह निवेश बढ़ता है तो 2030 तक अपनी स्थापित विद्युत उत्पादन क्षमता का 50 प्रतिशत गैर-जीवाश्म ईंधन के उपयोग से प्राप्त लक्ष्य को हासिल करने में सहायता मिलेगी। वर्तमान में यह 42 प्रतिशत है।
सरकार इस सिलसिले में पांच निजी कम्पनियों से बात की है। प्रत्येक कम्पनी को 5.30 अरब डॉलर का निवेश करने को कहा गया है। इस सिलसिले में परमाणु ऊर्जा विभाग और न्यूक्लियर पावर कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (एनपीसीआईएल) की इस निवेश के संबंध में गत वर्ष निजी कम्पनियों के साथ कई दौर की बातचीत की हुई थी। सरकार को इस निवेश से 2040 तक 11000 मेगावाट नई परमाणु बिजली उत्पादन क्षमता की उम्मीद है। फिलहाल एनपीसीआइएल के पास 7500 मेगावाट की क्षमता वाले परमाणु ऊर्जा संयंत्र काम कर रहे हैं। इसमें और बढ़ोत्तरी के लिए 1300 मेगावाट बिजली उत्पादन का लक्ष्य रखा है,जो निवेश से संभव हो सकेगा। निजी कम्पनियों के साथ परमाणु ऊर्जा विभाग की शर्तों में परमाणु संयंत्रों के उपकरणों के साथ भूमि और पानी के प्रबंधन में होने वाला खर्च कम्पनियां उठाएंगी। हालांकि संयंत्र के निर्माण, संचालन और उसमें प्रयुक्त होने वाले ईंधन का अधिकार एनपीसीआईएल के पास रहेगा। निजी कम्पनी इन संयंत्रों में बनने वाली बिजली बेचकर राजस्व प्राप्त करने की आधिकारी होंगी और एनपीसीआईएल परियोजना के संचालन का शुल्क वसूल करेगा।
 अतएव कहा जा सकता है कि ये शर्तें व्यावहारिक होने के साथ सरकार और कम्पनी दोनों के लिए ही लाभदायक साबित होंगी। साथ ही बड़ी मात्रा में कुशल और अकुशल नए रोज़गार का सृजन होगा। परमाणु ऊर्जा परियोजना के विकास का यह हाईब्रिड नमूना परमाणु क्षमता स्थापित करने में भविष्य में अत्यंत मददगार साबित होगा। इस योजना के लिए परमाणु ऊर्जा अधिनियम 1962 में किसी भी प्रकार के संशोधन की आवश्यकता नहीं पड़ी है।

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